इमर्जेंसी के दौरान विकिलीक्स के खुलासों पर भरोसा करें तो राजनीति से नफरत होने लगेगी।
जिस कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं ने पूरी जिंदगी सार्वजनिक मंचों पर सांप्रदायिकता का विरोध किया और हर मोड़ पर आरएसएस की निंदा की, इमर्जेंसी के दौरान उसी कांग्रेस के ताकतवर नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को छोटे बेटे संजय गांधी ने आरएसएस से दोस्ती की हर मुमकिन कोशिश की।
विकिलीक्स द्वारा हाल में जारी किए गए खुफिया केबल्स के मुताबिक, 14 दिसंबर 1976 भेजे गए डिस्पैच से इन बातों का खुलासा हुआ है।
केबल्स के मुताबिक, इमर्जेंसी के दौरान सरकार और आरएसएस के बीच जबर्दस्त तनाव चल रहा था। सरकार की नजरों में इमर्जेंसी लागू होने के बाद सिर्फ आरएसएस ही असरदार विपक्ष की भूमिका निभा रहा था। आरएसएस के कार्यकर्ता शहरों और गांवों में सरकार के खिलाफ प्रचार कर रहे थे। विकिलीक्स के मुताबिक, संजय गांधी आरएसएस से समझौता चाहते थे। विकिलीक्स का दावा है कि आरएसएस ने संजय गांधी की पेशकश को ठुकरा दिया था।
विकिलीक्स के मुताबिक, अमेरिका को लग रहा था कि इंदिरा गांधी की मौत की स्थिति में संजय गांधी सत्ता पर कब्जा कर सकते हैं।
हालांकि, अमेरिका को इस बात का अंदेशा भी था कि कुछ नेता संजय गांधी की जगह किसी दूसरे को प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
-एजेंसी
जिस कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं ने पूरी जिंदगी सार्वजनिक मंचों पर सांप्रदायिकता का विरोध किया और हर मोड़ पर आरएसएस की निंदा की, इमर्जेंसी के दौरान उसी कांग्रेस के ताकतवर नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को छोटे बेटे संजय गांधी ने आरएसएस से दोस्ती की हर मुमकिन कोशिश की।
विकिलीक्स द्वारा हाल में जारी किए गए खुफिया केबल्स के मुताबिक, 14 दिसंबर 1976 भेजे गए डिस्पैच से इन बातों का खुलासा हुआ है।
केबल्स के मुताबिक, इमर्जेंसी के दौरान सरकार और आरएसएस के बीच जबर्दस्त तनाव चल रहा था। सरकार की नजरों में इमर्जेंसी लागू होने के बाद सिर्फ आरएसएस ही असरदार विपक्ष की भूमिका निभा रहा था। आरएसएस के कार्यकर्ता शहरों और गांवों में सरकार के खिलाफ प्रचार कर रहे थे। विकिलीक्स के मुताबिक, संजय गांधी आरएसएस से समझौता चाहते थे। विकिलीक्स का दावा है कि आरएसएस ने संजय गांधी की पेशकश को ठुकरा दिया था।
विकिलीक्स के मुताबिक, अमेरिका को लग रहा था कि इंदिरा गांधी की मौत की स्थिति में संजय गांधी सत्ता पर कब्जा कर सकते हैं।
हालांकि, अमेरिका को इस बात का अंदेशा भी था कि कुछ नेता संजय गांधी की जगह किसी दूसरे को प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
-एजेंसी
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