अहमदाबाद। गुजरात दंगा पीड़ितों ने आरोप लगाया है
कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने उनके नाम पर लाखों रुपए का
डोनेशन एकत्रित किया लेकिन उनको फूटी कौड़ी नहीं मिली है।
गुलबर्ग सोसायटी के लोगों का कहना है कि तीस्ता के एनजीओ ने उनके कल्याण के नाम पर दुनिया भर से लाखों रुपए का डोनेशन लिया। गोधरा कांड के बाद 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे। दंगाईयों ने गुलबर्ग सोसायटी में एक समुयाद विशेष के लोगों को निशाना बनाया था। इसमें कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे।
सोसायटी के करीब 12 लोगों ने एक संयुक्त नोटिस सीतलवाड के एनजीओ सिटीजंस फॉर पीस एंड जस्टिस को भेजा है। इस नोटिस को सार्वजनिक किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि उन्हें आरटीआई के जरिए जानकारी मिली है कि तीस्ता ने उनके घरों के पुनर्निर्माण के लिए और सोसायटी को म्यूजियम के रूप में विकसित करने के लिए देश और विदेशों से बड़ी मात्रा में दान लिया है। करीब 63 लाख का डोनेशन सीजेपी और 88 लाख का डोनेशन सबरंग ट्रस्ट के खातों में जमा हुआ है। सोसोयटी के लोगों को इसमें से फूटी कौड़ी नहीं मिली है।
शहर के दंगा पीड़ितों ने शहर के पुलिस कमिश्नर को भी एक पत्र भेजा हैं। इसमें तीस्ता के एनजीओ पर बैन लगाने की मांग की गई है। तीस्ता का एनजीओ हर साल 28 फरवरी को एक कार्यक्रम आयोजित करता है जिसमें दंगा पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की जाती है। गुलबर्ग सोसायटी के लोगों ने मांग की है कि ऎसे एनजीओ और बाहरी लोगों को हमारी सोसायटी में कार्यक्रम करने से रोका जाए। हमे सुरक्षा दी जाए ताकि हम इन एनजीओ के बगैर दंगों में मारे गए प्रियजनों के लिए शांतिपूर्वक प्रार्थना कर सकें।
पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में एक दंगा पीडित ने आरोप लगाया है कि पिछले दस साल से एनजीओ झूठे वादे कर रहा है। ये एनजीओ और बाहरी लोग हम लोगों को गरीब दिखाकर और हमारी मदद के नाम पर खुद की जेबें भर रहे हैं।
गुलबर्ग सोसायटी के लोगों का कहना है कि तीस्ता के एनजीओ ने उनके कल्याण के नाम पर दुनिया भर से लाखों रुपए का डोनेशन लिया। गोधरा कांड के बाद 2002 में गुजरात में दंगे हुए थे। दंगाईयों ने गुलबर्ग सोसायटी में एक समुयाद विशेष के लोगों को निशाना बनाया था। इसमें कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित 69 लोग मारे गए थे।
सोसायटी के करीब 12 लोगों ने एक संयुक्त नोटिस सीतलवाड के एनजीओ सिटीजंस फॉर पीस एंड जस्टिस को भेजा है। इस नोटिस को सार्वजनिक किया गया है। नोटिस में कहा गया है कि उन्हें आरटीआई के जरिए जानकारी मिली है कि तीस्ता ने उनके घरों के पुनर्निर्माण के लिए और सोसायटी को म्यूजियम के रूप में विकसित करने के लिए देश और विदेशों से बड़ी मात्रा में दान लिया है। करीब 63 लाख का डोनेशन सीजेपी और 88 लाख का डोनेशन सबरंग ट्रस्ट के खातों में जमा हुआ है। सोसोयटी के लोगों को इसमें से फूटी कौड़ी नहीं मिली है।
शहर के दंगा पीड़ितों ने शहर के पुलिस कमिश्नर को भी एक पत्र भेजा हैं। इसमें तीस्ता के एनजीओ पर बैन लगाने की मांग की गई है। तीस्ता का एनजीओ हर साल 28 फरवरी को एक कार्यक्रम आयोजित करता है जिसमें दंगा पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की जाती है। गुलबर्ग सोसायटी के लोगों ने मांग की है कि ऎसे एनजीओ और बाहरी लोगों को हमारी सोसायटी में कार्यक्रम करने से रोका जाए। हमे सुरक्षा दी जाए ताकि हम इन एनजीओ के बगैर दंगों में मारे गए प्रियजनों के लिए शांतिपूर्वक प्रार्थना कर सकें।
पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में एक दंगा पीडित ने आरोप लगाया है कि पिछले दस साल से एनजीओ झूठे वादे कर रहा है। ये एनजीओ और बाहरी लोग हम लोगों को गरीब दिखाकर और हमारी मदद के नाम पर खुद की जेबें भर रहे हैं।
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