लखनऊ। मुजफ्फरनगर दंगों पर चारों तरफ से घिरी अखिलेश सरकार को आज एक बड़ी
राहत भरी खबर मिली है। आज भले ही विधानसभा स्थगित कर दी गई हो, लेकिन सदन
में एकसाथ पेश हुईं कई रिपोर्ट्स ने मायावती के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी
हैं। खबर है कि बसपा सरकार में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान सिर्फ
बिजली खरीद और वितरण में ही सामने आ रहा है।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, बसपा राज में घपलों के कारण चर्चित रहने वाली यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड का 175 करोड़ का एक और घोटाला सामने आया है।
विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि निगम ने 8 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट और 34 कॉमर्शियल प्लाट को अपने द्वारा तय सिस्टम के खिलाफ जाकर ही बांट दिया।
कैग की रिपोर्ट कहती है कि अफसरों कि इस उदारता से यूपीएसआईडीसी को बाजार मूल्य पर 152 करोड़ और सर्किल रेट पर 24.5 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ। यह प्लॉट नोएडा में बांटे गए।
गौरतलब है कि नोएडा के प्लॉट आवंटन के कई मामलों में लोकायुक्त से लेकर कई सरकारी एजेंसियां जांच कर रही हैं।
सोमवार को विधानसभा में पेश हुई एक अन्य कैग रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इससे खुलासा हुआ है कि मायावती सरकार के राज में शराब व्यापारी और माफिया पोंटी चड्ढा अपने हिसाब से खेल रच रहा था।
कैग ने पाया है कि मायाराज यानि 2011-12 के दौरान यूपी में शराब के धंधे में करीब 100 करोड़ का टैक्स कम तय किया गया। इसमें काफी गड़बड़ियां भी सामने आई हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वाइन शॉप और मॉडल शॉप के लिए जरूरी लाइसेंस की कीमत भी 14.5 करोड़ रुपये कम तय की गई।
इसी तरह, शीरे का ढंग से स्टोरेज न करने से छीजन के कारण 10.3 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। इतना ही नहीं, सरकार ने शीरे से अल्कोहल भी निर्धारित से कम मात्रा में बनाया। इससे भी 13.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ।
और तो और, विदेशी शराब और बियर की सप्लाई में भी लाइसेंस फी कम लगाई गई, जिससे 10 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में शराब का सालाना धंधा आठ हजार करोड़ से भी ज्यादा का है।
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, बसपा राज में घपलों के कारण चर्चित रहने वाली यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड का 175 करोड़ का एक और घोटाला सामने आया है।
विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि निगम ने 8 ग्रुप हाउसिंग प्लॉट और 34 कॉमर्शियल प्लाट को अपने द्वारा तय सिस्टम के खिलाफ जाकर ही बांट दिया।
कैग की रिपोर्ट कहती है कि अफसरों कि इस उदारता से यूपीएसआईडीसी को बाजार मूल्य पर 152 करोड़ और सर्किल रेट पर 24.5 करोड़ रुपये का अलग से नुकसान हुआ। यह प्लॉट नोएडा में बांटे गए।
गौरतलब है कि नोएडा के प्लॉट आवंटन के कई मामलों में लोकायुक्त से लेकर कई सरकारी एजेंसियां जांच कर रही हैं।
सोमवार को विधानसभा में पेश हुई एक अन्य कैग रिपोर्ट से सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इससे खुलासा हुआ है कि मायावती सरकार के राज में शराब व्यापारी और माफिया पोंटी चड्ढा अपने हिसाब से खेल रच रहा था।
कैग ने पाया है कि मायाराज यानि 2011-12 के दौरान यूपी में शराब के धंधे में करीब 100 करोड़ का टैक्स कम तय किया गया। इसमें काफी गड़बड़ियां भी सामने आई हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वाइन शॉप और मॉडल शॉप के लिए जरूरी लाइसेंस की कीमत भी 14.5 करोड़ रुपये कम तय की गई।
इसी तरह, शीरे का ढंग से स्टोरेज न करने से छीजन के कारण 10.3 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। इतना ही नहीं, सरकार ने शीरे से अल्कोहल भी निर्धारित से कम मात्रा में बनाया। इससे भी 13.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ।
और तो और, विदेशी शराब और बियर की सप्लाई में भी लाइसेंस फी कम लगाई गई, जिससे 10 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में शराब का सालाना धंधा आठ हजार करोड़ से भी ज्यादा का है।
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