लखनऊ।
कुंभ के दौरान एक तरफ जहां श्रद्धालु आस्था के संगम में डुबकी लगा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार में गोते लगा रहा था। यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है। गौरतलब है कि यूपी के मंत्री आजम खां कुंभ मेला आयोजन कमिटी के अध्यक्ष थे। कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने पूरा मेला केंद्र के पैसे से निपटा दिया जबकि 70 फीसदी खर्च राज्य सरकार को करना था। अफसरों ने कागजों में एक ही वक्त में कई मजदूरों को दो-दो जगह काम करते हुए दिखा दिया। ऐसा ही ट्रैक्टरों के साथ किया गया। सरकारी फाइलों में एक नंबर के ट्रैक्टर से एक साथ दो जगह काम किया गया। मेले में सड़क चौड़ी करने, मरम्मत से लेकर घाटों के निर्माण, बैरिकेडिंग तक हर काम में घपला सामने आया है। अफसरों ने ठेकेदारों की कमाई करवाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
सीएजी रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में हंगामे के दौरान पेश की गई। इस पर सदन में कोई चर्चा भी नहीं हो सकी। रिपोर्ट के अनुसार, शहर, मेला स्थल, और रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन सभी कंट्रोल रूम आपस में जुड़े ही नहीं थे। इस वजह से रेलवे स्टेशन पर पुलिस को शहर की भीड़ का अनुमान ही नहीं लगा।
कुंभ के लिए खरीदी गई दवाओं में आधी से ज्यादा का उपयोग ही नहीं हुआ। कुछ तो एक्सपायर हो गईं और बाद में वे गरीबों के इलाज के इस्तेमाल में दिखा दी गईं। करीब आधे कल्पवासियों को बीपीएल दर पर राशन भी नहीं उपलब्ध कराया गया। जिन्हें मिला भी तो आधे से ज्यादा कुंभ मेला गुजर जाने के बाद।
-एजेंसी
कुंभ के दौरान एक तरफ जहां श्रद्धालु आस्था के संगम में डुबकी लगा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार में गोते लगा रहा था। यह खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में हुआ है। गौरतलब है कि यूपी के मंत्री आजम खां कुंभ मेला आयोजन कमिटी के अध्यक्ष थे। कैग रिपोर्ट में राज्य सरकार पर कई सवाल खड़े किए गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने पूरा मेला केंद्र के पैसे से निपटा दिया जबकि 70 फीसदी खर्च राज्य सरकार को करना था। अफसरों ने कागजों में एक ही वक्त में कई मजदूरों को दो-दो जगह काम करते हुए दिखा दिया। ऐसा ही ट्रैक्टरों के साथ किया गया। सरकारी फाइलों में एक नंबर के ट्रैक्टर से एक साथ दो जगह काम किया गया। मेले में सड़क चौड़ी करने, मरम्मत से लेकर घाटों के निर्माण, बैरिकेडिंग तक हर काम में घपला सामने आया है। अफसरों ने ठेकेदारों की कमाई करवाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
सीएजी रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में हंगामे के दौरान पेश की गई। इस पर सदन में कोई चर्चा भी नहीं हो सकी। रिपोर्ट के अनुसार, शहर, मेला स्थल, और रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की गई थी, लेकिन सभी कंट्रोल रूम आपस में जुड़े ही नहीं थे। इस वजह से रेलवे स्टेशन पर पुलिस को शहर की भीड़ का अनुमान ही नहीं लगा।
कुंभ के लिए खरीदी गई दवाओं में आधी से ज्यादा का उपयोग ही नहीं हुआ। कुछ तो एक्सपायर हो गईं और बाद में वे गरीबों के इलाज के इस्तेमाल में दिखा दी गईं। करीब आधे कल्पवासियों को बीपीएल दर पर राशन भी नहीं उपलब्ध कराया गया। जिन्हें मिला भी तो आधे से ज्यादा कुंभ मेला गुजर जाने के बाद।
-एजेंसी
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