रविवार, 1 सितंबर 2013

आसाराम बापू बनाम कृपालु आदि...

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
एक बच्‍ची के साथ दुष्‍कर्म के आरोपी आसाराम बापू की गिरफ्तारी से यूं तो मथुरा-वृंदावन का कोई सीधा संबंध नहीं हैं लेकिन जो संबंध है, वो बहुत महत्‍वपूर्ण है और उसके बिना आसाराम की कहानी न तो शुरू की जा सकती है, न उसके क्‍लाईमेक्‍स का कोई मतलब रह जाता है क्‍योंकि मथुरा-वृंदावन भी धर्मनगरी हैं लिहाजा यहां साधु-संत  एवं महंतों का अच्‍छा-खासा आधिपत्‍य है।
आगे बढ़ने से पहले कुछ बातें हैं जिन पर गौर किया जाना बहुत जरूरी है ताकि यह समझा जा सके कि आखिर कैसे कोई 'आसूमल' देखते-देखते आसाराम बापू बन जाता है।
नंबर एक- श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने तथाकथित महिला संत राधेमां को विगत माह विवादास्‍पद तरीके से दिया गया महामण्‍डलेश्‍वर का पद बहाल कर दिया। इसकी सफाई में अखाड़े की ओर से कहा गया कि उनके ऊपर लगाये गये आरोपों की जांच के दौरान पुष्‍टि न हो पाने पर यह फैसला लिया गया है।
नंबर दो- गायत्री तपोभूमि ट्रस्‍ट में संचारी के पद पर कार्यरत चन्‍द्रपाल सिंह ने 2 करोड़ 43 लाख रुपये का गबन किया है जिसकी तपोभूमि ट्रस्‍ट ने मथुरा के गोविंदनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
गायत्री तपोभूमि ट्रस्‍ट के संस्‍थापक आचार्य श्रीराम शर्मा वैसे तो पड़ोसी जिला आगरा में गांव आंवलखेड़ा के मूल निवासी थे लेकिन उन्‍होंने अपनी कर्मभूमि बनाई मथुरा और यहीं से दौलत व शौहरत की ऊंचाइयां हासिल कीं।
नंबर तीन- जयगुरूदेव नाम परमात्‍मा का, सतयुग आयेगा का ढोल पीटकर नाम और दाम कमाने वाले बाबा जयगुरुदेव की बेशुमार चल-अचल संपत्‍ति पर उनकी मृत्‍यु के बाद विवाद चल रहे हैं और यह विभिन्‍न न्‍यायालयों में लंबित हैं।
नंबर चार- पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में जनपद प्रतापगढ़ के कस्‍बा मनगढ़ का मूल निवासी है रामकृपाल त्रिपाठी। आज लोग उसे कृपालु महाराज के नाम से जानते हैं। वह खुद को पांचवां जगद्गुरू शंकराचार्य कहता है। कृपालु महाराज की मथुरा के वृंदावन एवं बरसाना सहित देश-विदेश में अरबों की संपत्‍ति है।
आसाराम बापू और कृपालु महाराज में काफी समानताएं हैं। मसलन आसाराम की तरह ही कृपालु महाराज गृहस्‍थ है और उसका भरा-पूरा परिवार है। आसाराम की तरह ही कृपालु की संतानें उसके धर्म के धंधे की वारिस हैं और कृपालु द्वारा स्‍थापित ट्रस्‍टों पर वही काबिज हैं।

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...