शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

मथुरा से तय होगा मुलायम का PM बनना!

लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष
 अपनी आंखों में प्रधानमंत्री बनने का सपना संजोए बैठे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को उत्‍तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों को इस आशय की चेतावनी दी है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में जिन मंत्रियों के क्षेत्र से पार्टी प्रत्‍याशी को हार का मुंह देखना पड़ेगा, उन्‍हें अपने राजनीतिक भविष्‍य का खुद ही फैसला करना होगा। मुलायम सिंह का स्‍पष्‍ट संकेत यह था कि हार का मुंह देखने के लिए वहां से ताल्‍लुक रखने वाले मंत्री जिम्‍मेदार माने जायेंगे और इसके लिए उन्‍हें अपना पद तक गंवाना पड़ सकता है।
मुलायम सिंह ने साफ कहा कि उनके पास ऐसी रिपोर्ट है जिससे पता लगता है कि कई मंत्री ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।
सपा मुखिया की रिपोर्ट पर तो किसी को कोई शक क्‍यों होने लगा लेकिन जिन लोकसभा क्षेत्रों को लेकर अभी से शक है, उनके लिए पार्टी क्‍या कर रही है?
महत्‍वपूर्ण बात यह है कि इन क्षेत्रों से प्रदेश सरकार में किसी की नुमाइंदगी तो दूर, विधायक तक नहीं है।
अब बड़ा सवाल यहां यह खड़ा होता है कि ऐसी जगहों पर शिकस्‍त मिलने का ठीकरा समाजवादी पार्टी किसके सिर फोड़ेगी, किसे अपने राजनीतिक भविष्‍य पर सोचने को बाध्‍य करेगी और कैसे यहां अपनी जमीन तैयार करेगी।
यदुवंशी श्रीकृष्‍ण की जन्‍मस्‍थली मथुरा का नाम एक ऐसे ही जिले के रूप में दर्ज है जहां आज तक समाजवादी पार्टी अपना कोई जनाधार खड़ा करने में सफल नहीं हुई।

यहां सपा का न तो पहले कभी कोई विधायक या सांसद चुना गया और ना गत विधानसभा चुनावों में सफलता मिली। पूरी ताकत झोंकने के बावजूद संजय लाठर मांट का विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके, वो भी तब जबकि समाजवादी पार्टी स्‍पष्‍ट बहुमत से प्रदेश की सत्‍ता पर काबिज हो चुकी थी।
कुल मिलाकर कहने का तात्‍पर्य यह है कि अब तक समाजवादी पार्टी के लिए ऊसर रही ब्रज की भूमि को उर्वरा बनाने के लिए पार्टी क्‍या कर रही है, और अगर इस मर्तबा भी सफलता का स्‍वाद चखने को नहीं मिला तो पार्टी मुखिया किसके राजनीतिक भविष्‍य पर सवालिया निशान लगायेंगे?
क्‍या उनके जिनका अपना कोई राजनीतिक भविष्‍य है ही नहीं, या फिर उनके जो यहां के प्रभारी तो बने बैठे हैं लेकिन उन्‍हें यहां की राजनीतिक लाभ-हानि से कोई निजी नफा-नुकसान नहीं होने वाला और जिस कारण वह इस धर्मनगरी के लोगों की, यहां की समस्‍याओं की तथा यहां की अपेक्षाओं की लगातार उपेक्षा कर रहे हैं।
आश्‍चर्य की बात तो यह है कि सरकार के जिम्‍मेदार प्रतिनिधि  कृष्‍ण की नगरी के समाजवादियों तक को एकजुट करने में असफल रहे हैं और यही कारण है कि राजनीतिक नज़रिए से अति महत्‍वपूर्ण मथुरा नगरी भारी गुटबाजी का शिकार है।
गुटबाजी के चलते गत दिनों पार्टी के पूर्व जिलाध्‍यक्ष ठाकुर किशोर सिंह सहित कुल तीन पदाधिकारियों दौलतराम चतुर्वेदी व तुलसी शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिस पर फैसला होना बाकी है।
बताया जाता है कि इन तीनों पार्टी पदाधिकारियों ने अपने-अपने नोटिस का जवाब तो दे दिया है लेकिन हाईकमान को निर्णय लेने का समय नहीं मिला। 
बहरहाल, सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की चेतावनी के बारे में पार्टी के जिलाध्‍यक्ष गुरुदेव शर्मा से जब यह पूछा गया कि मथुरा से न तो सरकार में कोई मंत्री है और न विधायक, फिर यहां यदि लोकसभा चुनावों में जीत हासिल नहीं होती तो पार्टी किसे जिम्‍मेदार मानेगी और किसे नापेगी, तो उनका जवाब था कि ऐसे में हार की जिम्‍मेदारी मैं अपने ऊपर लूंगा।
उल्‍लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी ने जिन जिलों में अपने लोकसभा प्रत्‍याशियों के नाम  बहुत पहले ही घोषित कर दिए थे, उनमें मथुरा से ठाकुर चंदन सिंह भी हैं लेकिन चंदन सिंह विभिन्‍न कारणों से अब तक वैसी रफ्तार नहीं पकड़ पाये, जैसी किसी संभावित जिताऊ प्रत्‍याशी को पकड़ लेनी चाहिए थी।
इस बावत पार्टी के जिलाध्‍यक्ष गुरुदेव शर्मा कहते हैं कि मीडिया में हमारा लोकसभा प्रत्‍याशी फिलहाल आवश्‍यक जगह नहीं बना पाया, इसमें कोई संदेह नहीं। वह इसका कारण प्रत्‍याशी की निजी सोच बताते हैं। उल्‍लेखनीय है कि ठाकुर चंदन सिंह को प्रत्‍याशी बनाए जाने के कारण ही मथुरा के समाजवादी कई-कई खेमों में बंटे हैं। एक खेमा मानता है कि उनसे ज्‍यादा सक्षम प्रत्‍याशी समाजवादी पार्टी को दूसरा कोई नहीं मिल सकता लेकिन दूसरे और तीसरे खेमे की राय में वह ऐसे भुने हुए चने हैं जिससे समाजवादी पार्टी का 'कुल्‍ला' फूटना नामुमकिन है।
अब 'कोढ़ में खाज' की कहावत को चरितार्थ करने वाली ऐसी जबर्दस्‍त गुटबाजी के चलते समाजवादी पार्टी यहां अपना खाता खोल पायेगी, इसमें शक होना स्‍वाभाविक है।
संभवत: इसीलिए अक्‍सर पार्टी प्रत्‍याशी को बदलने की बातें भी उठती रहती हैं और पार्टी के कुछ लोग तो ऐसा दावा करते हैं।
ऐसे में यदि यहां के लोकसभा प्रत्‍याशी को हार का मुंह देखना पड़ता है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि पार्टी उसका ठीकरा किसके सिर फोड़ती है या कौन अपने सिर उसकी जिम्‍मेदारी ओढ़ता है क्‍योंकि मथुरा में किसी समाजवादी के पास खोने को कुछ है ही नहीं।
लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि यादवों की पार्टी को अगर यदुवंशी श्रीकृष्‍ण की जन्‍भूमि का गौरव प्राप्‍त मथुरा जैसी विश्‍व विख्‍यात धर्मनगरी में सफलता मिल जाती है तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का प्रधानमंत्री बनने का सपना साकार हो सकता है क्‍योंकि यहां से जीत पर ही उत्‍तर प्रदेश में मिलने वाली कुल सीटों का निर्धारण होगा और तय होगा कि नंबरों के खेल में बाजी किसके हाथ लगती है।
मुलायम व उनकी समाजवादी पार्टी ही क्‍यों......भाजपा, कांग्रेस व बसपा पर भी लागू होती है यह बात......क्‍योंकि इनमें से जो पार्टी मथुरा की लोकसभा सीट निकाल ले जाती है, यह लगभग तय है कि उसे फिर उत्‍तर प्रदेश में 40 से अधिक सीटें मिल जायेंगी। और जिसे यूपी में 40 से अधिक सीटें मिल गईं...... वह किंगमेकर तो होगा ही, किंग भी हो सकता है।

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