यमुनोत्री से अमृत धारा की तरह बहने वाली यमुना
ब्रज में पहुंचते-पहुंचते विषधारा बन जाती है। इसमें देश की राजधानी दिल्ली
की बड़ी भूमिका है। अकेले दिल्ली ही 17 विशाल नालों के माध्यम से यमुना
में प्रतिदिन 35 करोड़ लीटर गंदा पानी उड़ेल रही है।
कालिंदी की दुर्गति में इसे मां की तरह पूजने वाले ब्रजवासियों की भी भागीदारी है।
मथुरा और वृंदावन से दो दर्जन छोटे-बड़े नाले इसमें गिराए जा रहे हैं। हथिनी कुंड से कान्हा की नगरी तक 350 किलोमीटर का सफर तय करने वाली पतित पावनी यमुना करीब एक सैंकड़ा विशालकाय नालों का दंश झेल रही है।
कालिंदी की दुर्गति में इसे मां की तरह पूजने वाले ब्रजवासियों की भी भागीदारी है।
मथुरा और वृंदावन से दो दर्जन छोटे-बड़े नाले इसमें गिराए जा रहे हैं। हथिनी कुंड से कान्हा की नगरी तक 350 किलोमीटर का सफर तय करने वाली पतित पावनी यमुना करीब एक सैंकड़ा विशालकाय नालों का दंश झेल रही है।