-पीएम ने कहा, अब बाद में होगी बात
-प्रदेश प्रभारी ने क्षेत्र में समय बिताने की हिदायत दी
कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा Mission 2017 के संदर्भ में यूपी के सांसदों की ली गई विशेष मीटिंग के दौरान लगभग सभी सांसद पूरी तरह फेल साबित हुए। सांसदों की इस अयोग्यता पर पीएम ने उनकी जमकर क्लास भी ली।
पीएम की क्लास में यूपी के सांसदों की अयोग्यता ने यह तो साफ कर दिया कि मिशन 2017 के तहत उत्तर प्रदेश को जीतने के लिए चाहे समूची भारतीय जनता पार्टी और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी भी कितने ही गंभीर क्यों न हों किंतु उत्तर प्रदेश के सांसद इसके लिए कतई गंभीर नहीं हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के ही नोएडा से सांसद तथा केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा के घर पर कल यूपी के सांसदों की बैठक ली थी।
इस बैठक में मोदी ने सभी सांसदों से मात्र दो प्रश्न पूछे लेकिन कोई सांसद इन दो प्रश्नों के भी उत्तर नहीं दे सका। सांसदों की इस अयोग्यता पर पीएम को आश्चर्य हुआ और उन्होंने सभी सांसदों की जमकर क्लास ली।
प्रधानमंत्री मोदी का यूपी के सांसदों से पहला सवाल था कि क्या आपको पता है 2014 से पहले यूपी के कितने गांवों में बिजली नहीं थी और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद कितने गांवों में बिजली पहुंच गई है?
आश्चर्यजनक रूप से प्रधानमंत्री के इस प्रश्न का कोई भी सांसद जवाब नहीं दे पाया।
पहले प्रश्न का जवाब न मिलने पर प्रधानमंत्री ने दूसरा प्रश्न यह किया कि जनता को सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए ”मोदी एप” लाया गया है। क्या यह एप आपके मोबाइल पर है?
प्रधानमंत्री को यह देखकर बहुत निराशा हुई कि यूपी के किसी सांसद ने उनके इस प्रश्न पर भी अपेक्षा के अनुरूप जवाब नहीं दिया। अर्थात किसी सांसद के मोबाइल में ”मोदी एप” नहीं पाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी यूपी के सांसदों की इस कार्यपद्धति को देखकर इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने ज्यादा कुछ कहने की जगह सिर्फ इतना कहा कि अब इस बारे में बाद में बात होगी।
बैठक में मौजूद भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने प्रधानमंत्री की जगह यूपी के सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक समय बिताने की हिदायत दी।
ओम माथुर ने इन सांसदों से यह भी कहा कि वह अपनी कुल सांसद निधि में से 25 प्रतिशत निधि का खर्च संगठन की सिफारिश पर करें।
इस दौरान प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने सूबे में होने वाले पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी भी सांसदों को दी।
ओम माथुर ने बताया कि प्रधानमंत्री अप्रैल में मऊ और आगरा का दौरा करेंगे। 14 अप्रैल को मऊ में अंबेडकर जयंती पर होने वाले कार्यक्रम अटेंड करेंगे और इसी दिन से पार्टी के यूपी में होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू होगी, जिसका समापन 24 अप्रैल को आगरा में किया जायेगा। इस आयोजन में भी पीएम मोदी मौजूद रहेंगे।
प्रधानमंत्री द्वारा यूपी के सांसदों की लगाई गई इस क्लास में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मिशन 2017 के लिए उत्तर प्रदेश के सांसदों की अलग से मीटिंग लेना इस बात को तो साफ करता है कि प्रधानमंत्री न सिर्फ यूपी को लेकर गंभीर हैं बल्कि उन्हें इस बात की भी जानकारी है कि अब तक यूपी के सांसदों की जो कार्यप्रणाली रही है, उसे यदि समय रहते नहीं सुधारा गया तो मिशन 2017 में वही कमजोर कड़ी साबित होंगे।
उत्तर प्रदेश में भी भाजपा के लिए तीनों प्रमुख धार्मिक स्थान यानि अयोध्या (फैजाबाद), मथुरा तथा काशी (वाराणसी) अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यही वह हड़िया के चावल हैं जहां से यूपी की स्थिति का अंदाज सहज लगाया जा सकता है।
इनमें से दो जिले विशिष्ट श्रेणी में आते हैं क्योंकि एक (वाराणसी) से स्वयं पीएम सांसद हैं जबकि दूसरे (मथुरा) का प्रतिनिधित्व प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी के पास है।
फैजाबाद से भी भाजपा के ही सांसद लल्लू सिंह हैं।
वाराणसी पर तो प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान केंद्रित है किंतु यदि बात करें मथुरा की तो हेमा मालिनी से मथुरा की जनता प्रसन्न नजर नहीं आती।
हाल ही में हेमा मालिनी ने मीडिया से एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि सांसद बनने पर उनके सम्मान में काफी इजाफा हुआ है। अभिनेत्री के रूप में उन्हें जनता का प्यार मिलता रहा है किंतु सांसद बनने के बाद मिले सम्मान से वह अभिभूत हैं।
हेमा मालिनी का कथन तो सही है परंतु क्या वह सांसद के रूप में मिले इस सम्मान की भरपाई भी कर रही हैं, यह प्रश्न विचारणीय हो जाता है।
हाल ही में 12 और 13 मार्च को हेमा मालिनी ने वृंदावन (मथुरा) में एक रसोत्सव का आयोजन किया। इस दो दिवसीय आयोजन में सांसद हेमा मालिनी ने अपनी नृत्य कला का भरपूर प्रदर्शन किया और उसी के अनुरूप तारीफ भी बटोरी।
कलाकार के रूप में हेमा मालिनी पहले से प्रतिष्ठित हैं इसलिए उनका आयोजन सफल होना ही था लेकिन सांसद की हैसियत से मथुरा की जनता के लिए अब तक वह ऐसा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं करा सकीं हैं जिसे उनकी विशेष उपल्ब्धि माना जाए या जिसे आधार बनाकर भाजपा मिशन 2017 के लिए क्षेत्रीय जनता से अपने लिए वोट मांग सके।
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रभारी ओम माथुर भी हेमा मालिनी सहित सभी सांसदों की क्षेत्र में अटेंडेंस से भली भांति परिचित होंगे और इसीलिए उन्होंने सांसदों को क्षेत्र में अधिक समय व्यतीत करने की हिदायत दी।
हेमा मालिनी जैसे विशेष दर्जा प्राप्त जनप्रतिनिधियों का तो यह हाल है कि उनसे पार्टी की जिला इकाई तक संपर्क साधने को तरस जाती है, फिर आम जनता के मिलने का तो सवाल ही कहां पैदा होता है।
मथुरा की जनता को हेमा मालिनी यदि कभी दिखती हैं तो बस अखबार के चित्रों में अथवा टीवी पर आने वाले उनके अपने विज्ञापनों में। बाकी तो वह कब आती हैं और कब निकल जाती हैं, इसकी जानकारी जनता जनार्दन को न होकर उनके सचिवनुमा व्यक्ति जनार्दन शर्मा को ही होती है। सांसद से किसकी बात करानी है और किसे मीठी और कड़वी गोली देकर टहला देना है, यह जनार्दन शर्मा तय करते हैं।
इन हालातों में क्या भाजपा के लिए मिशन 2017 फतह कर पाना संभव होगा, और क्या उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों जैसी जीत दर्ज कर पाने की पार्टी की मंशा पूरी होगी, यह बड़ा सवाल बन चुका है।
संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्थिति तथा उससे उपजी परिस्थिति को पहचान लिया है और इसलिए उन्हें यूपी के सांसदों की अलग से मीटिंग लेने की जरूरत महसूस हुई होगी किंतु पीएम मोदी को भी यह समझना होगा कि समय रहते इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो फिर बिहार का नतीजा दोहराने के सिवाय कुछ नहीं रह जायेगा।
जब चिड़िया खेत को चुग जाती हैं तब पछताना ही शेष रह जाता है इसलिए मीटिंग तो ठीक लेकिन मीटिंग का नतीजा भी सामने दिखाई देना चाहिए अन्यथा जनता तो ठेंगा दिखा ही देगी।
-Legend News
-प्रदेश प्रभारी ने क्षेत्र में समय बिताने की हिदायत दी
कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा Mission 2017 के संदर्भ में यूपी के सांसदों की ली गई विशेष मीटिंग के दौरान लगभग सभी सांसद पूरी तरह फेल साबित हुए। सांसदों की इस अयोग्यता पर पीएम ने उनकी जमकर क्लास भी ली।
पीएम की क्लास में यूपी के सांसदों की अयोग्यता ने यह तो साफ कर दिया कि मिशन 2017 के तहत उत्तर प्रदेश को जीतने के लिए चाहे समूची भारतीय जनता पार्टी और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी भी कितने ही गंभीर क्यों न हों किंतु उत्तर प्रदेश के सांसद इसके लिए कतई गंभीर नहीं हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के ही नोएडा से सांसद तथा केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा के घर पर कल यूपी के सांसदों की बैठक ली थी।
इस बैठक में मोदी ने सभी सांसदों से मात्र दो प्रश्न पूछे लेकिन कोई सांसद इन दो प्रश्नों के भी उत्तर नहीं दे सका। सांसदों की इस अयोग्यता पर पीएम को आश्चर्य हुआ और उन्होंने सभी सांसदों की जमकर क्लास ली।
प्रधानमंत्री मोदी का यूपी के सांसदों से पहला सवाल था कि क्या आपको पता है 2014 से पहले यूपी के कितने गांवों में बिजली नहीं थी और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद कितने गांवों में बिजली पहुंच गई है?
आश्चर्यजनक रूप से प्रधानमंत्री के इस प्रश्न का कोई भी सांसद जवाब नहीं दे पाया।
पहले प्रश्न का जवाब न मिलने पर प्रधानमंत्री ने दूसरा प्रश्न यह किया कि जनता को सरकार की उपलब्धियां बताने के लिए ”मोदी एप” लाया गया है। क्या यह एप आपके मोबाइल पर है?
प्रधानमंत्री को यह देखकर बहुत निराशा हुई कि यूपी के किसी सांसद ने उनके इस प्रश्न पर भी अपेक्षा के अनुरूप जवाब नहीं दिया। अर्थात किसी सांसद के मोबाइल में ”मोदी एप” नहीं पाया गया।
प्रधानमंत्री मोदी यूपी के सांसदों की इस कार्यपद्धति को देखकर इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने ज्यादा कुछ कहने की जगह सिर्फ इतना कहा कि अब इस बारे में बाद में बात होगी।
बैठक में मौजूद भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने प्रधानमंत्री की जगह यूपी के सांसदों को अपने-अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक समय बिताने की हिदायत दी।
ओम माथुर ने इन सांसदों से यह भी कहा कि वह अपनी कुल सांसद निधि में से 25 प्रतिशत निधि का खर्च संगठन की सिफारिश पर करें।
इस दौरान प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने सूबे में होने वाले पार्टी के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी भी सांसदों को दी।
ओम माथुर ने बताया कि प्रधानमंत्री अप्रैल में मऊ और आगरा का दौरा करेंगे। 14 अप्रैल को मऊ में अंबेडकर जयंती पर होने वाले कार्यक्रम अटेंड करेंगे और इसी दिन से पार्टी के यूपी में होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू होगी, जिसका समापन 24 अप्रैल को आगरा में किया जायेगा। इस आयोजन में भी पीएम मोदी मौजूद रहेंगे।
प्रधानमंत्री द्वारा यूपी के सांसदों की लगाई गई इस क्लास में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तथा केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मिशन 2017 के लिए उत्तर प्रदेश के सांसदों की अलग से मीटिंग लेना इस बात को तो साफ करता है कि प्रधानमंत्री न सिर्फ यूपी को लेकर गंभीर हैं बल्कि उन्हें इस बात की भी जानकारी है कि अब तक यूपी के सांसदों की जो कार्यप्रणाली रही है, उसे यदि समय रहते नहीं सुधारा गया तो मिशन 2017 में वही कमजोर कड़ी साबित होंगे।
उत्तर प्रदेश में भी भाजपा के लिए तीनों प्रमुख धार्मिक स्थान यानि अयोध्या (फैजाबाद), मथुरा तथा काशी (वाराणसी) अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यही वह हड़िया के चावल हैं जहां से यूपी की स्थिति का अंदाज सहज लगाया जा सकता है।
इनमें से दो जिले विशिष्ट श्रेणी में आते हैं क्योंकि एक (वाराणसी) से स्वयं पीएम सांसद हैं जबकि दूसरे (मथुरा) का प्रतिनिधित्व प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी के पास है।
फैजाबाद से भी भाजपा के ही सांसद लल्लू सिंह हैं।
वाराणसी पर तो प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान केंद्रित है किंतु यदि बात करें मथुरा की तो हेमा मालिनी से मथुरा की जनता प्रसन्न नजर नहीं आती।
हाल ही में हेमा मालिनी ने मीडिया से एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि सांसद बनने पर उनके सम्मान में काफी इजाफा हुआ है। अभिनेत्री के रूप में उन्हें जनता का प्यार मिलता रहा है किंतु सांसद बनने के बाद मिले सम्मान से वह अभिभूत हैं।
हेमा मालिनी का कथन तो सही है परंतु क्या वह सांसद के रूप में मिले इस सम्मान की भरपाई भी कर रही हैं, यह प्रश्न विचारणीय हो जाता है।
हाल ही में 12 और 13 मार्च को हेमा मालिनी ने वृंदावन (मथुरा) में एक रसोत्सव का आयोजन किया। इस दो दिवसीय आयोजन में सांसद हेमा मालिनी ने अपनी नृत्य कला का भरपूर प्रदर्शन किया और उसी के अनुरूप तारीफ भी बटोरी।
कलाकार के रूप में हेमा मालिनी पहले से प्रतिष्ठित हैं इसलिए उनका आयोजन सफल होना ही था लेकिन सांसद की हैसियत से मथुरा की जनता के लिए अब तक वह ऐसा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं करा सकीं हैं जिसे उनकी विशेष उपल्ब्धि माना जाए या जिसे आधार बनाकर भाजपा मिशन 2017 के लिए क्षेत्रीय जनता से अपने लिए वोट मांग सके।
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रभारी ओम माथुर भी हेमा मालिनी सहित सभी सांसदों की क्षेत्र में अटेंडेंस से भली भांति परिचित होंगे और इसीलिए उन्होंने सांसदों को क्षेत्र में अधिक समय व्यतीत करने की हिदायत दी।
हेमा मालिनी जैसे विशेष दर्जा प्राप्त जनप्रतिनिधियों का तो यह हाल है कि उनसे पार्टी की जिला इकाई तक संपर्क साधने को तरस जाती है, फिर आम जनता के मिलने का तो सवाल ही कहां पैदा होता है।
मथुरा की जनता को हेमा मालिनी यदि कभी दिखती हैं तो बस अखबार के चित्रों में अथवा टीवी पर आने वाले उनके अपने विज्ञापनों में। बाकी तो वह कब आती हैं और कब निकल जाती हैं, इसकी जानकारी जनता जनार्दन को न होकर उनके सचिवनुमा व्यक्ति जनार्दन शर्मा को ही होती है। सांसद से किसकी बात करानी है और किसे मीठी और कड़वी गोली देकर टहला देना है, यह जनार्दन शर्मा तय करते हैं।
इन हालातों में क्या भाजपा के लिए मिशन 2017 फतह कर पाना संभव होगा, और क्या उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों जैसी जीत दर्ज कर पाने की पार्टी की मंशा पूरी होगी, यह बड़ा सवाल बन चुका है।
संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस स्थिति तथा उससे उपजी परिस्थिति को पहचान लिया है और इसलिए उन्हें यूपी के सांसदों की अलग से मीटिंग लेने की जरूरत महसूस हुई होगी किंतु पीएम मोदी को भी यह समझना होगा कि समय रहते इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो फिर बिहार का नतीजा दोहराने के सिवाय कुछ नहीं रह जायेगा।
जब चिड़िया खेत को चुग जाती हैं तब पछताना ही शेष रह जाता है इसलिए मीटिंग तो ठीक लेकिन मीटिंग का नतीजा भी सामने दिखाई देना चाहिए अन्यथा जनता तो ठेंगा दिखा ही देगी।
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