बुधवार, 17 जून 2015

आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन को बड़ा झटका, मेडीकल कॉलेज को नहीं मिली मान्‍यता

-रामकिशोर, उनके पुत्रों व साले सहित कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज 
-मेडीकल कॉलेज के कर्मचारियों ने किया आंदोलन का ऐलान 
-न्‍याय न मिलने पर सामूहिक त्‍यागपत्र की भी घोषणा
The biggest shock of the R Group of Education, Medical College has not recognizedअपने मेडीकल कॉलेज का सपना पूरा न हो पाने और प्रस्‍तावित मेडीकॉल कॉलेजेस की लिस्‍ट से भी डीबार हो जाने के कारण आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन रामकिशोर अग्रवाल इस कदर बौखला गये कि उन्‍होंने मेडीकल कॉलेज के कर्मचारियों पर ही जानलेवा हमला कर दिया।
इस हमले में मेडीकल कॉलेज के एक कर्मचारी की रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट आई है तथा उसकी एक आंख भी बुरी तरह जख्‍मी है जबकि कई अन्‍य कर्मचारी भी जख्‍मी हुए हैं। नीरज चाहर नाम के जिस कर्मचारी की रीढ़ की हड्डी टूटी है तथा आंख में गंभीर चोट है, उसकी हालत चिताजनक बताई गई है और वो आगरा के निजी अस्‍पताल में एडमिट है।
इस घटना के बाद कॉलेज के करीब 53 कर्मचारियों ने चेयरमैन रामकिशोर अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक ओर जहां आंदोलन करने का ऐलान किया है वहीं दूसरी और नौकरी से ही त्‍यागपत्र देने की घोषणा कर दी है।
collegeइस संबंध में मिली विस्‍तृत जानकारी के मुताबिक पिछले कई वर्षों से आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन रामकिशोर अग्रवाल अपने यहां मेडीकल कॉलेज बनाने का सपना देख रहे थे क्‍योंकि केडी डेंटल कॉलेज यह ग्रुप काफी समय से संचालित कर रहा है। मेडीकल कॉलेज के लिए उन्‍होंने मथुरा जनपद की सीमा के अंदर पड़ने वाले नेशनल हाईवे नंबर-2 के कस्‍बा छाता अंतर्गत अकबरपुर में ‘केडी मेडीकल कॉलेज हॉस्‍पीटल एंड रिचर्स सेंटर’ की विशाल इमारत खड़ी करके मान्‍यता के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी।
इस प्रक्रिया के तहत के समय-समय पर इस मेडीकल कॉलेज की इस इमारत तथा कॉलेज की मान्‍यता के लिए जरूरी स्‍टाफ व उपकरणों सहित अन्‍य मामलों का तीन बार मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने इंस्‍पेक्‍शन किया और तीनों ही बार रामकिशोर अग्रवाल के केडी मेडीकल कॉलेज इंस्‍पेक्‍शन में फेल हो गया लिहाजा इसे मेडीकल कॉलेज के संचालन की मान्‍यता तो दी ही नहीं गई, साथ ही डीबार यानि इस प्रक्रिया से ही बाहर कर दिया गया।
2015 में यूपी के जिन तीन संस्‍थानों को मेडीकल कॉलेज संचालित करने की मान्‍यता दी गई है उनमें से एक सहारनपुर का शेख-उल-हिंद मौलाना हसन मेडीकल कॉलेज है, दूसरा है सीतापुर का हिंद इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंसेज तथा तीसरा है वाराणसी का हैरीटेज इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडीकल साइंसेंज।
kdआर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन को जब इस लिस्‍ट से अपने मेडीकॉल कॉलेज को डीबार कर देने की जानकारी हुई तो वह बुरी तरह बौखला गये और उन्‍होंने इंस्‍पेशन फेल होने का कारण मेडीकल कॉलेज के स्‍टाफ को मानते हुए उन्‍हें कॉलेज से बाहर निकल जाने का फरमान सुना दिया।
बताया जाता है चेयरमैन रामिकशोर अपने पुत्रों तथा साले सहित अपने तमाम गुर्गों को लेकर मेडीकल कॉलेज जा पहुंचे और वहां के रेजीडेंट डॉक्‍टर, टेक्‍निकल स्‍टाफ तथा नर्सिंग स्‍टाफ को तत्‍काल कॉलेज छोड़ देने के लिए कहा।
कॉलेज सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों ने कहा कि जब मेडीकल कॉलेज को मीन्‍यता ही नहीं मिली है तब हम यहां रहकर करेंगे भी क्‍या किंतु हमें आप थोड़ा समय दीजिए जिससे हम अपना बंदोबस्‍त कर सकें।
कॉलेज कर्मचारियों के मुताबिक कर्मचारियों के इतना कहते ही चेयरमैन रामकिशोर, उनके बेटे व साला तथा साथ आये गुर्गे बुरी तरह बौखला गये और कर्मचारियों के साथ गाली-गलौज करते हुए उन्‍हें पीटने लगे।
इसी दौरान बीच-बचाव के प्रयास में चेयरमैन रामकिशोर के भी किसी का हाथ लग गया। चेयरमैन पर हाथ लगते ही वह, उनके परिजन तथा गुर्गे कर्मचारियों को बुरी तरह पीटने लगे।
इस पिटाई में नीरज चाहर को टारगेट किया गया क्‍योंकि चेयरमैन को शक था कि उनके ऊपर उसी ने हाथ उठाया है।
बताया जाता है कि यह लोग नीरज चाहर को तब तक मारते रहे जब तक वह मरणासन्‍न न हो गया।
मेडीकल कॉलेज में इस घटना की जानकारी होने के बाद मौके पर पहुंची इलाका पुलिस ने रामकिशोर के प्रभाव में और तो कुछ नहीं किया अलबत्‍ता गंभीर रूप से घायल नीरज चाहर को उपचार के लिए ले गई जहां उसकी चिंताजनक हालत को देखते हुए उसे आगरा भेज दिया गया।
kd-1बताया जाता है कि इलाका पुलिस द्वारा इस संबंध में एफआईआर भी दर्ज न किये जाने के बाद पीड़ित पक्ष ने सीआरपीसी की धारा 156/3 के तहत कोर्ट के आदेश से एफआईआर दर्ज कराई गई है जिसमें चेयरमैन रामकिशोर, उनके पुत्रों मनोज व पंकज तथा साले अरुण उर्फ मामा सहित कई लोगों को नामजद कराया है।
आज इस संबंध में जब ‘लीजेंड न्‍यूज़’ ने चेयरमैन रामकिशोर अग्रवाल के मोबाइल नंबर पर बात की तो उनका कहना था कि कर्मचारियों के साथ मारपीट पब्‍लिक ने की थी, हमने नहीं।
रामकिशोर अग्रवाल से यह पूछे जाने पर कि यदि पब्‍लिक ने मारपीट की थी तो आपने एफआईआर क्‍यों नहीं कराई जबकि वो आपके ही कर्मचारी हैं, रामकिशोर कोई जवाब नहीं दे पाये और कहने लगे कि हम तो सभी मीडिया हाउसेस और मीडियाकर्मियों को ऑब्‍लाइज करते हैं, आप ऐसी बातें मुझसे क्‍यों कर रहे हैं।
‘लीजेंड न्‍यूज़’ ने जब उनसे कहा कि हम न कभी किसी से ऑब्‍लाइज होते हैं और न खबरों में कोई समझौता करते हैं, तो रामकिशोर कहने लगे कि मैं तो शिक्षण संस्‍थाएं चलाकर समाज सेवा कर रहा हूं और आप उसका यह प्रतिफल दे रहे हैं।
दरअसल आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन के चेयरमैन रामकिशोर ही नहीं, लगभग सभी शिक्षा व्‍यवसायी अब खुद को शिक्षाविद् तथा अपने इस व्‍यवसाय को समाज सेवा का जामा पहनाने की कोशिश करते हैं जबकि सच्‍चाई यह है कि वह पूरी तरह पेशेवर हैं और निर्धारित फीस से कई गुना अधिक फीस भी वसूलने से नहीं चूकते।
यही कारण है कि कृष्‍ण की जिस नगरी में चंद वर्षों पहले तक जहां एक ढंग का कॉलेज नहीं हुआ करता था और तकनीकी शिक्षा के नाम पर तो कुछ नहीं था, उस धार्मिक जनपद की पहचान अब तकनीकी शिक्षा के हब की बन चुकी है।
जिन्‍होंने एक कॉलेज से शुरूआत की थी, बहुत कम समय में वो ‘एजुकेशनल ग्रुप’ बन गये। कभी साड़ी के कारखाने में किराये की जगह पर राजीव एकेडमी से शुरूआत करने वाले रामकिशोर के आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन में आधा दर्जन से अधिक कॉलेज हैं और जीएल बजाज के नाम से एक अलग ग्रुप और स्‍थापित हो चुका है।
यही नहीं, आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन ने अपनी जड़े सीमा पर श्रीलंका तथा नेपाल तक जमा ली हैं। नोएडा में तो इनका एक कॉलेज चल ही रहा है।
यह वही रामकिशोर हैं जो सन् 1998 से पहले शहर के अंदर संगीत सिनेमा के बराबर एक बाड़े में छोटा सा कंम्‍प्‍यूटर इंस्‍टीट्यूट चलाते थे और चांदी के सामान्‍य कारोबारी थे।
बताया जाता है कि रामकिशोर के के डी डेंटल कॉलेज में भी अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर एडमीशन लिये जा रहे हैं और डिस्‍टेंश एजुकेशन की आड़ में देश के सुदूरवर्ती इलाकों के छात्रों को डिग्रियां दी जा रही हैं। इसके लिए उनसे मोटा पैसा वसूला जाता है जबकि के डी डेंटल कॉलेज डिस्‍टेंश एजुकेशन के लिए अधिकृत ही नहीं है।
इसी प्रकार इनके ग्रुप द्वारा संचालित इंटर कॉलेज ”राजीव इंटरनेशनल” में भी भारी अनियमितताओं का पता लगा है। इस कॉलेज को भी अभी सीबीएसई से 12वीं बोर्ड की परीक्षा कराने के लिए मान्‍यता नहीं मिली है जबकि यह अपने यहां 12वीं के छात्रों को पढ़ा रहे हैं। इस मामले में विस्‍तृत विवरण की प्रतीक्षा है।
जो भी हो, लेकिन इतना तो तय है कि मेडीकल कॉलेज की मान्‍यता पाने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी न कर पाने के कारण आर के ग्रुप ऑफ एजुकेशन के साथ-साथ ब्रजवासियों का भी मथुरा में एक मेडीकल कॉलेज खुलने का सपना टूट गया। यह बात अलग है कि इसके बाद ग्रुप के चेयरमैन बुरी तरह बौखला गये और बौखलाहट में ऐसा कदम भी उठा बैठे जो उनकी गरिमा, मान-सम्‍मान व प्रतिष्‍ठा का शोभा नहीं देता। हो सकता कि अब उन्‍हें इसके लिए ठेस भी लगे क्‍योंकि मामला कोर्ट-कचहरी तक जा पहुंचा है और मेडीकल कॉलेज के कर्मचारी नीरज चाहर की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
-लीजेंड न्‍यूज़ विशेष
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...