शनिवार, 30 जुलाई 2016

बलात्‍कार के केस में पत्रकार उपमन्‍यु को इलाहाबाद High Court से तगड़ा झटका

-कोर्ट ने पूछा, क्‍यों न CBI को सौंप दिया जाए केस 
-मुख्‍यमंत्री के स्‍पेशल ऑफीसर इंचार्ज, डीजीपी यूपी तथा एसएसपी मथुरा से 25 जुलाई तक शपथपत्र दाखिल करने को कहा 
मथुरा। एमबीए पास एक लड़की से बलात्‍कार करने के केस में पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु को इलाहाबाद High Court ने तगड़ा झटका दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के विद्वान न्‍यायाधीश माननीय अरुण टंडन तथा माननीय सुनीता अग्रवाल की डिवीजन बैंच ने गत 12 जुलाई के अपने आदेश में इस मामले पर मुख्‍यमंत्री उत्‍तर प्रदेश अखिलेश यादव के स्‍पेशल ऑफीसर इंचार्ज जगजीवन प्रसाद, डीजीपी उत्‍तर प्रदेश तथा एसएसपी मथुरा को अपने-अपने शपथपत्र दाखिल करने को कहा है।
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी पूछा है कि जिस तरह से बलात्‍कार पीड़िता के कोर्ट में बयान होने के बावजूद जांच ट्रांसफर कर दी गई, उसे देखते हुए क्‍यों न यह मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाए।
गौरतलब है कि पीड़िता की तहरीर पर दुराचार का यह मामला 06 दिसंबर 2014 को मथुरा के हाईवे थाने में अपराध संख्‍या 944/2014 धारा 376 व 506 आईपीसी के तहत दर्ज हुआ था।
उत्‍तर प्रदेश जर्नलिस्‍ट एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्‍यक्ष, ब्रज प्रेस क्‍लब के अध्‍यक्ष तथा मथुरा छावनी बोर्ड के भी उपाध्‍यक्ष पद पर काबिज रहे कमलकांत उपमन्‍यु ने अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल करते हुए पहले तो इस गंभीर आपराधिक मामले की जांच को मथुरा से फिरोजाबाद स्‍थानांतरित करा लिया और फिर उसमें फिरोजाबाद पुलिस से फाइनल रिपोर्ट लगवा दी जबकि जांच स्‍थानांतरित होने से पूर्व न केवल पीड़िता का मेडीकल हो चुका था बल्‍कि मथुरा पुलिस के सामने 161 व कोर्ट में 164 के तहत बयान भी दर्ज कराए जा चुके थे। जिस समय यह जांच स्‍थानांतरित की गई उस समय उत्‍तर प्रदेश पुलिस के डीजी आनंद लाल बनर्जी हुआ करते थे और जिन्‍हें बमुश्‍किल एक सप्‍ताह बाद ही अपने पद से मुक्‍त होना था जबकि मथुरा के एसएसपी पद पर मंजिल सैनी काबिज थीं जो फिलहाल लखनऊ के एसएसपी पद पर काबिज हैं। तत्‍कालीन एसएसपी मंजिल सैनी की आरोपी पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु से नजदीकियां जगजाहिर थीं और मंजिल सैनी के उपमन्‍यु के घर पर उसके साथ खींचे गए फोटो भी उसकी पुष्‍टि कर रहे थे लिहाजा मंजिल सैनी ने पहले तो उपमन्‍यु के खिलाफ एफआईआर ही बड़ी मुश्‍किल से दर्ज होने दी और फिर एफआईआर दर्ज होने के बावजूद उसकी गिरफ्तारी न करके उसे अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल करने की पूरी छूट भी दी। एसएसपी का संरक्षण ही था कि बलात्‍कार जैसे संगीन आरोप में और पीड़िता के 164 के बयान हो जाने के बावजूद कमलकांत उपमन्‍यु अपने सगे भाई की एप्‍लीकेशन पर जांच मथुरा से फिरोजाबाद स्‍थानांतरित करने में सफल रहा।
फिरोजाबाद में तब तक एसपी के पद पर पीयूष श्रीवास्‍तव आ चुके थे जो पहले मथुरा में एएसपी रहे थे। पीयूष श्रीवास्‍तव से भी कमलकांत उपमन्‍यु की अच्‍छी सेटिंग थी इसलिए उसे फिरोजाबाद के आईओ को प्रभावित करने में कोई परेशानी नहीं हुई।
केस की गंभीरता और आरोपी पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु के प्रभाव को देखते हुए मथुरा बार एसोसिएशन के तत्‍कालीन अध्‍यक्ष एडवोकेट विजयपाल तोमर इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ले गए और 09 फरवरी 2015 को जनहित याचिका दायर की।
एडवोकेट विजयपाल तोमर की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश माननीय डी. वाई. चंद्रचूढ़ तथा माननीय सुजीत कुमार की बैंच ने संज्ञान लेते हुए 11 फरवरी 2015 के अपने आदेश में संबंधित सभी अधिकारियों तथा सीजेएम मथुरा को आवश्‍यक दिशा-निर्देश दिए।
इलाहाबाद हाइकोर्ट में लंबित होते हुए पत्रकार कमलकांत उपमन्‍यु ने इस बीच फिरोजाबाद पुलिस से इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगवा ली।
बताया जाता है कि आरोपी कमलकांत उपमन्‍यु ने पीड़िता को भी अपना प्रभाव दिखाकर मथुरा कोर्ट के अंदर अपने पक्ष में बयान देने पर बाध्‍य कर दिया।
अब जबकि याचिकाकर्ता एडवोकेट विजयपाल तोमर ने 12 जुलाई 2016 को कोर्ट के समक्ष सारा मामला पेश किया और बताया कि किस तरह आरोपी ने अपने प्रभाव का इस्‍तेमाल कर न केवल जांच बदलवाई बल्‍कि उसमें फाइनल रिपोर्ट लगवाकर पीड़िता के बयान भी अपने पक्ष में करा लिए तो कोर्ट ने केस की गंभीरता के मद्देनजर अब 25 जुलाई तक मुख्‍यमंत्री के स्‍पेशल ऑफीसर इंचार्ज जगजीवन प्रसाद, डीजीपी उत्‍तर प्रदेश तथा एसएसपी मथुरा को अपने-अपने शपथपत्र दाखिल करने करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में पूछा है कि क्‍यों न यह मामला सीबीआई के सुपुर्द कर दिया जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई 27 जुलाई को होनी है।
-लीजेंड न्‍यूज़

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