सोमवार, 3 जुलाई 2023

मथुरा में कोर्ट के आदेश से केनरा बैंक के 8 अधिकारी और कर्मचारियों पर भ्रष्‍टाचार की FIR दर्ज


 एक ओर जहां केंद्र सरकार व उसका वित्त मंत्रालय भरसक इस कोशिश में लगा है कि न तो बैंकों पर NPA यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स का बोझ बढ़े और न बैंकें किसी उद्योगपति या व्‍यापारी के सामने ऐसी स्‍थितियां उत्पन्न करें कि वह चाहते हुए भी ऋण की अदायगी कर पाने में खुद को असहाय महसूस करने लगे। लेकिन ऐसा हो रहा है, और लगातार हो रहा है क्‍योंकि बैंकें तथा उसके अधिकांश अधिकारी व कर्मचारी बैंक की बजाय निजी हित साधने में लग जाते हैं। वह उन परिस्‍थितियों का लाभ उठाकर निजी स्‍वार्थ पूरा करने की कोशिश करते हैं जबकि वह चाहें तो सेटलमेंट करके लोन लेने वाले के साथ-साथ बैंक को भी बंधनमुक्त करने का काम कर सकते हैं। 

बैंक अधिकारी एवं कर्मचारियों की ऐसी ही बदनीयती का एक मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद से सामने आया है, जिसके बाद कोर्ट ने संबंधित बैंक के 8 अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में FIR दर्ज करने के आदेश दिए और अब पुलिस फिलहाल इसकी जांच कर रही है। 
केनरा बैंक की महोली रोड शाखा से जुड़े इस मामले में CJM मथुरा के आदेश पर हाईवे थाना पुलिस ने 17 जून 2023 की रात 8 बजे बैंककर्मियों क्रमश: हिमांशु मित्तल, जीके मेहरा, बी. अनंतराव, नईम अख्‍तर, बीएस सत्यार्थी, पंकज, सीजी पासवान तथा पुनीत गौड़ के खिलाफ IPC की धारा 420, 467, 468, 471, 384, 504, 506 और 120 बी के तहत केस दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। 
इस संबंध में वादी श्रीमती नीलिमा खंडेलवाल पत्‍नी श्री उमेश खंडेलवाल डायरेक्‍टर WIC-CHEM (P) LTD. निवासी C-38 इंडस्‍ट्रियल एरिया, साइट A, थाना हाईवे जिला मथुरा द्वारा दायर प्रकीर्ण वाद संख्‍या 746/2023 के अनुसार उन्‍होंने और उनके पति उमेश खंडेलवाल ने सिंडीकेट बैंक (सम्‍प्रति केनरा बैंक) की महोली रोड शाखा से 74 लाख 50 हजार रुपए का लोन लिया था। इस लोन के लिए नीलिमा व उमेश खंडेलवाल द्वारा कंपनी की जमीन, बिल्‍डिंग एवं मशीनरी दृष्‍टिबंधक की गई। 
नीलिमा व उमेश खंडेलवाल के अनुसार कुछ समय तक तो उन्‍होंने ऋण की किश्‍तें बैंक को नियमित रूप से अदा कीं किंतु फिर कारोबार में मंदी के चलते वह किश्‍तें देने में असमर्थ रहे। 
इसके लिए उन्‍होंने बैंक से अतिरिक्‍त ऋण की मांग की किंतु बैंक ने यह कहते हुए अतिरिक्‍त ऋण देने से इंकार कर दिया कि प्रोजेक्‍ट की लैंण्‍ड वैल्‍यूएशन काफी कम है। 
ऐसी स्‍थिति में नीलिमा व उमेश खंडेलवाल ने बैंक के सामने लोन के एकमुश्‍त समाधान का प्रस्‍ताव रखा जिसे बैंक ने 1 मार्च 2011 को स्‍वीकार करते हुए 1 करोड़ 6 लाख रुपए चुकाने पर सहमति दे दी, किंतु जब इन्‍होंने एकमुश्‍त लोन चुकाने की व्‍यवस्‍था की तो बैंक के उक्त कर्मचारी समाधान से पहले 10 लाख रुपए की नाजायज मांग करने लगे। 
नीलिमा व उमेश खंडेलवाल का आरोप है कि समाधान की कोशिश में लगे उनके पुत्र अनुराग खंडेलवाल से उक्त बैंक कर्मचारियों ने चौथ वसूली के रूप में कुछ रकम ले भी ली और जब उन्‍होंने इसका विरोध किया तो बैंक के वैल्‍यूअर हिमांशु मित्तल से एक फर्जी मूल्‍यांकन रिपोर्ट तैयार करवा कर हमारा उत्‍पीड़न किया जाने लगा। 
इन लोगों द्वारा इसके बाद इस आशय की धमकी दी जाने लगी कि यादि हमारी मांग पूरी नहीं की जाती तो बैंक से तय रकम की जगह फर्जी मूल्‍यांकन को आधार बनाकर आपसे अधिक रकम की वसूली की जाएगी। 
नीलिमा व उमेश खंडेलवाल का कहना है कि बैंक कर्मचारियों की बदनीयती और नाजायज मांग के मद्देनजर वो न्‍यायालय की शरण में जाने पर मजबूर हुए अन्‍यथा वो आज भी बैंक के साथ पूर्व में हुए एकमुश्‍त समाधान के समझौते पर कायम हैं तथा बैंक का पूरा पैसा चुकाने की नीयत रखते हैं। 
इस संबंध में 'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' ने बैंक के वर्तमान सीनियर मैनेजर को फोन करके बैंक का पक्ष जानने की कोशिश की तो उनका कहना था कि वो कुछ समय पहले ही यहां आए हैं इसलिए उन्‍हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। 
उनका कहना था कि वैसे भी ऐसे मामलों में अपना पक्ष रखने के लिए बैंक का लीगल सेल अधिकृत होता है इसलिए मैं कुछ कहने में असमर्थ हूं। 
बहरहाल, एक बात तय है कि यदि बैंक कर्मचारी चाहते तो संभवत: यह मामला कोर्ट तक नहीं पहुंचता और कानूनी पचड़े में पड़ने की बजाय बैंक की रकम भी अदा हो सकती थी। 
-Legend News 

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