बुधवार, 11 सितंबर 2013

ढिठाई के साथ नियमों का उल्‍लंघन करते हैं जनप्रतिनिधि

तिरुवनंतपुरम। विधानसभाओं और संसद में जनप्रतिनिधियों के आचरण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि सदन में शिष्टाचार के नियमों एवं मानकों को कठोर बनाया जाने और उन्हें कड़ाई से लागू किए जाने की जरुरत है.
अंसारी ने यहां केरल विधानसभा की विशेष बैठक में अपने संबोधन में कहा कि विचारविमर्श के निकायों के तौर पर विधायिकाओं की आदर्श छवि इन दिनों जनप्रतिनिधियों के असंसदीय आचरण के चलते बिल्कुल विरोधाभासी सी हो गई है.

केरल विधानसभा की यह विशेष बैठक राज्य में विधायी निकायों की शुरुआत के 125 बरस पूरे होने के अवसर पर आयोजित की गई थी. उप राष्ट्रपति ने कहा कि एक प्रभावी जनप्रतिनिधि होने के लक्षण अब खास तौर पर आसन के समक्ष आने, नारे लगाने और सदन की कार्यवाही बाधित करने की योग्यता के रुप में देखे जाते हैं.
अंसारी ने कहा कि ऐसे आचरण को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए और प्रयास किए जाने चाहिए कि अनुशासन बना रहे और सदन की गरिमा कमजोर न होने पाये. उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा.. दोनों सदनों की बैठकों में कालांतर में कमी आती गई है. वर्ष 1952 से 1961 के दौरान लोकसभा की औसत बैठकें 124.2 और राज्यसभा की औसत बैठकें 90.5 थीं. लेकिन वर्ष 2002 से 2011 के दौरान यह औसत घट कर क्रमश: 70.3 और 69.6 हो गया.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि संसदीय प्रक्रिया में व्यवधान बरसों से चिंता और जनता की नाराजगी का विषय बना हुआ है. अंसारी ने कहा कि यह व्यवधान राजनीतिक दलों और उनके नेतृत्व की जानकारी में, उनके कहने पर होता है. ऐसा, लोगों का ध्यान आकृष्ट करने और यह दबाव बनाने के लिए किया जाता है कि उनके द्वारा प्रस्तावित कार्य किया जाए. ऐसा करके वे यह भी जताना चाहते हैं कि उनमें विधायिका का कामकाज बाधित करने की क्षमता है.
उप राष्ट्रपति ने कहा कि आज की दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि पूरी ढिठाई के साथ और बेखौफ हो कर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. यह सीधी सादी सचाई भुला दी गई है कि नियम पालन करने के लिए होते हैं, तोड़ने के लिए नहीं.
अंसारी ने कहा कि इसके बावजूद भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं और यह विषमताओं को पीछे छोड़ चुका है तथा इसे राजनीतिक चमत्कार कहा जाता है. ‘‘यह हमारी जनता की विलक्षणता और परिपक्वता के लिए सम्मान की बात है.’’ बहरहाल, उन्होंने कहा कि 15 आम चुनावों का अनुभव हमारी प्रणाली की कुछ चरणबद्ध और प्रक्रियागत कमियों की ओर रोशनी डालता है जो संविधान में उस ‘‘फस्र्ट पास्ट द पोस्ट’’ प्रणाली से संबद्ध हैं जिसमें सफल उम्मीदवार को बहुमत हासिल करना नहीं होता है बल्कि डाले गए मतों की केवल बहुलता चाहिए होती है.
समारोह को राज्यपाल निखिल कुमार, मुख्यमंत्री ओमन चांडी, विपक्ष के नेता वी एस अच्युतानंदन, विधानसभा अध्यक्ष जी कार्तिकेयन और उपाध्यक्ष एन सक्तन ने भी संबोधित किया.
-एजेंसी

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