गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार गांधी परिवार पर हमला बोल
रहे हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद पर लगे आरोपों पर वे
चुप हैं। ऎसे में सवाल उठता है कि आखिर मोदी चुप क्यों हैं। एक समाचार
पत्र के मुताबिक मोदी की इस चुप्पी की वजह है उनकी सरकार की ओर से डीएलएफ
को सस्ती दर पर दी गई जमीन। समाचार पत्र के मुताबिक 2007 में गुजरात सरकार
ने डीएलएफ को गांधीनगर में सस्ती रेट पर एक लाख स्कवेयर मीटर लैण्ड दी थी।
गुजरात कांग्रेस के सभी सांसदों और विधायकों ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को जून 2011 में एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया था कि बिना नीलामी के डीएलएफ को जमीन दे दी गई।
इससे गुजरता सरकार को 253 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। ज्ञापन में कहा गया कि डीएएलएफ को जो जमीन दी गई उस समय उसकी मार्केट वैल्यू काफी ज्यादा थी।
ज्ञापन के मुताबिक मोदी सरकार ने डीएलएफ को जमीन सेज विकसित करने के लिए आवंटित की थी लेकिन कंपनी ने सेज विकसित करने के जारी अधिसूचना को रद्द करवा दिया और उसे आईटी पार्क में तब्दील करवा दिया। 2009 में गुजरात सरकार ने अधिसूचना को रद्द किया था। गुजरात कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए डीएलएफ को गांधीनगर में पांच हजार प्रति स्कवेयर मीटर जमीन दी। कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक डीएएलएफ को मार्केट से कम कीमत पर जमीन दी गई क्योंकि उस वक्त जमीन की कीमत 30 हजार प्रति स्कवेयर मीटर थी।
हालांकि इस मामले की जांच के लिए गठित समिति ने मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है। मोदी सरकार ने मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति ने सस्ती दर पर जमीन देने के 14 अन्य मामलों में भी मोदी सरकार को क्लीन चिट दी थी। मोदी सरकार ने 3 अक्टूबर को समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर इसे राज्यपाल के पास भेज दिया था। इसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजकोट में रैली की थी।
कांग्रेस ने शाह आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया लेकिन डीएलएफ पर वह कुछ भी बोलने से कतरा रही है।
गुजरात कांग्रेस के सभी सांसदों और विधायकों ने पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को जून 2011 में एक ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया था कि बिना नीलामी के डीएलएफ को जमीन दे दी गई।
इससे गुजरता सरकार को 253 करोड़ रूपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। ज्ञापन में कहा गया कि डीएएलएफ को जो जमीन दी गई उस समय उसकी मार्केट वैल्यू काफी ज्यादा थी।
ज्ञापन के मुताबिक मोदी सरकार ने डीएलएफ को जमीन सेज विकसित करने के लिए आवंटित की थी लेकिन कंपनी ने सेज विकसित करने के जारी अधिसूचना को रद्द करवा दिया और उसे आईटी पार्क में तब्दील करवा दिया। 2009 में गुजरात सरकार ने अधिसूचना को रद्द किया था। गुजरात कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने नियमों का उल्लंघन करते हुए डीएलएफ को गांधीनगर में पांच हजार प्रति स्कवेयर मीटर जमीन दी। कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक डीएएलएफ को मार्केट से कम कीमत पर जमीन दी गई क्योंकि उस वक्त जमीन की कीमत 30 हजार प्रति स्कवेयर मीटर थी।
हालांकि इस मामले की जांच के लिए गठित समिति ने मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी है। मोदी सरकार ने मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति ने सस्ती दर पर जमीन देने के 14 अन्य मामलों में भी मोदी सरकार को क्लीन चिट दी थी। मोदी सरकार ने 3 अक्टूबर को समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर इसे राज्यपाल के पास भेज दिया था। इसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजकोट में रैली की थी।
कांग्रेस ने शाह आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया लेकिन डीएलएफ पर वह कुछ भी बोलने से कतरा रही है।
hamam ka seen hai ek saa
जवाब देंहटाएंbadhiya hai modi ji.ek chup 100 ko harati hai..
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