मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

अवैध है कोयला ब्लॉकों के आवंटन की प्रक्रिया:बनर्जी

नई दिल्ली। संसद की स्थाई समिति ने वर्ष 1993 और 2010 के बीच आवंटित कोयला ब्लॉकों के आवंटन की प्रक्रिया को अवैध करार देते हुए सभी आवंटन को तत्काल निरस्त करने और इस संबंध में निर्णय लेने वालों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की सिफारिश की है।
संसद की कोयला एवं इस्पात संबंधी स्थाई समिति की रिपोर्ट को आज दोनों सदनों में पेश किए जाने के बाद समिति के अध्यक्ष कल्याण बनर्जी ने कहा कि वर्ष 1993 से 2010 के बीच कोयला ब्लॉकों का आवंटन अपारदर्शी तरीके से किया गया। किसी पारदर्शी प्रक्रिया को अपनाए बगैर कुछ लोगों को निजी लाभ के लिए कोयला ब्लॉकों का आवंटन कर दिया गया और प्राकृतिक संसाधन के आवंटन से सरकार को कोई राजस्व भी नहीं मिला।
बनर्जी ने सरकार पर शक्ति का पूरी तरह से दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकोर मनमाने ढंग से इस तरह का निर्णय नहीं ले सकती है। समिति का मानना है कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन के लिए पूरी निर्णय प्रक्रिया की जांच की जानी चाहिए और उन सभी लोगों को दोषी ठहराया जाना चाहिए जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस प्रक्रिया से जुड़े थे।
समिति ने कोयला ब्लॉक आंवटन प्रक्रिया को अवैध बताते हुए कहा है कि आंवटन का लाभ किसी को भी नहीं मिलना चाहिए और निजी कंपनियों को आवंटित सभी ब्लॉकों का आवंटन, विशेषकर उन ब्लॉको का जहां अभी उत्पादन शुरू नहीं हुआ, रद्द कर दिया जाना चाहिए। समिति ने यह भी कहा है कि राज्य तथा केन्द्र सरकार के उपक्रमो को यथाशीघ्र खनन कार्य शुरू करने की चेतावनी दी जानी चाहिए।
समिति ने कहा कि सरकारी उपक्रमों को आवंटित कोयला ब्लॉकों का निजी कंपनियों द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया या बोली प्रक्रिया अपनाए बगैर दोहन करने की अनुमति दिए जाने की भी जांच की जानी चाहिए।
समिति ने सरकार को कोयला ब्लॉकों के आंवटन के लिए एक नीति तैयार करने की सलाह देते हुए कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निजी कंपनियों को किस क्षेत्र के लिए आवंटन किया जाना चाहिए तथा आवंटन में सरकारी उपक्रमों को वरीयता दी जानी चाहिए।
समिति ने कहा कि अंतर मंत्रालय समूह ने भी इस मामले में अपने कर्तव्य को ईमानदारी से नहीं निभाया। समिति ने कहा कि कोयला को तरल ईंधन में बदलने के लिए आवंटित कोयला ब्लॉकों की आवंटन प्रक्रिया भी लगभग वैसी ही थी, जैसी दूसरी कंपनियों के आवंटन के लिए अपनी गई थी। तीन सौ करोड टन अनुमानित भंडार वाले दो कोयला ब्लॉकों का आवंटन सरकारी कंपनियों को नजरअंदाज कर निजी कंपनियों को किया गया।

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