रविवार, 2 दिसंबर 2012

300 करोड़ खर्च, फिर भी यमुना मैली

सरकार ने कहा है कि यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए पिछले चार साल में करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने बताया कि सरकार ने यमुना कार्य योजना के तहत इस नदी के संरक्षण के लिए 2009-10 में 105 करोड़ रुपये जारी किए थे, जबकि 2010-11 में 111.49 करोड़ रुपये और 2011-12 में 47.06 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अब तक 40.42 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
उन्होंने दर्शन सिंह यादव के सवालों के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भी यमुना नदी के प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए सभी संबंधित प्राधिकरणों से ठोस एवं सामूहिक प्रयास करने के लिए कहा था।
नदियों के संरक्षण को केंद्र एवं राज्य सरकारों का सतत एवं सामूहिक प्रयास बताते हुए नटराजन ने कहा कि यमुना कार्य योजना के पहले और दूसरे चरणों के तहत उत्तर प्रदेश के 21 शहरों और हरियाणा एवं दिल्ली में 40 मलजल शोधन संयंत्रों सहित कुल 296 स्कीमों को पूरा किया गया है। उन्होंने बताया कि जून 2012 तक 1438.34 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इस राशि में राज्यों के हिस्से भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2011 में 1656 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से दिल्ली की खातिर यमुना कार्ययोजना के तीसरे चरण की परियोजना का अनुमोदन किया है। नटराजन ने मोहन सिंह के एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि 2001 से 2011 के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में सल्फर डाईआक्साइड का स्तर राष्ट्रीय वायुमंडल गुणवत्ता मानदंडों के भीतर था। लेकिन नाइट्रोजन डाईआक्साइड और पीएम10 के स्तर निर्धारित मानदंडों से अधिक थे।
उन्होंने कहा कि श्वास संबधी रोगों में वद्धि जैसे स्वास्थ्य प्रभावों को प्रदूषण से जोड़ा जा सकता है। हालांकि विभिन्न कारकों की वजह से प्रदूषण और परिणामी स्वास्थ्य प्रभावों के बीच सहसंबंध दर्शाने वाला कोई निर्णायक आंकड़ा स्थापित नहीं हुआ है।

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