मंगलवार, 14 मई 2019

शुरू होने के साथ ही छाता का “Delhi Public School” विवादों में, पेरेंट्स ने की 3 पन्‍नों की शिकायत

मथुरा को राष्‍ट्रीय राजधानी से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे नंबर 2 पर छाता क्षेत्र में अपना पहला शिक्षा सत्र शुरू करने वाला Delhi Public School संभवत: पहला ऐसा हाई प्रोफाइल स्‍कूल होगा, जिसकी शिकायतें इतनी जल्‍दी आने लगीं।
समस्‍या है कहां
दरअसल, शिक्षा व्‍यवसाइयों से पेरेंट्स को होने वाली ऐसी समस्‍याएं न तो नई हैं और न अकेले Delhi Public School से जुड़ी हैं।
सच तो यह है कि ये सभी समस्‍याएं उस व्‍यवस्‍थागत खामियों का हिस्‍सा हैं जिनका भरपूर लाभ शिक्षा व्‍यवसाई उठाते हैं और पेरेंट्स को अपनी उंगलियों पर नचाते हैं।
वो भी तब जबकि अधिकांश स्‍कूल उन जरूरतों को भी पूरा नहीं करते जो किसी स्‍कूल को चलाने के लिए अत्यंत आवश्‍यक होती हैं।
‘सेटेलाइट’ और ‘कोर’ स्‍कूल 
अगर बात करें DPS Society के अधीन चलने वाले Delhi Public School’s की तो उसके दो स्‍तर हैं।
पहला स्‍तर ‘सेटेलाइट’ स्‍कूल्स का होता है जिसकी कमान DPS Society खुद अपने हाथ में रखती है और उनके लिए शिक्षा के सभी अपने मानक लागू करती है। इस स्‍तर का मथुरा में ‘मथुरा रिफाइनरी’ द्वारा संचलित DPS है।
दूसरे स्‍तर में वो स्‍कूल आते हैं जिन्‍हें DPS Society कुछ शर्तों के साथ स्‍कूल चलाने का अधिकार देती है। ये DPS के ‘कोर’ स्‍कूल कहलाते हैं। अकबरपुर (छाता) में शुरू किया गया DPS ऐसे ही ‘कोर’ स्‍कूलों में से एक है। इन स्‍कूलों का नियंत्रण उसकी प्रबंध कमेटी के हाथ में होता है।
छाता क्षेत्र के अकबरपुर में शुरू किया गया Delhi Public School शायद ऐसा भी पहला ही स्‍कूल होगा जिसका उद्घाटन स्‍कूल कैंपस में न कराकर मथुरा की सांसद और प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री हेमा मालिनी से एक होटल में करा लिया गया।
अन्‍यथा इस स्‍कूल के संचालकों को ऐसी क्‍या जल्‍दी थी कि उन्‍होंने न सिर्फ आनन-फानन में उद्घाटन कराकर स्‍कूल का पहला सत्र शुरू कर दिया बल्‍कि सत्र शुरू करने से पहले उन सुविधाओं तक का इंतजाम नहीं किया जिनका जोर-शोर से प्रचार कराया गया था और जिनका बच्‍चों के पेरेंट्स को कमिटमेंट भी किया।
सामान्‍य तौर पर चूंकि लोग ‘सेटेलाइट’ और ‘कोर’ स्‍कूल के अंतर को नहीं जानते इसलिए मात्र “Delhi Public School” लिखा होने के कारण झांसे में आकर जाने-अनजाने बच्‍चों के भविष्‍य से खिलवाड़ करने लगते हैं।
आश्‍चर्य की बात यह है कि इन सुविधाओं में कोई अनोखी सुविधा शामिल नहीं थी। ये सभी वो सुविधाएं थीं जो इस स्‍तर के किसी भी स्‍कूल में आजकल सामान्‍यत: पाई जाती हैं। बावजूद इसके चंद दिनों के अंदर ही इस Delhi Public School की शिकायतों का अंबार लगने लगा है।
केडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्‍टर्स ने की तीन पन्‍नों की लिखित शिकायत
सबसे ताजा मामला स्‍कूल के अत्‍यंत निकट स्‍थित केडी मेडिकल कॉलेज के उन डॉक्‍टर्स का है जिन्‍होंने नजदीक होने के कारण और स्‍कूल की मैनेजमेंट कमेटी पर भरोसा करके अपने बच्‍चों का यहां एडमिशन करा दिया।
कॉलेज के ऐसे डॉक्‍टर्स ने एक लिखित जनरल कंपलेंट करते हुए स्‍कूल की मैनेजमेंट कमेटी पर बच्‍चों को सुविधाएं मुहैया न कराने और पेरेंट्स से किए गए कमिटमेंट को पूरा न करने का आरोप लगाया है।
मेडिकल जैसे पेशे से जुड़े स्‍कूली बच्‍चों के इन पेरेंट्स का आरोप है कि Delhi Public School के मैनेजमेंट ने उनसे एडमिशन कराने से पूर्व जो वायदे किए थे, अब उनमें से किसी को पूरा नहीं किया जा रहा।
जैसे स्‍कूल प्रबंधन ने DPS के स्‍तर वाली सभी ट्रांसपोर्ट संबंधी सुविधाएं बच्‍चों को उपलब्‍ध कराने का वादा किया था लेकिन पहले दिन से लेकर आज तक कभी मेडिकल कॉलेज कैंपस में स्‍कूल बस टाइम से नहीं पहुंची। बस अक्‍सर एक से डेढ़ घंटे देर करती है, जिसके कारण बच्‍चों की शुरू की क्‍लासेस छूट जाती हैं।
शिकायत के अनुसार बच्‍चों के लिए स्‍कूल में एक फीमेल केयरटेकर उपलब्‍ध कराने का कमिटमेंट किया गया था, लेकिन वो भी पूरा नहीं किया जा रहा।
इसके अलावा स्‍कूल बस के अंदर क्षमता से अधिक बच्‍चे भरकर ले जाए जाते हैं जिस कारण भीषण गर्मी के इस दौर में बच्‍चों की तबियत खराब होने का खतरा बना रहता है। साथ ही सुरक्षा के लिहाज से भी बस सुरक्षित नहीं रहती।
पेरेंट्स का कहना है कि इस बारे में शिकायत करने पर स्‍कूल के मैनेजमेंट ने जल्‍द ही समस्‍याएं दूर करने का आश्‍वासन दिया लिहाजा वो निजी वाहनों से बच्‍चों को स्‍कूल छोड़ने जाने लगे किंतु समस्‍याओं का समाधान अब तक नहीं किया गया। इसके विपरीत बच्‍चों को स्‍कूल छोड़ने जाने वाले पेरेंट्स को गेट पर ही रोक दिया जाता है जबकि मेन गेट से स्‍कूल की बिल्‍डिंग काफी दूर है।
पेरेंट्स की एक शिकायत यह भी है कि एडमिशन से पहले उन्‍हें कहा गया था कि केडी मेडिकल कॉलेज से Delhi Public School की दूरी अधिकतम दो किलोमीटर होने के कारण वह इस कैंपस से आने वालों बच्‍चों की स्‍कूल बस फीस सामान्‍य फीस से आधी लेंगे किंतु अब पूअर बस सुविधा के बावजूद पूरी 1500 रुपए फीस वसूली जा रही है जो पूरी तरह नाजायज है।
पेरेंट्स की इन सभी शिकायतों के बारे में Delhi Public School को फोन करके मैनेजमेंट  का पक्ष जानना चाहा तो उधर से कुछ देर बाद जवाब देने की बात कही गई किंतु समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
क्‍यों नहीं आया जवाब ? 
स्‍कूल प्रबंधन से जवाब न आने की सबसे बड़ी वजह स्‍कूल के संचालन में बेहिसाब खामियां होना तो है ही, साथ ही वो नियम व शर्तें भी अब तक पूरी न किया जाना है जो किसी भी स्‍कूल की मान्‍यता के लिए जरूरी होती हैं।
बताया जाता है कि मात्र कक्षा 7 तक के लिए शुरू किए गए इस Delhi Public School ने जिला स्‍तर पर बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहां से जरूरी नियम व शर्तें भी फिलहाल पूरी नहीं की हैं जबकि उन नियम व शर्तों को पूरा किए बिना न तो मान्‍यता मिलना संभव है और न स्‍कूल के संचालन का अधिकार प्राप्‍त होता है।
ऐसे में यह माना जा सकता है कि शत-प्रतिशत सफलता की गारंटी वाले शिक्षा व्‍यवसाय को लोगों ने पेरेंट्स से सिर्फ और सिर्फ पैसा वसूलने का ज़रिया तो बना लिया है किंतु सुविधा और नियम-कानून ताक पर रख दिए हैं।
यदि ऐसा नहीं होता तो कैसे किसी नामचीन संस्‍था से जुड़ा स्‍कूल अपने पहले ही शिक्षा सत्र में पेरेंट्स को शिकायत करने का अवसर देता और कैसे शिकायत सुनने के बाद भी अपना पक्ष रखने की बजाय चुप्‍पी साध लेता।
-Legend News

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