-वैट की असंगत नीति के चलते यूपी में पेट्रोल व डीजल दूसरे राज्यों से काफी महंगा
-बॉर्डर के पेट्रोल पंप संचालक भी तस्करी का पेट्रोल-डीजल बेचने पर मजबूर
-उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव के सामने उठाया मुद्दा
-जुलाई में भी पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने की थी हड़ताल
क्या आपको मालूम है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैल्यू एडड टैक्स यानि वैट की जिस पॉलिसी को अपना रखा है उसके कारण उत्तर प्रदेश में पेट्रोल तथा डीजल की न सिर्फ कीमतें देश के अधिकांश राज्यों से काफी अधिक हैं बल्कि इसी कारण यहां पड़ोसी राज्यों से इन पदार्थों की बड़े पैमाने पर तस्करी की जा रही है।
पड़ोसी राज्यों हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में उत्तर प्रदेश की अपेक्षा पेट्रोल व डीजल की कीमतें काफी कम होने के कारण इन पदार्थों की सर्वाधिक तस्करी इन राज्यों से की जा रही है और उसका खामियाजा भुगत रहे हैं इन राज्यों की सीमा पर स्थापित पेट्रोल व डीजल पंपों के अधिकृत विक्रेता।
गत माह जुलाई में उत्तर प्रदेश के करीब 6300 पेट्रोल पंप संचालकों ने इस मुद्दे को लेकर हड़ताल भी की थी किंतु उसका कोई प्रभाव सरकार पर नहीं पड़ा लिहाजा उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव आलोक रंजन के साथ हुई बैठक के दौरान फिर इस मुद्दे को उठाया है।
दरअसल, 22 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने एक निर्णय द्वारा पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर वैट निर्धारित कर दिया जो इन पदार्थों की बेस कीमत का क्रमश: 26.8 प्रतिशत तथा 17. 5 प्रतिशत बैठता है।
इसके अलावा मथुरा रिफाइनरी को कच्चे तेल की सप्लाई लेने पर 5 प्रतिशत प्रवेश अलग से देना होता है। इस तरह उत्तर प्रदेश में पेट्रोल व डीजल उपभोक्ताओं को प्रति लीटर क्रमश: करीब 18 प्रतिशत तथा 11 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है जो दूसरे राज्यों से काफी अधिक है और जिस कारण यहां पेट्रोल व डीजल के दाम पड़ोसी राज्यों से भी बहुत ज्यादा हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की इस नीति का तेल माफिया जमकर लाभ उठा रहे हैं और वो पड़ोसी राज्यों से उत्तर प्रदेश में पेट्रोल व डीजल की तस्करी करके करोड़ों रुपए कमाने में लगे हैं जबकि उत्तर प्रदेश के बॉर्डर वाले पेट्रोल पंप संचालक या तो हाथ पर हाथ रखकर बैठने पर मजबूर हैं या फिर तस्करी का तेल बेचने को बाध्य हैं।
यूपी के बॉर्डर पर पेट्रोल पंप संचालित करने वाले लोगों का कहना है कि वैट की असंगत नीति के कारण पड़ोसी राज्यों की तुलना में यूपी के अंदर पेट्रोल और डीजल की कीमतें इतनी अधिक ज्यादा हो जाती हैं कि वह हमें प्रति लीटर मिलने वाले कुल लाभ से भी पांच-पांच, छ:- छ: गुना अधिक बैठती हैं। इन हालातों में तेल माफिया का सक्रिय होना तथा पेट्रोल पंप संचालकों का उन्हें सहयोग करना स्वाभाविक है।
देश की प्रमुख तेल कम्पनियों ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों विशेषकर राजस्थान, हरियाणा तथा दिल्ली से तेल माफियाओं ने उत्तर प्रदेश में खुलेआम पेट्रोल की बिक्री शुरू कर दी है जिससे यूपी के बॉर्डर वाले पंपों पर तेल की बिक्री न के बराबर हो रही है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में आने वाला कच्चा तेल सबसे पहले मथुरा रिफाइनरी को मिलता है और इसके बाद यहां से पेट्रोल व डीजल तैयार होकर प्रदेशभर को सप्लाई किया जाता है.
पेट्रोल पंपों पर तेल की बिक्री के दौरान उपभोक्ताओं से वह पांच फीसदी प्रवेश कर भी वसूला जाता है जिसे मथुरा रिफाइनरी कच्चे तेल पर चुकाती है. इस प्रकार उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं को पेट्रोल व डीजल की सर्वाधिक कीमत चुकानी पड़ती है.
आश्चर्य की बात यह है कि महंगाई नियंत्रित न हो पाने के लिए आये दिन केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाली यूपी की अखिलेश सरकार इस मामले में न तो उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन की बात सुन रही है और न इस बात पर ध्यान दे रही है कि वैट को लेकर उसकी असंगत नीति के चलते पेट्रोलियम पदार्थों की तस्करी बढ़ रही है तथा बॉर्डर पर स्थित पेट्रोल पंप संचालकों को उसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
यही नहीं, वैट की इस असंगत नीति के चलते दूसरे राज्यों से हो रही पेट्रोल व डीजल की तस्करी के कारण प्रदेश सरकार के खजाने को भी चूना लग रहा है लेकिन लगता है कि अखिलेश सरकार जायज वैट के जरिए अच्छा राजस्व हासिल करने की जगह नाजायज वैट लगाकर तेल माफियाओं को लाभान्वित करना ज्यादा मुनासिब समझ रही है।
कहीं ऐसा न हो कि अखिलेश सरकार की तेल माफियाओं को सीधा लाभ पहुंचाने तथा तेल की तस्करी को बढ़ावा देने वाली यह नीति 2017 के विधानसभा चुनावों में उसी पर भारी पड़ जाए क्योंकि तेल की बढ़ी हुई कीमतों का सीधा संबंध महंगाई से भी है और महंगाई से आम जनता किस कदर आजिज आ चुकी है, इससे अखिलेश सरकार भली-भांति परिचित है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
-बॉर्डर के पेट्रोल पंप संचालक भी तस्करी का पेट्रोल-डीजल बेचने पर मजबूर
-उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव के सामने उठाया मुद्दा
-जुलाई में भी पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने की थी हड़ताल
क्या आपको मालूम है कि अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैल्यू एडड टैक्स यानि वैट की जिस पॉलिसी को अपना रखा है उसके कारण उत्तर प्रदेश में पेट्रोल तथा डीजल की न सिर्फ कीमतें देश के अधिकांश राज्यों से काफी अधिक हैं बल्कि इसी कारण यहां पड़ोसी राज्यों से इन पदार्थों की बड़े पैमाने पर तस्करी की जा रही है।
पड़ोसी राज्यों हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में उत्तर प्रदेश की अपेक्षा पेट्रोल व डीजल की कीमतें काफी कम होने के कारण इन पदार्थों की सर्वाधिक तस्करी इन राज्यों से की जा रही है और उसका खामियाजा भुगत रहे हैं इन राज्यों की सीमा पर स्थापित पेट्रोल व डीजल पंपों के अधिकृत विक्रेता।
गत माह जुलाई में उत्तर प्रदेश के करीब 6300 पेट्रोल पंप संचालकों ने इस मुद्दे को लेकर हड़ताल भी की थी किंतु उसका कोई प्रभाव सरकार पर नहीं पड़ा लिहाजा उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव आलोक रंजन के साथ हुई बैठक के दौरान फिर इस मुद्दे को उठाया है।
दरअसल, 22 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने एक निर्णय द्वारा पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर वैट निर्धारित कर दिया जो इन पदार्थों की बेस कीमत का क्रमश: 26.8 प्रतिशत तथा 17. 5 प्रतिशत बैठता है।
इसके अलावा मथुरा रिफाइनरी को कच्चे तेल की सप्लाई लेने पर 5 प्रतिशत प्रवेश अलग से देना होता है। इस तरह उत्तर प्रदेश में पेट्रोल व डीजल उपभोक्ताओं को प्रति लीटर क्रमश: करीब 18 प्रतिशत तथा 11 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है जो दूसरे राज्यों से काफी अधिक है और जिस कारण यहां पेट्रोल व डीजल के दाम पड़ोसी राज्यों से भी बहुत ज्यादा हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की इस नीति का तेल माफिया जमकर लाभ उठा रहे हैं और वो पड़ोसी राज्यों से उत्तर प्रदेश में पेट्रोल व डीजल की तस्करी करके करोड़ों रुपए कमाने में लगे हैं जबकि उत्तर प्रदेश के बॉर्डर वाले पेट्रोल पंप संचालक या तो हाथ पर हाथ रखकर बैठने पर मजबूर हैं या फिर तस्करी का तेल बेचने को बाध्य हैं।
यूपी के बॉर्डर पर पेट्रोल पंप संचालित करने वाले लोगों का कहना है कि वैट की असंगत नीति के कारण पड़ोसी राज्यों की तुलना में यूपी के अंदर पेट्रोल और डीजल की कीमतें इतनी अधिक ज्यादा हो जाती हैं कि वह हमें प्रति लीटर मिलने वाले कुल लाभ से भी पांच-पांच, छ:- छ: गुना अधिक बैठती हैं। इन हालातों में तेल माफिया का सक्रिय होना तथा पेट्रोल पंप संचालकों का उन्हें सहयोग करना स्वाभाविक है।
देश की प्रमुख तेल कम्पनियों ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती राज्यों विशेषकर राजस्थान, हरियाणा तथा दिल्ली से तेल माफियाओं ने उत्तर प्रदेश में खुलेआम पेट्रोल की बिक्री शुरू कर दी है जिससे यूपी के बॉर्डर वाले पंपों पर तेल की बिक्री न के बराबर हो रही है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में आने वाला कच्चा तेल सबसे पहले मथुरा रिफाइनरी को मिलता है और इसके बाद यहां से पेट्रोल व डीजल तैयार होकर प्रदेशभर को सप्लाई किया जाता है.
पेट्रोल पंपों पर तेल की बिक्री के दौरान उपभोक्ताओं से वह पांच फीसदी प्रवेश कर भी वसूला जाता है जिसे मथुरा रिफाइनरी कच्चे तेल पर चुकाती है. इस प्रकार उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं को पेट्रोल व डीजल की सर्वाधिक कीमत चुकानी पड़ती है.
आश्चर्य की बात यह है कि महंगाई नियंत्रित न हो पाने के लिए आये दिन केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाली यूपी की अखिलेश सरकार इस मामले में न तो उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन की बात सुन रही है और न इस बात पर ध्यान दे रही है कि वैट को लेकर उसकी असंगत नीति के चलते पेट्रोलियम पदार्थों की तस्करी बढ़ रही है तथा बॉर्डर पर स्थित पेट्रोल पंप संचालकों को उसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
यही नहीं, वैट की इस असंगत नीति के चलते दूसरे राज्यों से हो रही पेट्रोल व डीजल की तस्करी के कारण प्रदेश सरकार के खजाने को भी चूना लग रहा है लेकिन लगता है कि अखिलेश सरकार जायज वैट के जरिए अच्छा राजस्व हासिल करने की जगह नाजायज वैट लगाकर तेल माफियाओं को लाभान्वित करना ज्यादा मुनासिब समझ रही है।
कहीं ऐसा न हो कि अखिलेश सरकार की तेल माफियाओं को सीधा लाभ पहुंचाने तथा तेल की तस्करी को बढ़ावा देने वाली यह नीति 2017 के विधानसभा चुनावों में उसी पर भारी पड़ जाए क्योंकि तेल की बढ़ी हुई कीमतों का सीधा संबंध महंगाई से भी है और महंगाई से आम जनता किस कदर आजिज आ चुकी है, इससे अखिलेश सरकार भली-भांति परिचित है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी