मथुरा। नगर पालिका द्वारा एसटीपी व एसपीएस संचालन के लिए उठाए गए ठेके में
पौने 2 करोड़ रुपए के घोटाले पर अब शासन ने भी अपनी मोहर लगाते हुए
जिलाधिकारी के माध्यम से पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता को आरोप पत्र थमा
दिया है।
नगर विकास अनुभाग-2 के सचिव श्रीप्रकाश सिंह तथा उप सचिव श्रवण कुमार सिंह के हस्ताक्षरयुक्त इस पत्र में जिलाधिकारी कार्यालय मथुरा से पालिकाध्यक्ष को तत्काल आरोप पत्र तामील कराने तथा तामीली की सूचना 3 दिनों के अंदर शासन को उपलब्ध कराने के लिए लिखा गया है।
शासन ने पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता से इस आरोप पत्र पर 15 दिन के अंदर जवाब तलब करते हुए हिदायत दी है कि यदि 15 दिन के अंदर वह अपना स्पष्टीकरण नहीं देती हैं तो यह मान लिया जाएगा कि उन्हें अपने बचाव में कुछ नहीं कहना। इसके बाद शासन इस मामले में उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर कार्यवाही सुनिश्चित करेगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी पालिकाध्यक्ष की होगी।
उत्तर प्रदेश शासन के नगर विकास अनुभाग-2 से पत्रांक संख्या 860/नौ-2-16-273 सा/15 पर दिनांक 23 जून 2016 को जारी किया गया यह आरोप पत्र कार्यालय जिलाधिकारी मथुरा में 27 जून के दिन प्राप्त हुआ।
पालिका प्रशासन से जब इस मामले में पूछा गया तो पता लगा कि जिलाधिकारी कार्यालय से पालिकाध्यक्ष को आरोप पत्र तामील हो चुका है और पालिकाध्यक्ष ने भी अपना जवाब शासन को भेज दिया है।
कानूनविदों की मानें तो निर्धारित समय के अंदर पालिकाध्यक्ष द्वारा स्पष्टीकरण न देने अथवा उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट न होने की स्थिति में नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 48 के तहत शासन, पालिकाध्यक्ष को सीधे बर्खास्त कर सकता है।
शासन द्वारा जारी किए गए आरोप पत्र में आयुक्त आगरा मण्डल के पत्रांक संख्या 1234/तेईस-65 (2014-15)/स्था. निकाय दि. 20.01.2016 के आधार पर जिन अनियमितताओं को लेकर पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता से जवाब तलब किया गया है वो इस प्रकार है:
1- नगर पालिका परिषद मथुरा के अंतर्गत एसटीपी व एसपीएस के संचालन हेतु ठेके के लिए टेक्नीकल बिड एवं फाइनेन्शियल बिड अलग-अलग लिफाफों में रखकर एकसाथ डाली जानी थीं। इनमें से टेक्नीकल बिड पहले खुलनी चाहिए थी और उसका परीक्षण करने के उपरांत यह सुनिश्चित करना अनिवार्य था कि तकनीकी आधार पर अयोग्य फर्म कौन सी है क्योंकि तकनीकी आधार पर अयोग्य फर्म की फाइनेन्शियल बिड नहीं खोली जा सकती। इस मामले में टेक्नीकल बिड का मात्र तुलनात्मक चार्ट बनाकर खानापूरी कर दी गई और उस पर भी शर्त संख्या 3 के अनुसार सक्षम अधिकारी या नगर पालिका की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की श्रेणी का कृत्य है।
2- नगर पालिका परिषद मथुरा की संबंधित पत्रावली पर इस आशय का गलत तथ्य अंकित किया गया कि एसटीपी व एसपीएस संचालन के ठेके की सभी बिड सफल हुईं जबकि टेक्नीकल बिड को स्वीकृत करने का कोई आदेश न तो टेंडर कमेटी द्वारा पारित किया गया और ना ही पालिका बोर्ड द्वारा उस पर कोई निर्णय लिया गया। इस प्रकार टेक्नीकल बिड के लिए पत्रावली पर गलत तथ्यों का उल्लेख करते हुए फाइनेन्शियल बिड खोल दी गई जिससे स्पष्ट है कि ठेकेदारों के साथ दुरभि संधि करके अनियमित तरीके से ठेका उठा दिया गया।
3- फरीदाबाद की जिस फर्म ”स्टील इंजीनियर्स” को 1 करोड़ 74 लाख 13 हजार 400 रुपए का ठेका दिया गया, उसका उत्तर प्रदेश से निर्गत हैसियत व चरित्र प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया जोकि गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी का कृत्य और भ्रष्टाचार का द्योतक है।
4- आपके द्वारा फरीदाबाद (हरियाणा) की जिस फर्म को ठेका दिया गया, वह नगर पालिका परिषद् मथुरा में पंजीकृत ही नहीं थी। साथ ही अन्य फर्म मै. पंप इंजीनियर्स एंड ट्रेडर्स द्वारिकापुरी मथुरा का हैसियत प्रमाण पत्र, वांछित से कम था लिहाजा संपूर्ण वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए पर्याप्त नहीं था लेकिन आपने उसके द्वारा डाली गई बिड को सफल मान लिया।
इसी प्रकार लुधियाना की फर्म मै. लॉर्ड कृष्णा एंटरप्राइजेज ने भी उत्तर प्रदेश से निर्गत हैसियत व चरित्र प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए थे, बावजूद इसके आपके द्वारा उसकी टेक्नीकल बिड को सफल मान लिया गया जबकि उसके प्रमाण पत्र ठेके के लिए मान्य ही नहीं थे।
5- इस प्रकार तीनों फर्म्स तकनीकी रूप से अयोग्य होने के कारण बिड निरस्त की जानी चाहिए थी लेकिन बिड खोली गईं।
6- टेक्नीकल बिड स्वीकृत होने तथा फाइनेन्शियल बिड खोले जाने के बीच समय का कोई अंतर नहीं रखा गया और दोनों बिड एकसाथ खोलकर नियमों का घोर उल्लंघन किया गया।
7- फरीदाबाद की जिस फर्म ”स्टील इंजीनियर्स” को 1 करोड़ 74 लाख 13 हजार 400 रुपए का ठेका दिया गया, उसके अनुबंध हेतु शपथ पत्र तो प्रोपराइटर कर्मवीर मेहता का प्रस्तुत किया गया लेकिन हैसियत प्रमाण पत्र उनकी पत्नी सुमन मेहता का लगाया गया जो हरियाणा से जारी किया गया था।
आपका यह कृत्य पूरी तरह नियम विरुद्ध है और स्पष्ट करता है कि ”स्टील इंजीनियर्स” को ठेका दुरभि संधि करके दिया गया।
8- मै. स्टील इंजीनियर्स द्वारा श्रम विभाग को दिए गए प्रपत्र में 16 कर्मचारी दिखाए गए जबकि नगर पालिका परिषद मथुरा में 12 सीवेज पंप के संचालन पर 8-8 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से कुल 72 कर्मचारी तथा दो एसटीपी के संचालन के लिए कुल 12 कर्मचारियों की आवश्यकता थी। इस प्रकार 84 कर्मचारियों की आवश्यकता थी जिनका उल्लेख पत्रावली में कर्मचारियों की सूची के अंदर भी नहीं किया गया।
9- एसटीपी व एसपीएस संचालन में अनुरक्षण व सत्यापन के लिए उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 104 के अनुसार सभासदों की एक कमेटी बनाए जाने का प्रावधान है किंतु आपके द्वारा ऐसी किसी कमेटी का गठन ही नहीं किया गया जोकि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन साबित करता है।
10- प्रशासनिक अधिकारियों ने समय-समय पर जब कभी एसटीपी व एसपीएस का निरीक्षण किया तो वह प्राय: बंद पाए गए। 09 फरवरी 2015 को किए गए निरीक्षण में भी स्टेशन बंद मिले और गंदा पानी सीधे यमुना में गिरता पाया गया।
उल्लेखनीय है कि पौने 2 करोड़ रुपए के इस घोटाले में पालिका अध्यक्ष मनीषा गुप्ता के अतिरिक्त अधिशासी अधिकारी के. पी. सिंह, अवर अभियंता (जलकल) के. आर. सिंह, सहायक अभियंता उदयराज, लेखाकार विकास गर्ग तथा लिपिक टुकेश शर्मा भी आरोपी हैं।
ठेका उठाने में बरती गईं अनियमितताओं तथा भ्रष्टाचार का यह मामला अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में भी लंबित है और वहां इसकी सुनवाई के लिए इसी महीने की 25 तारीख मुकर्रर की गई है। ऐसे में देखना यह होगा कि पौने 2 करोड़ रुपए का घोटाला करने के इन आरोपियों पर पहले शासन स्तर से कार्यवाही की जाती है अथवा एनजीटी इनके खिलाफ कार्यवाही की पहल करता है।
इस पूरे मामले का एक दिलचस्प पहलू यह है कि गंगा और यमुना जैसी जिन पवित्र नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए मोदी सरकार एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है और अखिलेश सरकार भी उसमें पूरा सहयोग करने का वादा कर चुकी है, उनके एसटीपी व एसपीएस संचालन में घोटाले की आरोपी मथुरा की पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों में मथुरा-वृंदावन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रही हैं। उनके पति और भाजपा नेता राजेश गुप्ता ”डब्बू” दावा कर रहे हैं कि मनीषा को न केवल टिकट मिलेगा बल्कि वह यूपी में बनने वाली अगली सरकार के अंदर मंत्रिपद भी ग्रहण करेंगी।
-लीजेंड न्यूज़
नगर विकास अनुभाग-2 के सचिव श्रीप्रकाश सिंह तथा उप सचिव श्रवण कुमार सिंह के हस्ताक्षरयुक्त इस पत्र में जिलाधिकारी कार्यालय मथुरा से पालिकाध्यक्ष को तत्काल आरोप पत्र तामील कराने तथा तामीली की सूचना 3 दिनों के अंदर शासन को उपलब्ध कराने के लिए लिखा गया है।
शासन ने पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता से इस आरोप पत्र पर 15 दिन के अंदर जवाब तलब करते हुए हिदायत दी है कि यदि 15 दिन के अंदर वह अपना स्पष्टीकरण नहीं देती हैं तो यह मान लिया जाएगा कि उन्हें अपने बचाव में कुछ नहीं कहना। इसके बाद शासन इस मामले में उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर कार्यवाही सुनिश्चित करेगा जिसकी पूरी जिम्मेदारी पालिकाध्यक्ष की होगी।
उत्तर प्रदेश शासन के नगर विकास अनुभाग-2 से पत्रांक संख्या 860/नौ-2-16-273 सा/15 पर दिनांक 23 जून 2016 को जारी किया गया यह आरोप पत्र कार्यालय जिलाधिकारी मथुरा में 27 जून के दिन प्राप्त हुआ।
पालिका प्रशासन से जब इस मामले में पूछा गया तो पता लगा कि जिलाधिकारी कार्यालय से पालिकाध्यक्ष को आरोप पत्र तामील हो चुका है और पालिकाध्यक्ष ने भी अपना जवाब शासन को भेज दिया है।
कानूनविदों की मानें तो निर्धारित समय के अंदर पालिकाध्यक्ष द्वारा स्पष्टीकरण न देने अथवा उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट न होने की स्थिति में नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 48 के तहत शासन, पालिकाध्यक्ष को सीधे बर्खास्त कर सकता है।
शासन द्वारा जारी किए गए आरोप पत्र में आयुक्त आगरा मण्डल के पत्रांक संख्या 1234/तेईस-65 (2014-15)/स्था. निकाय दि. 20.01.2016 के आधार पर जिन अनियमितताओं को लेकर पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता से जवाब तलब किया गया है वो इस प्रकार है:
1- नगर पालिका परिषद मथुरा के अंतर्गत एसटीपी व एसपीएस के संचालन हेतु ठेके के लिए टेक्नीकल बिड एवं फाइनेन्शियल बिड अलग-अलग लिफाफों में रखकर एकसाथ डाली जानी थीं। इनमें से टेक्नीकल बिड पहले खुलनी चाहिए थी और उसका परीक्षण करने के उपरांत यह सुनिश्चित करना अनिवार्य था कि तकनीकी आधार पर अयोग्य फर्म कौन सी है क्योंकि तकनीकी आधार पर अयोग्य फर्म की फाइनेन्शियल बिड नहीं खोली जा सकती। इस मामले में टेक्नीकल बिड का मात्र तुलनात्मक चार्ट बनाकर खानापूरी कर दी गई और उस पर भी शर्त संख्या 3 के अनुसार सक्षम अधिकारी या नगर पालिका की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया जो गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की श्रेणी का कृत्य है।
2- नगर पालिका परिषद मथुरा की संबंधित पत्रावली पर इस आशय का गलत तथ्य अंकित किया गया कि एसटीपी व एसपीएस संचालन के ठेके की सभी बिड सफल हुईं जबकि टेक्नीकल बिड को स्वीकृत करने का कोई आदेश न तो टेंडर कमेटी द्वारा पारित किया गया और ना ही पालिका बोर्ड द्वारा उस पर कोई निर्णय लिया गया। इस प्रकार टेक्नीकल बिड के लिए पत्रावली पर गलत तथ्यों का उल्लेख करते हुए फाइनेन्शियल बिड खोल दी गई जिससे स्पष्ट है कि ठेकेदारों के साथ दुरभि संधि करके अनियमित तरीके से ठेका उठा दिया गया।
3- फरीदाबाद की जिस फर्म ”स्टील इंजीनियर्स” को 1 करोड़ 74 लाख 13 हजार 400 रुपए का ठेका दिया गया, उसका उत्तर प्रदेश से निर्गत हैसियत व चरित्र प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया जोकि गंभीर वित्तीय अनियमितता की श्रेणी का कृत्य और भ्रष्टाचार का द्योतक है।
4- आपके द्वारा फरीदाबाद (हरियाणा) की जिस फर्म को ठेका दिया गया, वह नगर पालिका परिषद् मथुरा में पंजीकृत ही नहीं थी। साथ ही अन्य फर्म मै. पंप इंजीनियर्स एंड ट्रेडर्स द्वारिकापुरी मथुरा का हैसियत प्रमाण पत्र, वांछित से कम था लिहाजा संपूर्ण वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए पर्याप्त नहीं था लेकिन आपने उसके द्वारा डाली गई बिड को सफल मान लिया।
इसी प्रकार लुधियाना की फर्म मै. लॉर्ड कृष्णा एंटरप्राइजेज ने भी उत्तर प्रदेश से निर्गत हैसियत व चरित्र प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किए थे, बावजूद इसके आपके द्वारा उसकी टेक्नीकल बिड को सफल मान लिया गया जबकि उसके प्रमाण पत्र ठेके के लिए मान्य ही नहीं थे।
5- इस प्रकार तीनों फर्म्स तकनीकी रूप से अयोग्य होने के कारण बिड निरस्त की जानी चाहिए थी लेकिन बिड खोली गईं।
6- टेक्नीकल बिड स्वीकृत होने तथा फाइनेन्शियल बिड खोले जाने के बीच समय का कोई अंतर नहीं रखा गया और दोनों बिड एकसाथ खोलकर नियमों का घोर उल्लंघन किया गया।
7- फरीदाबाद की जिस फर्म ”स्टील इंजीनियर्स” को 1 करोड़ 74 लाख 13 हजार 400 रुपए का ठेका दिया गया, उसके अनुबंध हेतु शपथ पत्र तो प्रोपराइटर कर्मवीर मेहता का प्रस्तुत किया गया लेकिन हैसियत प्रमाण पत्र उनकी पत्नी सुमन मेहता का लगाया गया जो हरियाणा से जारी किया गया था।
आपका यह कृत्य पूरी तरह नियम विरुद्ध है और स्पष्ट करता है कि ”स्टील इंजीनियर्स” को ठेका दुरभि संधि करके दिया गया।
8- मै. स्टील इंजीनियर्स द्वारा श्रम विभाग को दिए गए प्रपत्र में 16 कर्मचारी दिखाए गए जबकि नगर पालिका परिषद मथुरा में 12 सीवेज पंप के संचालन पर 8-8 घंटे की ड्यूटी के हिसाब से कुल 72 कर्मचारी तथा दो एसटीपी के संचालन के लिए कुल 12 कर्मचारियों की आवश्यकता थी। इस प्रकार 84 कर्मचारियों की आवश्यकता थी जिनका उल्लेख पत्रावली में कर्मचारियों की सूची के अंदर भी नहीं किया गया।
9- एसटीपी व एसपीएस संचालन में अनुरक्षण व सत्यापन के लिए उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 104 के अनुसार सभासदों की एक कमेटी बनाए जाने का प्रावधान है किंतु आपके द्वारा ऐसी किसी कमेटी का गठन ही नहीं किया गया जोकि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन साबित करता है।
10- प्रशासनिक अधिकारियों ने समय-समय पर जब कभी एसटीपी व एसपीएस का निरीक्षण किया तो वह प्राय: बंद पाए गए। 09 फरवरी 2015 को किए गए निरीक्षण में भी स्टेशन बंद मिले और गंदा पानी सीधे यमुना में गिरता पाया गया।
उल्लेखनीय है कि पौने 2 करोड़ रुपए के इस घोटाले में पालिका अध्यक्ष मनीषा गुप्ता के अतिरिक्त अधिशासी अधिकारी के. पी. सिंह, अवर अभियंता (जलकल) के. आर. सिंह, सहायक अभियंता उदयराज, लेखाकार विकास गर्ग तथा लिपिक टुकेश शर्मा भी आरोपी हैं।
ठेका उठाने में बरती गईं अनियमितताओं तथा भ्रष्टाचार का यह मामला अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में भी लंबित है और वहां इसकी सुनवाई के लिए इसी महीने की 25 तारीख मुकर्रर की गई है। ऐसे में देखना यह होगा कि पौने 2 करोड़ रुपए का घोटाला करने के इन आरोपियों पर पहले शासन स्तर से कार्यवाही की जाती है अथवा एनजीटी इनके खिलाफ कार्यवाही की पहल करता है।
इस पूरे मामले का एक दिलचस्प पहलू यह है कि गंगा और यमुना जैसी जिन पवित्र नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए मोदी सरकार एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रही है और अखिलेश सरकार भी उसमें पूरा सहयोग करने का वादा कर चुकी है, उनके एसटीपी व एसपीएस संचालन में घोटाले की आरोपी मथुरा की पालिकाध्यक्ष मनीषा गुप्ता यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों में मथुरा-वृंदावन क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रही हैं। उनके पति और भाजपा नेता राजेश गुप्ता ”डब्बू” दावा कर रहे हैं कि मनीषा को न केवल टिकट मिलेगा बल्कि वह यूपी में बनने वाली अगली सरकार के अंदर मंत्रिपद भी ग्रहण करेंगी।
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