शनिवार, 27 जून 2015

फर्जीवाड़ा: एक ही वक्त पर 9 कॉलेजों में पढ़ा रही थी टीचर

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी से जुड़े डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाली 100 महिला टीचर मुश्किल में हैं। इनमें से हर एक टीचर एक ही समय में अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ाती पाई गई हैं। फर्जीवाड़े की आरोपी एक टीचर तो एक ही समय पर अलग-अलग जिलों में फैले नौ डिग्री कॉलेजों में पढ़ाती पाई गई है। यूनिवर्सिटी ने पहले ऐसी 10 महिला टीचरों के खिलाफ कार्यवाही करने का फैसला किया है।
फर्जीवाड़े का खुलासा उस वक्त हुआ, जब गृह विज्ञान विषय के परीक्षकों की कमी हुई। कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने जब मातहतों से जानकारी ली तो पता चला कि 259 कॉलेजों में गृह विज्ञान पढ़ाने के लिए 325 टीचर हैं। कॉलेजों से जब सभी टीचरों के बारे में जानकारी मंगाई गई तो पता चला कि एक ही नाम की टीचर कई कॉलेजों में एक ही वक्त पर पढ़ा रही है।
35 कॉलेजों में पढ़ा रहीं 10 टीचर
कार्यवाही के लिए तैयार पहली लिस्ट में जिन 10 शिक्षिकाओं का नाम है, वे 35 अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ा रही हैं। इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे सकेगा कि शिक्षिका एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे कॉलेज तक एक ही वक्त पर किस तरह से पहुंचती हैं।
अलग-अलग जिलों में एक ही वक्त मौजूद
जिन महिला टीचरों पर कार्यवाही की तैयारी है, उनमें डॉ. किरण यादव का नाम भी शामिल है। यूनिवर्सिटी को जांच से पता चला कि वह नौ कॉलेजों में गृह विज्ञान पढ़ाती हैं। एक ही वक्त पर वह देवरिया जिले के तीन कॉलेजों के अलावा गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर और बस्ती के भी एक-एक कॉलेज में क्लास लेती दिखाई गई हैं। बाकी टीचरों की सूची भी गड़बड़झाले की पोल खोल देती है।
क्या कहते हैं कुलपति?
डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि सख्त कार्यवाही की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मामले में अब तक 35 कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। इनसे जवाब न मिलने या जवाब के संतोषजनक न होने पर सख्त कार्यवाही करने का भरोसा कुलपति दे रहे हैं। संबंधित शिक्षिकाओं को अयोग्य घोषित कर कॉलेज की संबद्धता भी खत्म की जा सकती है। कुलपति ने इसके साथ ही सभी कॉलेजों और उनमें पढ़ाने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं का डाटा बैंक बनाने का भी आदेश दिया है ताकि इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।

ग्वाटेमाला में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ प्रतीक बन गए हैं ओसवाल्डो ओचोआ

लातिन अमरीकी देश ग्वाटेमाला में 62 ओसवाल्डो ओचोआ भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ प्रतीक बन गए हैं. उन्होंने बीते दिनों बिना कुछ खाए अकेले 200 किलोमीटर लंबा सफ़र तय किया. उनका कहना है कि वो अपने देश में साफ़ और स्वच्छ सरकार के लिए लड़ रहे हैं.
भ्रष्टाचार पर नज़र रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल का कहना है कि भ्रष्टाचार सिर्फ़ ग्वाटेमाला नहीं, बल्कि लातिन अमरीकी क्षेत्र के दो तिहाई देशों के लिए एक बड़ी समस्या है.
बावजूद इसके कुछ विश्लेषक लातिन अमरीका में हालात भारत और चीन से बेहतर बताते हैं.
ब्राज़ील में इसी साल मार्च में 15 लाख और फिर अप्रैल में छह लाख से ज़्यादा लोगों ने सरकार के ख़िलाफ़ ज़ोरदार प्रदर्शन किए.
वहां हाल में भ्रष्टाचार के दो बड़े मामले सामने आए हैं.
कई बड़े राजनेताओं पर तेल कंपनी पेत्रोब्रास से रिश्वत लेने के आरोप लगे तो निर्माण कंपनी ओदरब्रेश्ट के मुखिया को भी भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ़्तार किया गया.
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के मुताबिक़ लातिन अमरीका में भ्रष्टाचार को लेकर सबसे ख़राब स्थिति वेनेजुएला और हैती की है.

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