नई दिल्ली । लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के तीन
प्रमुख पदों से इस्तीफे से पहले भाजपा के समक्ष तीन शर्तें रखी थीं। पार्टी
ने उनकी तीनों शर्तें मानने से इंकार कर दिया।
एक समाचार पत्र के मुताबिक आडवाणी ने रविवार को ही अपना इस्तीफा पत्र तैयार कर लिया था। आडवाणी ने पार्टी के समक्ष जो तीन शर्तें रखी थीं उनमें खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग शामिल थी।
आडवाणी का कहना था कि अगर एनडीए सत्ता में आती है तो उन्हें कम से कम छह महीने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहने दिया जाए। आडवाणी का कहना था कि पार्टी में उन्होंने जो योगदान दिया है, उस कारण उनका इस पद पर हक बनता है।
आडवाणी ने यह भी कहा था कि अगर कोई अन्य आगे आता है तो वह छह महीने बाद पीएम पद छोड़ देंगे। आडवाणी की दूसरी शर्त थी कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाने की बजाय संयोजक बनाया जाए।
तीसरी शर्त यह थी कि अगर मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया जाता है तो मोदी उन्हें रिपोर्ट करेंगे। सूत्रों के मुताबिक आडवाणी ही चुनाव रणनीति बनाना चाहते थे। साथ ही वह यह भी चाहते थे कि प्रमुख फैसले वही लें। संघ इस बात पर अड़ा हुआ था कि मोदी को ही चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया जाए। संघ के निर्देश पर भाजपा ने फैसला ले लिया और आडवाणी ने नाराज होकर इस्तीफा दे दिया।
आडवाणी के मूड को भांपते हुए भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपने बेटे और यूपी भाजपा के महासचिव पंकज सिंह को दिल्ली में रुकने के लिए कहा। पंकज लगातार आडवाणी के संपर्क में थे। पंकज ने आडवाणी के लिए चार्टड प्लेन तैयार रखा था। अगर आडवाणी मान जाते तो उनको प्लेन में बिठाकर गोवा ले जाया जाता लेकिन आडवाणी ने अपना मन नहीं बदला।(एजेंसी)
एक समाचार पत्र के मुताबिक आडवाणी ने रविवार को ही अपना इस्तीफा पत्र तैयार कर लिया था। आडवाणी ने पार्टी के समक्ष जो तीन शर्तें रखी थीं उनमें खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की मांग शामिल थी।
आडवाणी का कहना था कि अगर एनडीए सत्ता में आती है तो उन्हें कम से कम छह महीने तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहने दिया जाए। आडवाणी का कहना था कि पार्टी में उन्होंने जो योगदान दिया है, उस कारण उनका इस पद पर हक बनता है।
आडवाणी ने यह भी कहा था कि अगर कोई अन्य आगे आता है तो वह छह महीने बाद पीएम पद छोड़ देंगे। आडवाणी की दूसरी शर्त थी कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाने की बजाय संयोजक बनाया जाए।
तीसरी शर्त यह थी कि अगर मोदी को चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया जाता है तो मोदी उन्हें रिपोर्ट करेंगे। सूत्रों के मुताबिक आडवाणी ही चुनाव रणनीति बनाना चाहते थे। साथ ही वह यह भी चाहते थे कि प्रमुख फैसले वही लें। संघ इस बात पर अड़ा हुआ था कि मोदी को ही चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया जाए। संघ के निर्देश पर भाजपा ने फैसला ले लिया और आडवाणी ने नाराज होकर इस्तीफा दे दिया।
आडवाणी के मूड को भांपते हुए भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अपने बेटे और यूपी भाजपा के महासचिव पंकज सिंह को दिल्ली में रुकने के लिए कहा। पंकज लगातार आडवाणी के संपर्क में थे। पंकज ने आडवाणी के लिए चार्टड प्लेन तैयार रखा था। अगर आडवाणी मान जाते तो उनको प्लेन में बिठाकर गोवा ले जाया जाता लेकिन आडवाणी ने अपना मन नहीं बदला।(एजेंसी)
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