गुटबाजी की शिकार प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था श्री अग्रवाल शिक्षा मण्डल में गत 28 जून को चेयरमैन और वाइस चेयरमैन के पद पर चुनाव तो सपन्न हो गया किंतु अब तक नव निर्वाचित पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह की तारीख तय नहीं हो सकी है। इस संबंध में पूछे जाने पर शिक्षा मण्डल से जुड़े कुछ व्यक्तियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी मथुरा सहित श्री अग्रवाल शिक्षा मण्डल की दूसरी अन्य संस्थाओं में कई पदों पर चुनाव होना बाकी है। इन पदों के लिए फिलहाल चुनावी प्रक्रिया तक अमल में नहीं लाई गई है क्योंकि इन पदों को आम सहमति से भरने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि गुटबाजी और अधिक मुसीबत का कारण न बन सके।
दरअसल, श्री अग्रवाल शिक्षा मण्डल से जुड़े संभ्रांत लोगों का शुरू से ये मानना रहा है कि सभी विवादों और गुटबाजी के पीछे संस्था की लगभग एक हजार करोड़ रुपए की वो सपत्ति है जिसका अब तक कुछ तत्व मिलकर बंदरबांट करते रहे हैं।
इन लोगों का कहना है कि आम सहमति से बाकी पदों को भरने का मकसद भी यही है कि विरोध के स्वरों को दबाकर श्री अग्रवाल शिक्षा मण्डल की संपत्ति का बंदरबांट उसी प्रकार होता रहे जिस प्रकार पूर्व में जमीन आदि की खरीद-फरोख्त के नाम पर किया जाता रहा है।
दूसरी ओर 1926 में रजिस्टर्ड 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' के पदाधिकारियों समेत समाज के कुछ अन्य लोग भी 'श्री अग्रवाल शिक्षा मण्डल' के 28 जून को संपन्न हुए चुनावों की वैधता को चुनौती दे रहे हैं। उनके अनुसार 'अग्रवाल शिक्षा मंडल' और 'श्री अग्रवाल शिक्षा मण्डल' का विवाद न्यायालय में लंबित होते हुए चुनाव कैसे कराए जा सकते हैं। उनकी मानें तो विवाद के निपटारे से पहले ऐसे कोई भी प्रयास गैरकानूनी और कोर्ट की अवमानना हैं।
यौन उत्पीड़न मामले में शीघ्र FIR दर्ज करा सकती है पीड़ित युवती
उधर दो महीने से न्याय की आस में बैठी उस महिला कर्मचारी का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है जो GTT की ओर से बीएसए कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के छात्रों को सॉफ्ट स्किल्स ट्रेनर के तौर पर प्रशिक्षित करने आई थी और इसलिए कॉलेज छोड़कर जाने पर मजबूर हो गईं क्योंकि उससे कॉलेज के एक तत्कालीन पदाधिकारी ने स्पष्ट रूप से न केवल कार्य अवधि के उपरांत अपने साथ अतिरिक्त समय बिताने को कहा बल्कि उसके सामने कुछ ऐसी बातें रखीं जिन्हें स्वीकार करना उनके लिए संभव नहीं था।
यही कारण था कि उसने अपने साथ हुई घटना का पूरा विवरण लिख कर कॉलेज के चेयरमैन को संबोधित एक शिकायती पत्र 27 अप्रैल 2023 के दिन देते हुए प्रबंधतंत्र से ये अपेक्षा की कि वो आरोपी पदाधिकारी के खिलाफ कोई ऐसी सख्त कार्रवाई करे जिससे किसी महिला के साथ भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो और कोई महिला ऐसे प्रतिष्ठित कॉलेज में खुद को असुरक्षित महसूस न करे, लेकिन प्रबंधतंत्र इस पत्र को दबाकर बैठ गया।
कॉलेज कैंपस में एक ऐसी गंभीर एवं शर्मनाक घटना होने के बावजूद प्रबंधतंत्र द्वारा कोई सुनवाई न किए जाने से क्षुब्ध युवती ने जॉब छोड़ना ज्यादा उचित समझा किंतु फिर भी उसे उम्मीद थी कि जांच उपरांत शायद समय रहते सुनवाई कर ली जाए।
युवती को सबसे अधिक धक्का तब लगा, जब उसे पता लगा कि उसके साथ अभद्र व अमर्यादित आचरण करने वाले पदाधिकारी को प्रबंधतंत्र ने फिर चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है।
बताया जाता है कि प्रबंधतंत्र के इस रवैये को देखकर पीड़ित युवती ने अब अपने खिलाफ शर्मनाक हरकत करने वाले तत्कालीन पदाधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने का मन बना लिया है और वह शीघ्र ही इस मामले की FIR दर्ज कराने पर विचार कर रही है।
जो भी हो, लेकिन यदि ऐसा होता है तो एक ओर जहां सबसे प्राचीन इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रतिष्ठा धूमिल होगी वहीं दूसरी ओर एक ऐसी प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था की गरिमा भी प्रभावित होगी जिसे शिक्षा व मेडिकल के क्षेत्र में कृष्ण की नगरी को बहुत कुछ देने का श्रेय जाता है और जिससे आज भी बड़ी संख्या में वो लोग जुड़े हैं जिनके संस्कार तमाम लोगों को प्रेरणा देते हैं।
-Legend News
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