मंगलवार, 17 सितंबर 2013

30 दिन में बदलवाएं यह विज्ञापन

नई दिल्ली। राष्ट्रीय महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस को आदेश दिया है कि वह एक कंपनी के कंडोम कवर पर महिला के कथित अश्लील चित्रण की शिकायत की जांच करे और 30 दिन में उसे बदलवा दें। इंदर सेन दुआ ने हेल्थ केयर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी के मालिक के खिलाफ शिकायत की थी।
इस कंपनी की नोएडा और मथुरा में फैक्ट्रियां हैं। शिकायत में दुआ ने आरोप लगाया था कि कंपनी कंडोम के रैपर्स पर महिला के अश्लील और पोर्नोग्राफिक चित्रों का प्रयोग कर रही है। कंपनी इन्हें दिल्ली सहित देश भर में बेच रही है। शिकायत मिलने पर महिला आयोग ने कंपनी के मालिक को तलब किया।
कंपनी मालिक के वकील ने आयोग को बताया कि प्रोडक्ट की पैकिंग में इस्तेमाल किए गए चित्रों को बदल दिया गया है। इस पर महिला आयोग की एक सदस्य ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को मामले की जांच करने को कहा। पुलिस कमिश्नर से कहा गया है कि अगर संज्ञेय अपराध है तो कंपनी के मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
महिला आयोग ने पुलिस से 30 दिन में कंडोम के रैपर्स को बदलवाने के लिए कहा गया। महिला के अश्लील चित्रण(प्रतिबंधित)एक्ट 1986 में प्रकाशन, प्रदर्शनी, पुस्तक, पैम्पलेट, फिल्म फोटोग्राफ में महिला का किसी भी रूप में अश्लील चित्रण प्रतिबंधित है।

मंत्रीजी बोले, भंवरी जैसा हाल कर देंगे

राजस्थान के एक और मंत्री पर दुष्कर्म करने का आरोप लगा है। आरोप लगाने वाली महिला जयपुर की रहने वाली है। जयपुर की एक अदालत ने उसकी ओर से दायर परिवाद पर पुलिस को सोढ़ाला थाने में मंत्री के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा है। पीड़िता ने 13 सितंबर को कोर्ट में परिवाद दायर किया था।
पीड़िता ने बताया कि राजस्थान के सरकार के इस मंत्री ने 11 सितम्बर को उसे दोपहर ढाई बजे फोन कर अपने घर बुलाया। उसी दिन शाम करीब पांच बजे वहां पहुंची तो मंत्री ने उसे अच्छी नौकरी लगवाने का लालच दिया। साथ ही उसके रिश्तेदार को भी अच्छी नौकरी दिलाने का वादा किया।
कुछ देर बाद मंत्री कमरे में चला गया और पीड़िता को कमरे में बुलाया। मंत्री ने पीड़िता के जबरन कपड़े उतारे और दुष्कर्म का प्रयास किया। पीड़िता के विरोध करने पर मंत्री ने धमकी दी कि तुम्हारा हाल भी भंवरी देवी जैसा कर दिया जाएगा। मंत्री ने पीड़िता के बेटे की हत्या करने की भी धमकी दी।
इस पर पीड़िता कोर्ट पहुंची और मंत्री के खिलाफ केस दर्ज करवाने का आदेश देने की गुहार लगाई। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम संख्या 9 की अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156/3 के तहत मुकद्दमा दर्ज करने के लिए मामला सोढ़ाला थाने भिजवाया है।
इधर, मामले पर बाबूलाल नागर की खुली प्रतिक्रया अब तक नहीं आई लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार उन्होंने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। यह मंत्री पहले भी काफी विवादों में घिरे रहे हैं। जिसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इनका विभाग बदल दिया था।

CAG ने BSP को किया बेपर्दा: सैकड़ों करोड़ के घोटाले खोले

लखनऊ। मुजफ्फरनगर दंगों पर चारों तरफ‌ से ‌घिरी अखिलेश सरकार को आज एक बड़ी राहत भरी खबर मिली है। आज भले ही विधानसभा स्‍थगित कर दी गई हो, लेकिन सदन में एकसाथ पेश हुईं कई रिपोर्ट्स ने मायावती के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। खबर है कि बसपा सरकार में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान सिर्फ बिजली खरीद और वितरण में ही सामने आ रहा है।
कैग रिपोर्ट के ‌मुताबिक, बसपा राज में घपलों के कारण चर्चित रहने वाली यूपी राज्य औद्योगिक वि‌कास निगम लिमिटेड का 175 करोड़ का एक और घोटाला सामने आया है।
विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है ‌कि निगम ने 8 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट और 34 कॉम‌र्शियल प्लाट को अपने द्वारा तय सिस्टम के खिलाफ जाकर ही बांट दिया।
कैग की रिपोर्ट कहती है कि अफसरों कि इस उदारता से यूपीएसआईडीसी को बाजार मूल्य पर 152 करोड़ और सर्किल रेट पर 24.‍5 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ। यह प्लॉट नोएडा में बांटे गए।
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