मथुरा। वेलकम टू द वर्ल्ड ऑफ न्यू लाइफस्टाइल एट 'अशोका सिटी'। फर्स्ट लर्निंग
प्लेटटफॉर्म फॉर योर किड्स इन योर होम, सो गिव हिम ए ड्रीम होम।
ये विज्ञापन है ''J S R हाउसिंग एण्ड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड'' का। यह ग्रुप शहर के पॉश इलाके डेम्पियर नगर में ''अशोका टावर'' के नाम से अपना एक प्रोजेक्ट लगभग पूरा कर चुका है जबकि इसके दो हाउसिंग प्रोजेक्ट फ्लोर पर हैं। इनमें से एक का नाम ''अशोका सिटी'' है और दूसरे का नाम है ''अशोका हाइट्स''। अशोका सिटी नेशनल हाइवे नम्बर दो पर गोवर्धन चौराहे के अति निकट होटल अभिनंदन से लगभग सटा हुआ प्रोजेक्ट है और अशोका हाइट्स भी नेशनल हाईवे पर ही स्पोर्ट्स स्टेडियम की ओर जाने वाले गनेशरा रोड के नाले पर खड़ा किया जा रहा है। अशोका हाइट्स का काफी काम पूरा भी हो चुका है।
त्यौहारी सीजन है, नवरात्रियां चल रही हैं। फिर इसी महीने ईद है और उसके बाद अगले महीने धनतेरस व दीपावली। जाहिर है कि इस अवसर का लाभ सभी उठाना चाहते हैं। एक ओर हर तरह का व्यापारी वर्ग है तो दूसरी ओर ग्राहक। मौका कोई नहीं चूकना चाहता।
व्यापारी इस दौरान अधिक से अधिक बिक्री करना चाहते हैं और ग्राहक चाहता है कि उसे जितना ज्यादा हो सके छूट का लाभ मिल जाए।
इस मामले में सर्वाधिक आकर्षक छूट या तो रीयल एस्टेट के कारोबारी देते हैं या फिर ऑटो मोबाइल के क्योंकि एक अदद अपना आशियाना तथा एक अदद चारपहिया हर आदमी का सपना जो होता है। इन्हीं सपने का सौदा करने को बहुत से लोग अपने-अपने तरीके से जाल बिछाते हैं। विज्ञापन का जाल इसमें बड़ी भूमिका अदा करता है।
अब देखने की चीज यह है कि ''गिव एण्ड टेक'' के इस खेल में जीत किसकी होती है क्योंकि बड़े धोखे भी हैं इस राह में।
हमारा मकसद इसी धोखे से आमजन को अवगत तथा सतर्क कराना है क्योंकि तमाम लोग प्रलोभन में आकर अपनी जिंदगीभर की पूंजी तो दांव पर लगा ही देते हैं, साथ ही कर्जदार भी बन जाते हैं और फिर उनके पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता।
सबसे पहले बात करते हैं J S R ग्रुप के प्रोजेक्ट ''अशोका हाइट्स'' की। यदि आप इस प्रोजेक्ट में अपना आशियाना बनाने का सपना संजोये हुए हैं अथवा निवेश कर चुके हैं या करने की मंशा रखते हैं तो कुछ जानकारियां अपने स्तर से कर लें अन्यथा आपको पछताना पड़ सकता है।
जो जानकारियां आपके लिए जरूरी हैं उनमें प्रमुख हैं-
1-क्या जिस जमीन पर प्रोजेक्ट खड़ा किया जा रहा है, उसका टाइटिल क्लीयर है?
2-क्या उसके लिए सभी जरूरी एनओसी प्राप्त कर ली गई हैं ?
3- डेवलेपमेंट अथॉर्टी से नक्शा पास कराया जा चुका है?
4-मौके पर जो निर्माण कार्य चल रहा है, वह एप्रूव्ड नक्शे के अनुरूप ही है या नहीं?
5-डेवलेपमेंट अथॉर्टी द्वारा भ्रष्टाचार के चलते निर्माण के दौरान देख-रेख में ऐसी उदासीनता तो नहीं बरती जा रही जो आपकी मेहनत की कमाई को बर्बाद करा दे?
6- जिन बैंकों से ग्रुप ने टाइ-अप किया है, उन बैंकों को दिये गये नक्शे और एप्रूव्ड नक्शे में कोई अंतर तो नहीं है?
7-अशोका हाइट्स जिस जमीन पर बनाया जा रहा है, उससे सटी हुई नाले के पास वाली जमीन सिंचाई विभाग की बताई गई है। सिंचाई विभाग से कहीं कोई विवाद तो शेष नहीं है?
8- ग्राम समाज की जमीन तो कहीं प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बना ली गई ?
9-किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक फलोर एरिया रेशियो (FAR) छोड़ा गया है या नहीं?
10-वाहन पार्किंग के लिए पैसा तो फ्लैट की कीमत के साथ हर बिल्डर वसूल रहा है लेकिन क्या पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की गई है?
11-किसी प्राकृतिक या संभावित आपदा के वक्त जान-माल का कम से कम नुकसान होने के लिए आवश्यक कदम (सेट बैक) उठाये गये हैं अथवा नहीं?
हमारे द्वारा ये जानकारियां आपको इसलिए दी जा रही हैं क्योंकि अशोका हाइट्स के निर्माण में भारी अनियमितताएं बरते जाने की सूचना विभिन्न सम्बन्धित सरकारी विभागों से प्राप्त हुई हैं।
उदाहरण के लिए जितने फ्लैट मौके पर मौजूद हैं, उतने फ्लैट्स का नक्शा एमवीडीए से पास नहीं है।
इस बावत लोगों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि बाद में विभाग से FAR परचेज कर लिया जायेगा और फ्लैट्स को कम्पाउण्ड कराकर पैनल्टी अदा कर दी जायेगी।
माना कि भ्रष्टाचार के इस दौर में बहुत-कुछ संभव है लेकिन सब-कुछ नहीं। अशोक खेमका जैसे ईमानदार अफसर भी मौजूद हैं जिनके लिए जनहित सबसे ऊपर रहता है।
इसी प्रकार ''अशोका सिटी'' में गंगा, यमुना, कावेरी तथा गोदावरी नाम से कुल चार टावर खड़े किये जा रहे हैं।
यदि आप इन टावरों में से किसी में बसने जा रहे हैं अथवा निवेश करने का मन बना चुके हैं तो ऊपर दी गई जानकारियों के अतिरिक्त ''अशोका सिटी'' के बारे में अपने स्तर से यह पता जरूर कर लें कि गंगा व यमुना की तरह कावेरी व गोदावरी का नक्शा भी क्या पास करा लिया गया है अथवा नहीं?
नेशनल हाईवे नम्बर दो का सिक्स लेन होना प्रस्तावित है और उसके लिए शीघ्र काम भी शुरू होने जा रहा है अत: क्या J S R ग्रुप ने अन्य विभागों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (N O C) हासिल कर लिया है?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार J S R ग्रुप ने फाइनेंस कराने के लिए जिन बैंकों से टाइ-अप किया है उनमें स्टेट बैंक मेन ब्रांच मथुरा, आईसीआईसीआई मथुरा तथा ओबीसी वृंदावन (मथुरा) प्रमुख हैं। इनके अलावा इंडिया बुल्स भी J S R ग्रुप के प्रोजेक्ट पर फाइनेंस कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक एप्रूवल को दरकिनार कर मनमाने तरीके से बनाये गये प्रोजेक्ट पर किन्हीं भी स्थितियों में किसी संस्था द्वारा यदि फाइनेंस किया जाता है तो वह गैरकानूनी होगा, अत: विवाद का कारण भी बनेगा।
ऐसे में बात अगर न्यायपालिका तक पहुंचती है तो बेशक इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी फंसेंगे पर पीड़ित पक्ष सर्वाधिक सफर करेगा क्योंकि इसमें काफी समय जाया होने की संभावना रहती है।
यही बात उन सरकारी विभागों के अफसरान पर भी लागू होती है जो आज निजी स्वार्थों के वशीभूत आंखें बंद किये बैठे हैं। वह हर रोज इन इमारतों की लंबाई बढ़ते देख रहे हैं क्योंकि लंबाई के साथ उनके सुविधा शुल्क का रेशियो भी बढ़ रहा है।
अब बात आती है ''अशोका टावर'' की। बताया जाता है कि डैम्पियर नगर स्थित अहिल्या बाई चौक के निकट खड़ी की गई इस इमारत के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई हैं। ये अनियमितताएं वहां बसने जा रहे परिवारों के सामने निकट भविष्य में परेशानी का कारण बन सकती हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि रीयल एस्टेट के कारोबार में विभिन्न कारणों से हर ग्रुप थोड़ी-बहुत ऊंच-नीच करता है लेकिन J S R ग्रुप के बावत ''लीजेण्ड न्यूज़'' को जो जानकारियां मिलीं, वह चौंकाने वाली हैं।
अनियमितताओं का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि ग्रुप द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं के कारण एक हिस्सेदार विगत माह अपना हिस्सा लेकर अलग हो चुके हैं जबकि एक ठेकेदार कोर्ट की शरण ले चुका है।
महाभारत नायक योगीराज कृष्ण की नगरी में आसमान छूती जमीन की कीमतों के बावजूद अपना एक घर बसाने की तमन्ना सभी के मन में होती है और इसीलिए निवेशकों का भी झुकाव इस ओर काफी है पर देखना यह भी जरूरी है कि आटे में नमक की जगह यदि कोई नमक में आटे का इस्तेमाल करके आपकी आंखों में धूल तो नहीं झोंक रहा।
ये विज्ञापन है ''J S R हाउसिंग एण्ड डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड'' का। यह ग्रुप शहर के पॉश इलाके डेम्पियर नगर में ''अशोका टावर'' के नाम से अपना एक प्रोजेक्ट लगभग पूरा कर चुका है जबकि इसके दो हाउसिंग प्रोजेक्ट फ्लोर पर हैं। इनमें से एक का नाम ''अशोका सिटी'' है और दूसरे का नाम है ''अशोका हाइट्स''। अशोका सिटी नेशनल हाइवे नम्बर दो पर गोवर्धन चौराहे के अति निकट होटल अभिनंदन से लगभग सटा हुआ प्रोजेक्ट है और अशोका हाइट्स भी नेशनल हाईवे पर ही स्पोर्ट्स स्टेडियम की ओर जाने वाले गनेशरा रोड के नाले पर खड़ा किया जा रहा है। अशोका हाइट्स का काफी काम पूरा भी हो चुका है।
त्यौहारी सीजन है, नवरात्रियां चल रही हैं। फिर इसी महीने ईद है और उसके बाद अगले महीने धनतेरस व दीपावली। जाहिर है कि इस अवसर का लाभ सभी उठाना चाहते हैं। एक ओर हर तरह का व्यापारी वर्ग है तो दूसरी ओर ग्राहक। मौका कोई नहीं चूकना चाहता।
व्यापारी इस दौरान अधिक से अधिक बिक्री करना चाहते हैं और ग्राहक चाहता है कि उसे जितना ज्यादा हो सके छूट का लाभ मिल जाए।
इस मामले में सर्वाधिक आकर्षक छूट या तो रीयल एस्टेट के कारोबारी देते हैं या फिर ऑटो मोबाइल के क्योंकि एक अदद अपना आशियाना तथा एक अदद चारपहिया हर आदमी का सपना जो होता है। इन्हीं सपने का सौदा करने को बहुत से लोग अपने-अपने तरीके से जाल बिछाते हैं। विज्ञापन का जाल इसमें बड़ी भूमिका अदा करता है।
अब देखने की चीज यह है कि ''गिव एण्ड टेक'' के इस खेल में जीत किसकी होती है क्योंकि बड़े धोखे भी हैं इस राह में।
हमारा मकसद इसी धोखे से आमजन को अवगत तथा सतर्क कराना है क्योंकि तमाम लोग प्रलोभन में आकर अपनी जिंदगीभर की पूंजी तो दांव पर लगा ही देते हैं, साथ ही कर्जदार भी बन जाते हैं और फिर उनके पास हाथ मलने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाता।
सबसे पहले बात करते हैं J S R ग्रुप के प्रोजेक्ट ''अशोका हाइट्स'' की। यदि आप इस प्रोजेक्ट में अपना आशियाना बनाने का सपना संजोये हुए हैं अथवा निवेश कर चुके हैं या करने की मंशा रखते हैं तो कुछ जानकारियां अपने स्तर से कर लें अन्यथा आपको पछताना पड़ सकता है।
जो जानकारियां आपके लिए जरूरी हैं उनमें प्रमुख हैं-
1-क्या जिस जमीन पर प्रोजेक्ट खड़ा किया जा रहा है, उसका टाइटिल क्लीयर है?
2-क्या उसके लिए सभी जरूरी एनओसी प्राप्त कर ली गई हैं ?
3- डेवलेपमेंट अथॉर्टी से नक्शा पास कराया जा चुका है?
4-मौके पर जो निर्माण कार्य चल रहा है, वह एप्रूव्ड नक्शे के अनुरूप ही है या नहीं?
5-डेवलेपमेंट अथॉर्टी द्वारा भ्रष्टाचार के चलते निर्माण के दौरान देख-रेख में ऐसी उदासीनता तो नहीं बरती जा रही जो आपकी मेहनत की कमाई को बर्बाद करा दे?
6- जिन बैंकों से ग्रुप ने टाइ-अप किया है, उन बैंकों को दिये गये नक्शे और एप्रूव्ड नक्शे में कोई अंतर तो नहीं है?
7-अशोका हाइट्स जिस जमीन पर बनाया जा रहा है, उससे सटी हुई नाले के पास वाली जमीन सिंचाई विभाग की बताई गई है। सिंचाई विभाग से कहीं कोई विवाद तो शेष नहीं है?
8- ग्राम समाज की जमीन तो कहीं प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बना ली गई ?
9-किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक फलोर एरिया रेशियो (FAR) छोड़ा गया है या नहीं?
10-वाहन पार्किंग के लिए पैसा तो फ्लैट की कीमत के साथ हर बिल्डर वसूल रहा है लेकिन क्या पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था की गई है?
11-किसी प्राकृतिक या संभावित आपदा के वक्त जान-माल का कम से कम नुकसान होने के लिए आवश्यक कदम (सेट बैक) उठाये गये हैं अथवा नहीं?
हमारे द्वारा ये जानकारियां आपको इसलिए दी जा रही हैं क्योंकि अशोका हाइट्स के निर्माण में भारी अनियमितताएं बरते जाने की सूचना विभिन्न सम्बन्धित सरकारी विभागों से प्राप्त हुई हैं।
उदाहरण के लिए जितने फ्लैट मौके पर मौजूद हैं, उतने फ्लैट्स का नक्शा एमवीडीए से पास नहीं है।
इस बावत लोगों को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि बाद में विभाग से FAR परचेज कर लिया जायेगा और फ्लैट्स को कम्पाउण्ड कराकर पैनल्टी अदा कर दी जायेगी।
माना कि भ्रष्टाचार के इस दौर में बहुत-कुछ संभव है लेकिन सब-कुछ नहीं। अशोक खेमका जैसे ईमानदार अफसर भी मौजूद हैं जिनके लिए जनहित सबसे ऊपर रहता है।
इसी प्रकार ''अशोका सिटी'' में गंगा, यमुना, कावेरी तथा गोदावरी नाम से कुल चार टावर खड़े किये जा रहे हैं।
यदि आप इन टावरों में से किसी में बसने जा रहे हैं अथवा निवेश करने का मन बना चुके हैं तो ऊपर दी गई जानकारियों के अतिरिक्त ''अशोका सिटी'' के बारे में अपने स्तर से यह पता जरूर कर लें कि गंगा व यमुना की तरह कावेरी व गोदावरी का नक्शा भी क्या पास करा लिया गया है अथवा नहीं?
नेशनल हाईवे नम्बर दो का सिक्स लेन होना प्रस्तावित है और उसके लिए शीघ्र काम भी शुरू होने जा रहा है अत: क्या J S R ग्रुप ने अन्य विभागों के साथ-साथ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र (N O C) हासिल कर लिया है?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार J S R ग्रुप ने फाइनेंस कराने के लिए जिन बैंकों से टाइ-अप किया है उनमें स्टेट बैंक मेन ब्रांच मथुरा, आईसीआईसीआई मथुरा तथा ओबीसी वृंदावन (मथुरा) प्रमुख हैं। इनके अलावा इंडिया बुल्स भी J S R ग्रुप के प्रोजेक्ट पर फाइनेंस कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक एप्रूवल को दरकिनार कर मनमाने तरीके से बनाये गये प्रोजेक्ट पर किन्हीं भी स्थितियों में किसी संस्था द्वारा यदि फाइनेंस किया जाता है तो वह गैरकानूनी होगा, अत: विवाद का कारण भी बनेगा।
ऐसे में बात अगर न्यायपालिका तक पहुंचती है तो बेशक इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी फंसेंगे पर पीड़ित पक्ष सर्वाधिक सफर करेगा क्योंकि इसमें काफी समय जाया होने की संभावना रहती है।
यही बात उन सरकारी विभागों के अफसरान पर भी लागू होती है जो आज निजी स्वार्थों के वशीभूत आंखें बंद किये बैठे हैं। वह हर रोज इन इमारतों की लंबाई बढ़ते देख रहे हैं क्योंकि लंबाई के साथ उनके सुविधा शुल्क का रेशियो भी बढ़ रहा है।
अब बात आती है ''अशोका टावर'' की। बताया जाता है कि डैम्पियर नगर स्थित अहिल्या बाई चौक के निकट खड़ी की गई इस इमारत के निर्माण में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई हैं। ये अनियमितताएं वहां बसने जा रहे परिवारों के सामने निकट भविष्य में परेशानी का कारण बन सकती हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं कि रीयल एस्टेट के कारोबार में विभिन्न कारणों से हर ग्रुप थोड़ी-बहुत ऊंच-नीच करता है लेकिन J S R ग्रुप के बावत ''लीजेण्ड न्यूज़'' को जो जानकारियां मिलीं, वह चौंकाने वाली हैं।
अनियमितताओं का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि ग्रुप द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं के कारण एक हिस्सेदार विगत माह अपना हिस्सा लेकर अलग हो चुके हैं जबकि एक ठेकेदार कोर्ट की शरण ले चुका है।
महाभारत नायक योगीराज कृष्ण की नगरी में आसमान छूती जमीन की कीमतों के बावजूद अपना एक घर बसाने की तमन्ना सभी के मन में होती है और इसीलिए निवेशकों का भी झुकाव इस ओर काफी है पर देखना यह भी जरूरी है कि आटे में नमक की जगह यदि कोई नमक में आटे का इस्तेमाल करके आपकी आंखों में धूल तो नहीं झोंक रहा।
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