बुधवार, 5 जून 2013

हिमाकत: अगस्‍ता ने भारत से मांगे 2400 करोड़

नई दिल्ली। वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले के मद्देनजर काली सूची में डाले जाने की संभावना को भांप रही एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्तावेस्टलैंड ने वित्त मंत्रालय से संपर्क कर करीब 2400 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए कहा है जिसे रक्षा मंत्रालय ने मामले में जांच लंबित होने के चलते रोक रखा है।
कंपनी ने वित्तमंत्री पी चिदंबरम को भेजे पत्र में दलील दी है कि रक्षा मंत्रालय के साथ कुछ अनुबंध संबंधी कठिनाइयां हैं और भुगतान नहीं करना अनुबंध तोड़ने के समान है।
कंपनी ने कहा है कि भारतीय और इतालवी कानूनों के तहत न्याय के सिद्धांतों के अनुसार जब तक किसी व्यक्ति या संस्था का दोष साबित नहीं हो जाता तब तक उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता। मामले में दोनों देशों में जांच चल रही है।
अगस्तावेस्टलैंड के प्रबंध निदेशक जियाफ हून ने पत्र लिखा है। पत्र में लिखा है, मैं आपको रक्षा मंत्रालय और अगस्तावेस्टलैंड इंटरनेशनल के बीच आईं अनुबंध संबंधी कठिनाइयों के संदर्भ में जानकारी मुहैया कराने के लिए पत्र लिख रहा हूं।
उन्होंने कहा, रक्षा मंत्रालय को न तो अनुबंध में और न ही इससे जुड़े भ्रष्टाचाररोधक करार में ऐसा कोई अधिकार मिलता है कि वह एकपक्षीय तरीके से अनुबंध को निलंबित कर दे या शर्तों के तहत बकाया भुगतान को रोक दे। हमें खेद है कि इस तरह की कार्रवाई अनुबंध तोड़ने के समान दिखाई देती है।
3600 करोड़ रुपए के सौदे में भारत ने करीब 30 प्रतिशत भुगतान कर दिया है, लेकिन सौदा अपने पक्ष में कराने के लिए 362 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी के आरोप में फिनमैकेनिका तथा अगस्ता के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की इतालवी जांचकर्ताओं द्वारा गिरफ्तारी के बाद बकाया धन रोक दिया गया।
सीबीआई ने रिश्वतखोरी के आरोपों में मामला दर्ज किया और मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी तथा उनके तीन रिश्तेदारों से पूछताछ की।
कंपनी ने पत्र में लिखा है कि वह रक्षा मंत्रालय से जवाब पाने की कोशिश कर रही है लेकिन अभी तक उसके अनुरोधों पर प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। कंपनी ने कहा, अगस्तावेस्टलैंड ने हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के संबंध में सभी वचनबद्धताओं को पूरा किया है। हमें उक्त के संदर्भ में धन नहीं मिला है।
कंपनी ने कहा, हमने रक्षा मंत्रालय को 13 फरवरी को पत्र लिखकर आपूर्ति किए जाने वाले हेलीकॉप्टरों का भुगतान करने का अनुरोध किया था। हमें अफसोस है कि रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इसका जवाब नहीं दिया। कंपनी ने यह भी कहा कि बातचीत से सभी मुद्दों पर बिना अदालत में जाए उचित विचार-विमर्श हो सकेगा।
भारत ने घोटाला सामने आने के बाद सीबीआई जांच का परिणाम लंबित होने के चलते कंपनी से नौ हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति और उसे 2400 करोड़ रुपए का भुगतान रोक दिया था। भारत को 2010 में हुए सौदे के अनुरूप 12 हेलीकॉप्टरों में से 3 पहले ही मिल चुके हैं। शेष हेलीकॉप्टरों में से तीन यहां अगले महीने आने वाले थे। शेष छह इस साल के आखिर में आना तय थे।
घोटाला सामने आने के बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा था कि भारत इस स्तर पर भी अपना धन वापस प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा था, यदि भारत सरकार ने कोई धन दिया है तो भ्रष्टाचार निरोधक करार के प्रावधानों के तहत हम विक्रेता को दिया अपना पूरा धन वापस पा सकते हैं। (एजेंसी)

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