लखनऊ। देश की निष्पक्ष जांच एजेंसी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह हजारों करोड़ के घोटाले में चंद नामी गिरामी लोगों को पकड़ कर मामले को दबाने की कोशिश में जुट जाये और घोटाले में शामिल बड़ी मछलियों, भ्रष्ट अफसरों और अधिकारियों के गिरेबां में झांकने का प्रयास तक ना करे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले ने अब तक चार अफसरों की जान ले ली है, इसमें दो सीएमओ की निर्मम हत्या कर दी गई और एक डिप्टी सीएमओ डाक्टर सचान की जेल में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई इसके साथ ही जाँच में फंसे सीएंडडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील वर्मा ने जाँच से बचने के लिए खुदकुशी कर ली।
दरअसल पूरा का पूरा एनआरएचएम घोटाला कई बड़े मंत्रियों, विधायकों और कद्दावर नौकरशाहों द्वारा पूर्व नियोजित घोटाला नज़र आता है जिसमें इन सभी मुख्य भ्रष्टाचारियों ने परदे के पीछे रहते हुए सारा खेल खेला है। सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश के शक्ति केंद्र सप्तम तल पर बैठे आइएएस इनमें शामिल वह चेहरा हैं जो इस भ्रष्टाचार में शामिल होने के बाद भी अभी तक जाँच एजेंसी की पहुँच से बाहर हैं।
इसके अलावा बसपा से निष्काषित किये जा चुके पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा जिन्हें कि यूपी एनआरएचएम घोटाले और सीएमओ हत्याकांड में संलिप्त पाया गया और सीबीआई ने बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ हाल ही में मामला भी दर्ज भी किया मगर अब सीबीआई उन्हें क्यों गिरफ्तार नहीं कर रही यह
समझ से परे है।
बाबू सिंह कुशवाहा अपने चहेते ठेकेदार व दैनिक हिंदी चैनल के मालिक सौरभ जैन पर भी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थे। कुशवाहा के मंत्री बनने के बाद सौरभ जैन अचानक कई फर्मों के मालिक बन गए। कुशवाहा के मंत्री बनने के बाद उसने प्रचार-प्रसार, दवा से लेकर उपकरण सप्लाई का ठेका लिया। यही नहीं जैन की फर्म ने मनमाने ढंग से काम किया और पैसा वसूला जिसके बाद सीबीआई ने सौरभ जैन को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई ने इस मामले में कई ठेकेदारों, अफसरशाहों, नेताओं और जांच कर रहे पुलिस अफसरों से पूछताछ की थी। इस प्रक्रिया में सीबीआई के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे लेकिन अभी तक कोई बड़ा नाम सामने नहीं आया। शायद सूबे की मुख्यमंत्री मायावती के करीबी होने की वजह से इन्हें पूरा संरक्षण दिया जा रहा है। माया की शह पाकर कई भ्रष्ट इंजीनियरों और नौकरशाहों ने प्रदेश सरकार के राजस्व में करोड़ों रुपये की धांधली को अंजाम दिया।
इस मामले में सीबीआई अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। बहरहाल सूबे में एनआरएचएम की तरह न जाने कितने बड़े घोटाले हुए लेकिन अब यह देखना है कि सीबीआई अपनी जांच के तहत मामले में लिप्त बड़ी मछलियों तक पहुँचती है या नहीं।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले ने अब तक चार अफसरों की जान ले ली है, इसमें दो सीएमओ की निर्मम हत्या कर दी गई और एक डिप्टी सीएमओ डाक्टर सचान की जेल में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई इसके साथ ही जाँच में फंसे सीएंडडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील वर्मा ने जाँच से बचने के लिए खुदकुशी कर ली।
दरअसल पूरा का पूरा एनआरएचएम घोटाला कई बड़े मंत्रियों, विधायकों और कद्दावर नौकरशाहों द्वारा पूर्व नियोजित घोटाला नज़र आता है जिसमें इन सभी मुख्य भ्रष्टाचारियों ने परदे के पीछे रहते हुए सारा खेल खेला है। सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश के शक्ति केंद्र सप्तम तल पर बैठे आइएएस इनमें शामिल वह चेहरा हैं जो इस भ्रष्टाचार में शामिल होने के बाद भी अभी तक जाँच एजेंसी की पहुँच से बाहर हैं।
इसके अलावा बसपा से निष्काषित किये जा चुके पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा जिन्हें कि यूपी एनआरएचएम घोटाले और सीएमओ हत्याकांड में संलिप्त पाया गया और सीबीआई ने बाबू सिंह कुशवाहा के खिलाफ हाल ही में मामला भी दर्ज भी किया मगर अब सीबीआई उन्हें क्यों गिरफ्तार नहीं कर रही यह
समझ से परे है।
बाबू सिंह कुशवाहा अपने चहेते ठेकेदार व दैनिक हिंदी चैनल के मालिक सौरभ जैन पर भी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थे। कुशवाहा के मंत्री बनने के बाद सौरभ जैन अचानक कई फर्मों के मालिक बन गए। कुशवाहा के मंत्री बनने के बाद उसने प्रचार-प्रसार, दवा से लेकर उपकरण सप्लाई का ठेका लिया। यही नहीं जैन की फर्म ने मनमाने ढंग से काम किया और पैसा वसूला जिसके बाद सीबीआई ने सौरभ जैन को गिरफ्तार कर लिया।
सीबीआई ने इस मामले में कई ठेकेदारों, अफसरशाहों, नेताओं और जांच कर रहे पुलिस अफसरों से पूछताछ की थी। इस प्रक्रिया में सीबीआई के हाथ कुछ अहम सुराग भी लगे लेकिन अभी तक कोई बड़ा नाम सामने नहीं आया। शायद सूबे की मुख्यमंत्री मायावती के करीबी होने की वजह से इन्हें पूरा संरक्षण दिया जा रहा है। माया की शह पाकर कई भ्रष्ट इंजीनियरों और नौकरशाहों ने प्रदेश सरकार के राजस्व में करोड़ों रुपये की धांधली को अंजाम दिया।
इस मामले में सीबीआई अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। बहरहाल सूबे में एनआरएचएम की तरह न जाने कितने बड़े घोटाले हुए लेकिन अब यह देखना है कि सीबीआई अपनी जांच के तहत मामले में लिप्त बड़ी मछलियों तक पहुँचती है या नहीं।
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