आज ऐसे समय जबकि टोक्यो पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ी अपने बेहतरीन प्रदर्शन से देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं, ये सवाल एक ओर जहां दिलो-दिमाग में हलचल पैदा करता है वहीं दूसरी ओर मन को दुखी भी करता है किंतु सवाल लाज़िमी है।
सवाल यही है कि पैसे और शोहरत के लिए नामचीन खिलाड़ियों की “विराट भूख” आखिर कहां जाकर खत्म होगी?
दरअसल 02 सितंबर को खबर आई कि भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली ने अपने इंस्टाग्राम पर जो एक पोस्ट शेयर किया, उसे लेकर देश की विज्ञापन नियामक एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की ओर से उन्हें नोटिस भेजा गया है। हालांकि ASCI का नोटिस मिलने के बाद कोहली ने अपनी इंस्टा पोस्ट एडिट कर दी थी।
यहां यह जान लें कि सोशल मीडिया साइट पर जिन सेलिब्रिटी के बहुत से फ़ॉलोअर होते हैं, वह अपने चाहने वालों को प्रभावित करने के लिए पोस्ट डालते हैं। इसे इनफ्लुएंसर मार्केटिंग कहते हैं। अपने प्रशंसकों तक इस तरह की एक मार्केटिंग पोस्ट पहुंचाने के लिए विराट कोहली को करीब “पांच करोड़” रुपये मिलते हैं।
इंस्टा पर यूनिवर्सिटी की तारीफ
विराट कोहली ने पिछले 27 जुलाई को अपने इंस्टाग्राम पर एक मार्केटिंग पोस्ट डाली। तीन फोटो की यह पोस्ट एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के उन छात्रों के बारे में है जो टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। पहले फोटो में विराट ने लिखा, “टोक्यो ओलंपिक में भारत की ओर से भेजे गए कुल खिलाड़ियों में से 10 फ़ीसदी इसी यूनिवर्सिटी से हैं। यह एक रिकॉर्ड है। उम्मीद करता हूं कि इस यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट भारतीय क्रिकेट टीम का भी हिस्सा बनेंगे।”
ASCI का नोटिस
अगली दो फोटो में यूनिवर्सिटी का पोस्टर था। इनमें उन 11 खिलाड़ियों के नाम थे जो टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय दल का हिस्सा रहे। कोहली ने अपनी इस इंस्टा पोस्ट में यूनिवर्सिटी का नाम भी मेंशन किया। यह वास्तव में एक पेड पोस्ट थी, और इसे ही इनफ्लुएंसर मार्केटिंग कहा जाता है। इसका मतलब यह है कि क्रिकेटर विराट कोहली ने इंस्टाग्राम पर इस पोस्ट को डालने के लिए यूनिवर्सिटी से पैसे लिए हैं। इसके बाद कोहली को ASCI ने नोटिस भेज दिया।
विज्ञापन की गाइडलाइन्स
ASCI की गाइडलाइन्स के मुताबिक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने अगर कोई पेड पोस्ट डाली है, तो उन्हें अपने फ़ॉलोअर को यह बताना होगा कि यह पोस्ट विज्ञापन कैंपेन का हिस्सा है। विराट कोहली ने यूनिवर्सिटी वाली पोस्ट में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया था। इसी वजह से कोहली को ASCI का नोटिस भेजा गया। ASCI के नोटिस के बाद कोहली ने इंस्टा पोस्ट को एडिट कर उसमें पार्टनरशिप का टैग लगा दिया।
विराट कोहली की वर्तमान कुल संपत्ति
जानकारी के अनुसार विराट कोहली की वर्तमान कुल संपत्ति एक हजार करोड़ रुपए से अधिक है और महज विज्ञापनों के जरिए वह लगभग 200 करोड़ रुपए सालाना अर्जित करते हैं।
इसके अलावा विराट कोहली चूंकि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान हैं इसलिए उन्हें बीसीसीआई से ग्रेड A मिला हुआ है। यानी वो A ग्रेड के खिलाड़ी हैं। ऐसे में विराट को 7 करोड़ रुपये प्रति वर्ष सैलरी के रूप में प्राप्त होता है। उन्हें 1 टेस्ट मैच खेलने के लिए 15 लाख, 1 वनडे खेलने के लिए 6 लाख और एक टी20 मैच खेलने के लिए 3 लाख रुपयों की राशि दी जाती है। इस तरह विराट कोहली के वेतन आंकड़ा प्रति वर्ष लगभग 24 करोड़ रुपए बैठता है।
आईपीएल से भी करोड़ों कमाते हैं कोहली
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विराट कोहली अब IPL में महेंद्र सिंह धोनी से भी ज्यादा फीस ले रहे हैं। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के कप्तान विराट कोहली सैलरी के मामले में एमएस धोनी से आगे निकल गए हैं। कोहली को जहां साल में 15 करोड़ रुपए मिलते हैं, वहीं धोनी को 12.5 करोड़ ही मिल रहे हैं। ऐसे में विराट करोड़ों रुपए अतिरिक्त केवल आईपीएल से कमा लेते हैं।
इतना सब होने के बावजूद विराट कोहली द्वारा पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के विज्ञापन वाली पोस्ट को ASCI की गाइडलाइन्स के खिलाफ जाकर पोस्ट करना, यह जाहिर करता है कि वो अपनी इस कमाई को छिपाना चाहते थे। सीधे अर्थों में कहें तो वो इस कमाई पर बनने वाले सरकारी टैक्स को चुराने की मंशा रखते थे। ये बात अलग है कि ASCI से नोटिस मिलने के बाद उन्होंने न सिर्फ अपनी पोस्ट डिलीट कर दी, बल्कि उसमें पार्टनरशिप का टैग भी लगा दिया।
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कोहली अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं है जिनकी “विराट भूख” चर्चा का विषय बनी हो। पूर्व कप्तान महेंन्द्र सिंह धोनी से लेकर भारत रत्न सचिन तेंदुलकर तक तमाम ऐसे क्रिकेटर हैं जो अन्य स्त्रोतों से अपनी कमाई के कारण विवादों में रहे हैं।
जिन सचिन तेंदुलकर को तत्कालीन केंद्र सरकार ने नियम बदलकर ‘भारत रत्न’ जैसे देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा, वो भी आज तक पैसों की खातिर किसी भी चैनल पर निजी विज्ञापन करते देखे जा सकते हैं। वो भी तब जबकि टीवी पर दिखाए जाने वाले अधिकांश विज्ञापन भ्रामक होते हैं और उनका बड़ी हस्तियों से प्रचार कराने के पीछे एकमात्र मकसद 135 करोड़ लोगों को गुमराह करके अपना उत्पाद बेचना होता है।
महेन्द्र सिंह धोनी तो कई विवादित कंपनियों का विज्ञापन करने, साथ ही उनमें अपना पैसा निवेश करने के लिए भी जाने जाते हैं। अपनी व्यावसायिक बुद्धि से वह इन कंपनियों से दोहरी कमाई करते हैं। यही कारण है कि उनके ऊपर इन कंपनियों को लेकर उंगलियां ही नहीं उठीं, केस तक दर्ज हुए।
पैसों के लिए हवस की हद तक जाने वाले ये खिलाड़ी शोहरत के भी उतने ही भूखे हैं और इसलिए वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते जिनसे उन्हें सस्ती लोकप्रियता हासिल होती हो।
हाल ही में हार्दिक पांड्या द्वारा अपनी 5 करोड़ रुपए मूल्य की कलाई घड़ी का फूहड़ प्रदर्शन भी यह दिखाता है कि सामान्य और अति सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले इन खिलाड़ियों की मानसिकता कितनी छोटी तथा पैसा कमाने की इनकी हवस कितनी बड़ी होती है।
आश्चर्य की बात यह भी है कि शिक्षा के नाम पर औपचारिकता पूरी करने वाले ये खिलाड़ी व्यावसायिकता के लिए इतने तीक्ष्ण बुद्धि साबित होते हैं कि बड़े से बड़े कारोबारी और उद्योगपति कहीं नहीं टिकते।
अन्य खिलाड़ियों को भी है पैसे और शोहरत की “विराट भूख”
क्रिकेटर्स के अतिरिक्त बात करें अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों की तो वो भी इस मामले में कम नहीं हैं। भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल कुछ समय पहले तब चर्चा में आईं थीं जब उनके विदेश दौरे पर उनके साथ उनकी मां को सरकारी खर्चे से भेजने में आनाकानी की गई। साइना नेहवाल ने बाकायदा इसके लिए रोष जाहिर किया।
इसी प्रकार कुश्ती, टेनिस सहित अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ी भी समय-समय पर सुख-सुविधाओं को लेकर अपना रोना रोते देखे गए हैं। वह भी तब जबकि जीत हासिल करने के बाद केंद्र व राज्य सरकारें इनके ऊपर जहां पैसे की बारिश करती हैं वहीं इन्हें अच्छी-खासी नौकरियां भी मुहैया कराती हैं जिससे इनका भविष्य हमेशा हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाता है।
इतना सब होने के बाद भी बहुत से खिलाड़ी तो अपने लिए पदक व सम्मान तक मांगने से नहीं हिचकते और उनकी अपने लिए मांग इतनी बेशर्मी के साथ करते हैं जैसे यह उनका हक हो या देश के लिए खेलकर अथवा कोई पदक अर्जित करके वह देश तथा देशवासियों पर अहसान कर रहे हों।
माना कि खिलाड़ी हर देश की शान होते हैं और उनकी उपलब्धियां देश के मान-सम्मान को बढ़ाने का काम करती हैं किंतु इसका यह मतलब तो नहीं कि दौलत, शोहरत और इज्जत की भूख इतनी बढ़ा ली जाए कि गैरकानूनी तरीके अख्तियार करने से भी परहेज न हो या वो लोगों की आखों में खटकने लगे।
कोरोना काल ने देश के एक बड़े तबके की रोजी-रोटी का जरिया छीन लिया। बहुत से लोगों के सामने अचानक आ खड़ी हुई भविष्य की चिंता उन्हें सोने नहीं दे रही। अभी तो यह भी नहीं पता कि इस महामारी की कितनी लहरें आना बाकी हैं और उन परिस्थितियों में लोग किस तरह अपना घर-परिवार चलाएंगे लेकिन लगता है अरबों रुपए हर साल कमाने वाले हमारे खिलाड़ी इतने संवेदनाहीन हो चुके हैं कि उन्हें अपने अलावा किसी और के बारे में सोचने की भी फुर्सत नहीं है।
सैकड़ों रुपए प्रति लीटर की कीमत का पानी पीने वाले विराट कोहली को क्या मालूम नहीं कि आज भी देश में लाखों गांव ऐसे हैं जहां पीने के लिए सामान्य पानी तक उपलब्ध नहीं है।
हो सकता है कि फ्रांस से आयातित बेशकीमती पानी पीना विराट कोहली की किसी “शारीरिक अथवा मानसिक” मजबूरी का हिस्सा हो लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वो जिस देश के वासी हैं, उस देश के लोगों की बहुत छोटी-छोटी जरूरतें भी ताजिंदगी पूरी नहीं होतीं।
फिर भी यदि वो उनके लिए कुछ नहीं कर सकते तो न करें किंतु अपनी बेजा हरकतों से न तो उनका दिल दुखाएं और न ऐसी हरकतों में लिप्त हों जिनसे साफ जाहिर होता हो कि वो टैक्स चोरी की कोशिश करके देश के साथ धोखा करने का मौका छोड़ना नहीं चाहते।
- सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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