उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के करीबी व्यवसाई पोंटी चड्ढा के ठिकानों पर आयकर विभाग के छापों में बरामद हुए लगभग 200 करोड़ रुपयों के तार उत्तर प्रदेश की चुनावी सियासत से जुड़ते नज़र आ रहे हैं।
पौंटी चड्ढा के ठिकानों पर छापेमारी का अभियान दरअसल मायावती की आर्थिक सत्ता का पतन कहा जा सकता हैं। यूपी में पोंटी के ठिकानों पर इनकम टेक्स के छापे बसपा के लिए अब तक का सबसे बड़ा नुकसान हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश के सियासी हलकों में ही नहीं सरकार से जुड़ा हर आदमी इस बात को जानता था कि मायावती ने मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश की सारी आर्थिक सत्ता पोंटी चड्ढा और जेपी ग्रुप में बाँट दी थी।
सारे नियम कायदों को ताक पर रख कर न सिर्फ सरकारी ठेके पोंटी के नाम कर दिए गए बल्कि कई जनपदों में राजस्व के साथ-साथ होने वाली अवैध वसूली का ठेका भी पोंटी को दे दिया। सिर्फ इतना ही नहीं पोंटी ही वो आदमी था जिसने बाबूसिंह कुशवाहा जैसे नेताओं के पैर के नीचे की जमीन छीन ली।
आयकर विभाग इस मामले में अब तक की कार्रवाई के बाद सामने आये सच को आधार बना कर देखा जाये तो पिछले पांच सालों में उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार के रहमों करम पर कई हज़ार करोड़ की संपत्ति बनाने वाला पोटी चड्ढा उत्तर प्रदेश चुनाव में बसपा पार्टी को सीधे तौर पर आर्थिक मदद मुहैया करवा रहा था।
सूत्रों के मुताबिक पोंटी चड्ढा के ठिकानों पर हुई आयकर विभाग की पूरी कार्रवाई सियासी रंग लेती जा रही है।देश के शीर्ष शराब व्यवसाई और मायावती के करीबी पोटी चड्ढा के 25 ठिकानों पर एकाएक हुई इस छापेमारी के बाद बरामद हुए लगभग 200 करोड़ रुपये का प्रयोग उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद विधायकों की खरीद में किया जाना तय हुआ था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के करीब 3000 शराब ठेकों के मलिक पोंटी द्वारा चुनाव में बसपा को शराब उपलब्ध कराये जाने की बात भी सामने आ रही है।
सूत्रों की मानें तो निर्वाचन आयोग के सख्त रवैये के चलते चुनाव में काले धन और शराब वितरण पर रोक लगाये जाने के बाद बेहद खराब राजनैतिक दौर से गुजर रही बसपा की चुनावी तैयारियों पर पानी सा फिर गया था। जिसके बाद दोबारा सत्ता में आने के लिए प्रयासरत बसपा ने नई रणनीति तैयार की थी जिसके तहत चुनाव के बाद के गठजोड़ के लिए वोट के बजाय विधायकों की खरीद की तैयारी की जा रही थी। इस काम के लिए बसपा ने इस व्यवसाई को अपनी रणनीति का हिस्सा बनाया था।www.legendnews.in
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