बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

वाड्रा,गडकरी,वीरभद्र... अभी और न जाने कितने हैं इस हमाम में

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रेजिडेंट नितिन गडकरी अकेले नहीं हैं जिन्होंने अपने ड्राइवर मनोहर पनसे को रहस्यमय तरीके से अपनी 11 फर्मों का डायरेक्टर बनाया। यह लिस्ट काफी लंबी है। ऐसे कई नेता हैं जिनके चपरासी, क्लर्क और ड्राइवर रहस्यमय तरीके से रातोंरात लखपति बन गए, या फिर मालिक ने उन्हें अपनी कंपनियों में बड़े पदों पर बैठा दिया। इसके पीछे आखिर खेल क्या है, आप दिमाग पर थोड़ा जोर डालेंगे तो समझ जाएंगे।
'बेनामी लेनदेन का है पूरा खेल'
इन मामलों पर नजर रखने वाले अधिकारियों की मानें तो ऐसे कई नेता हैं जिन्होंने बेनामी लेनदेन को छिपाने के लिए अपनी कई फर्मों के डायरेक्टर अपने ड्राइवरों और चपरासियों का बनाया हुआ है। एक सीनियर ब्यूरोक्रेट कहते हैं, 'इन फर्मों में असल में लेनदेन होता है, लेकिन हर किसी को पता होता है कि करने वाला ऐसा कर ही नहीं सकता। उन्हें बस इस्तेमाल किया जा रहा होता है।'
बीजेपी सांसद के ड्राइवर, चपरासी का आदर्श में फ्लैट
बीजेपी के विवादित सांसद अजय संचेती की फर्म में ड्राइवर सुधाकर मडके और चपरासी सुरेश अतराम ने आदर्श सोसयटी में 60 लाख रुपये के फ्लैट लिए। आदर्श घोटोले की जांच के दौरान सुधाकर ने बताया कि वह कभी मुंबई गया ही नहीं है और फ्लैट की रकम उसे उसके मालिक ने बिना किसी गारंटी के लोन दी है। इसी तरह सुरेश को भी संचेती से यूं ही 60 लाख का लोन मिल गया। सांसद की फर्म ने आदर्श सोसायटी में फ्लैट खरीदने के लिए इस शर्त पर 10 लोगों को बिना गारंटी के लोन दिया कि अगर वह लौटा नहीं पाए तो फ्लैट फर्म को ट्रांसफर हो जाएंगे।
सब्जी वाले का भी आदर्श में फ्लैट
अगला मामला पुणे के कैंट इलाके में रहने वाले सब्जी विक्रेता विशाल केदारी का है। केदारी की मंथली इनकम 10 हजार रुपये है लेकिन उसने भी आदर्श में 60 लाख रुपये का फ्लैट लिया।
अधिकारी बताते हैं, 'आदर्श मामला उछलने के बाद सुधाकर, विशाल और सुरेश फ्लैट के मालिक हो गए।' एक पूर्व चीफ सेक्रेटरी की बात पर भरोसा करें तो ऐसे कई नेता हैं जो अपने बेनामी लेनदेन के लिए अपने ड्राइवरों, चपरासियों का इस्तेमाल करते हैं।

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