बुधवार, 21 मई 2014

सारे नियम ताक पर रख कर सचिन को दिया भारत रत्‍न

नई दिल्ली। 
देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल एक आरटीआई से मांगी गई जानकारी के दौरान यह खुलासा हुआ है कि देश के हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की फाइल सरकारी मंत्रालयों में कई महीनों तक घूमती रही। ठीक उसी वक्त पूर्व भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की भारत रत्न से जुड़ी फाइल की एंट्री हुई और उन्हें भारत रत्न का सम्मान दिए जाने पर केंद्र सरकार ने अंतिम मुहर लगा दी।
आरटीआई से यह खुलासा हुआ है कि सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। ध्यानचंद को भारत रत्न दिए जाने से जुड़ी फाइल सरकारी मंत्रालयों में चार महीनों तक घूमती रही। इसी बीच सचिन तेंदुलकर के फाइल की एंट्री हुई और वह देश के सबसे बड़े सम्मान यानी भारत रत्न लेने के मामले में बाजी मार गए क्योंकि इसके लिए सभी नियमों को दरकिनाकर कर दिया गया था। गौरतलब है कि 2014 में चार फरवरी को राज्य सभा सांसद सचिन तेंदुलकर को भारत के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान 'भारत रत्‍न' से नवाजा गया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सचिन तेंदुलकर को यह सम्मान प्रदान किया था।
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर भारत सरकार ने 2013 में ध्यान चंद को भारत रत्न देने की पूरी तैयारी कर ली थी तो फिर उसे अचानक क्यूं बदल दिया गया? खेल मंत्रालय ने ध्यान चंद को भारत रत्न देने की सिफारिश की थी लेकिन खेल मंत्रालय को भारत सरकार ने यह नहीं बताया कि उसकी सिफारिश को क्यों नामंजूर किया गया। यह भी बड़ा सवाल है कि कैसे जानबूझकर ध्यान चंद के उस फाइल की अनदेखी होती रही जो देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से जुड़ी फाइल थी।
सचिन ने पिछले साल नवंबर 2013 में मुबंई में वेस्‍टइंडीज के खिलाफ अपना अंतिम 200वां टेस्‍ट खेलकर संन्‍यास ले लिया था। सचिन क्रिकेट की दुनिया में रिकॉर्डों के बादशाह कहे जाते हैं। सचिन ने अपने करियर में कुल 200 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने टेस्ट मैचों में 53.78 की औसत से कुल 15921 रन बनाए हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनका उच्चतम स्कोर 248 रन है, जो उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ ढाका में बनाए थे। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 51 शतक और 68 अर्धशतक जमाए हैं। इसी तरह वनडे क्रिकेट में उन्होंने कुल 463 मैच खेले हैं। वनडे की 452 पारियों में उन्होंने 44.83 की औसत से 18426 रन बनाए हैं। इसमें 49 शतक और 96 अर्धशतक शामिल हैं।
दूसरी तरफ हॉकी के जादूगर कहे जानेवाले ध्यान चंद ने भारत के लिए तीन ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीते थे- 1928 (ऐम्सटर्डम), 1932 (लॉस एंजिलिस), और 1936 (बर्लिन)। हॉकी के इस महान खिलाड़ी ने सन 1979 में दुनिया को अलविदा कह दिया था। ध्यान चंद ने आजादी के पहले वाले भारत में इस खेल के प्रति भारतीयों में एक जुनून पैदा कर दिया था।
-एजेंसी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया बताते चलें कि ये पोस्‍ट कैसी लगी ?

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...