मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

माननीयों के अवैध कब्‍जे में है 36 सरकारी बंगले

नई दिल्‍ली 
चाहे पूर्व केंद्रीय मंत्री हो, या कलाकार, पत्रकार या पूर्व अधिकारी या फिर मौजूदा अधिकारी, पात्रता खत्म हो जाने के बावजूद सरकारी बंगले या मकान का मोह नहीं छोड़ पा रहे. सूचना के अधिकार के तहत केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने 36 ऐसे पूर्व मंत्रियों की सूची जारी की है, जो मंत्री के तौर पर आवंटित बंगले में ही डटे हुए हैं. इस सूची में किसी एक पार्टी के नेता का नहीं, बल्कि कई पार्टियों के नेता शामिल हैं.
मंत्रालय की ओर से जारी सूची में लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, अंबिका सोनी, अजय माकन, सी.पी. जोशी, शरद यादव, रविशंकर प्रसाद, यशवंत सिन्हा, पवन कुमार बंसल, सुबोध कांत सहाय, दयानिधि मारन, ए. राजा, मुरली मनोहर जोशी, मुकुल वासनिक, रघुवंश प्रसाद सिंह, एस.एम. कृष्णा, एम.एस. गिल, दिनेश त्रिवेदी, डा. कर्ण सिंह, सैफुद्दीन सोज सरीखे नेताओं के नाम शामिल हैं.
हालांकि अपने जवाब में मंत्रालय ने दलील दी है कि मौजूदा गाइडलाईन के मुताबिक, पूर्व मंत्री तब तक मंत्री के तौर पर आवंटित बंगले में रह सकते हैं जब तक कि संबंधित सदन लोकसभा या राज्यसभा की हाउस कमिटी ओर से उन्हें पात्र आवास मुहैया नहीं कराया जाता. लेकिन मंत्रालय ने इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित होने का जिक्र नहीं किया है.
इस सूची से साफ है कि एनडीए सरकार में मंत्री रहे नेता आज करीब 10 साल बाद भी उसी बंगले में डटे हुए हैं, जो उन्हें वाजपेयी सरकार में मंत्री होने की वजह से मिला था. इसी तरह मनमोहन सरकार के कई मंत्री रहे कई नेता आज भी मंत्री के तौर पर मिले बंगले से बाहर नहीं जा रहे.
आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष चंद्र अग्रवाल के मुताबिक, इसी साल 5 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अपात्र लोगों को सरकारी बंगले से हटाने की बात कही थी, लेकिन सरकार उस पर अमल नहीं कर रही.
सूचना के अधिकार के तहत शहरी विकास मंत्रालय ने बताया है कि ऐसे 142 मकान हैं जिनमें पात्रता खत्म होने और विस्तार मिलने के बावजूद पूर्व सरकारी अधिकारी, पत्रकार और मौजूदा सरकारी अधिकारी अवैध तरीके से मकान में डटे हुए हैं. पूर्व अधिकारियों यूपीएससी के पूर्व सदस्य, गृह मंत्रालय, कैबिनेट सचिवालय, पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य, ट्राई के सदस्य, सेवानिवृत मुख्य आयकर आयुक्त आदि शामिल हैं. शहरी विकास मंत्रालय ने इन बंगलों और मकानों को खाली कराने के लिए क्या प्रयास किए हैं, इसकी सूचना जवाब में नहीं दी है.
-एजेंसी

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