मनमोहन सरकार पर सीएजी का ग्रहण लगा हुआ है। टेलीकॉम घोटाला हो या
कॉमनवेल्थ घोटाला, इनका खुलासा सीएजी यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की
रिपोर्ट से ही हुआ था। अब बारी कोयला खदानों के आवंटन पर सीएजी की रिपोर्ट
पर है। ये रिपोर्ट औपचारिक तौर पर तो आज संसद में पेश होगी लेकिन इसका
ड्राफ्ट पहले ही लीक हो गया था।
ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने 2004 से 2009 के बीच लगभग 100 कंपनियों को 155 कोयला खदानों का आवंटन किया गया। इससे सरकारी खजाने को लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ये 1.76 लाख करोड़ के टेलीकॉम घोटाले से ज्यादा बड़ी रकम है। आवंटन की नीति निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई।
फायदा कमाने वाली कंपनियों में टाटा, जिंदल ग्रुप, एस्सार ग्रुप, अभिजीत ग्रुप, लक्ष्मी मित्तल आर्सेलर्स ग्रुप और वेदांता का नाम शामिल है। दरअसल, सीएजी जिस वक्त की बात कर रही है, उस वक्त कोयला मंत्रालय सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देख रहे थे। ऐसे में, सीएजी की रिपोर्ट अगर ये कहती है कि कोयला खदानों के आवंटन में घोटाला हुआ है तो मनमोहन सिंह की ईमानदार छवि पर भी छींटे पड़ेंगे।
सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट के लीक होने पर भी विपक्ष ने प्रधानंमत्री को निशाने पर लेते हुए संसद नहीं चलने दी थी। अब एक बार फिर बीजेपी प्रधानंमत्री को घेरने के लिए तैयार बैठी है। इसके अलावा दिल्ली में निजी कंपनी जीएमआर और सरकार की भागीदारी में बने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के मामले पर भी सीएजी की एक रिपोर्ट पेश होगी।
इससे जुड़ी सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने महज 1,813 करोड़ रुपए में 60 साल के लिए जीएमआर को दिल्ली एयरपोर्ट की जमीन लीज पर दे दी गई। एयरपोर्ट के अलावा लगभग पांच हजार एकड़ ज़मीन भी मामूली रकम लेकर दे दी गई। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों और करदाताओं को हुए नुकसान की भी अनदेखी की। ये नुकसान करीब 3750 करोड़ रूपए का है। तब प्रफुल्ल पटेल नागरिक उड्डयन मंत्री थे।
हालांकि सरकार संसद में रिपोर्ट पेश होने तक कुछ भी कहने से बच रही है। सीएजी की तीसरी रिपोर्ट बिजली परियोजनाओं को लेकर है। इसमें भी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात कही गई है। मसलन एक ही कंपनी को एक से ज्यादा अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट विकसित करने की इजाजत दी गई। टाटा और रिलायंस को उनकी जरूरत से ज्यादा जमीन अधिग्रहीत करने की इजाजत दी गई। सासन प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए कपनियों ने गलत जानकारी दी।
गलती पकड़ी गई मगर 120 करोड़ का बांड जब्त करने की बजाए महज 1 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। ऐसे में अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन से निजात पाने की कोशिश में जुटी सरकार के लिए सीएजी की रिपोर्ट, नया सिरदर्द साबित हो सकती है।
ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने 2004 से 2009 के बीच लगभग 100 कंपनियों को 155 कोयला खदानों का आवंटन किया गया। इससे सरकारी खजाने को लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ये 1.76 लाख करोड़ के टेलीकॉम घोटाले से ज्यादा बड़ी रकम है। आवंटन की नीति निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई।
फायदा कमाने वाली कंपनियों में टाटा, जिंदल ग्रुप, एस्सार ग्रुप, अभिजीत ग्रुप, लक्ष्मी मित्तल आर्सेलर्स ग्रुप और वेदांता का नाम शामिल है। दरअसल, सीएजी जिस वक्त की बात कर रही है, उस वक्त कोयला मंत्रालय सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देख रहे थे। ऐसे में, सीएजी की रिपोर्ट अगर ये कहती है कि कोयला खदानों के आवंटन में घोटाला हुआ है तो मनमोहन सिंह की ईमानदार छवि पर भी छींटे पड़ेंगे।
सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट के लीक होने पर भी विपक्ष ने प्रधानंमत्री को निशाने पर लेते हुए संसद नहीं चलने दी थी। अब एक बार फिर बीजेपी प्रधानंमत्री को घेरने के लिए तैयार बैठी है। इसके अलावा दिल्ली में निजी कंपनी जीएमआर और सरकार की भागीदारी में बने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के मामले पर भी सीएजी की एक रिपोर्ट पेश होगी।
इससे जुड़ी सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि सरकार ने महज 1,813 करोड़ रुपए में 60 साल के लिए जीएमआर को दिल्ली एयरपोर्ट की जमीन लीज पर दे दी गई। एयरपोर्ट के अलावा लगभग पांच हजार एकड़ ज़मीन भी मामूली रकम लेकर दे दी गई। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यात्रियों और करदाताओं को हुए नुकसान की भी अनदेखी की। ये नुकसान करीब 3750 करोड़ रूपए का है। तब प्रफुल्ल पटेल नागरिक उड्डयन मंत्री थे।
हालांकि सरकार संसद में रिपोर्ट पेश होने तक कुछ भी कहने से बच रही है। सीएजी की तीसरी रिपोर्ट बिजली परियोजनाओं को लेकर है। इसमें भी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात कही गई है। मसलन एक ही कंपनी को एक से ज्यादा अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट विकसित करने की इजाजत दी गई। टाटा और रिलायंस को उनकी जरूरत से ज्यादा जमीन अधिग्रहीत करने की इजाजत दी गई। सासन प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए कपनियों ने गलत जानकारी दी।
गलती पकड़ी गई मगर 120 करोड़ का बांड जब्त करने की बजाए महज 1 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। ऐसे में अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलन से निजात पाने की कोशिश में जुटी सरकार के लिए सीएजी की रिपोर्ट, नया सिरदर्द साबित हो सकती है।
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