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बुधवार, 23 जून 2021
सेतु निगम का कारनामा: 50 साल की मियाद वाला ‘ओवरब्रिज’ 5 साल बाद ही जर्जर अवस्था को प्राप्त
इसे उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम का कारनामा कहें या इस विभाग में व्याप्त भारी भ्रष्टाचार का उदाहरण कि एक विश्व विख्यात धार्मिक स्थल को जोड़ने वाला ओवरब्रिज मात्र 5 वर्षों बाद ही आज जर्जर अवस्था को प्राप्त हो चुका है, जबकि इसकी मियाद 50 साल घोषित की गई थी।गौरतलब है दिल्ली-मथुरा के बीच मथुरा स्थित कृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले मार्ग पर रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर वर्ष 2015 में जब ओवरब्रिज बनकर तैयार हुआ तो लग रहा था कि अब न केवल लोगों की जान का जोखिम खत्म हो जाएगा बल्कि आवागमन भी सुगम होगा किंतु सेतु निगम के कारनामे की वजह से यह ओवरब्रिज पहले दिन से लेकर अब तक किसी बड़े हादसे को न्योता दे रहा है।
दरअसल, गोविंदनगर रेलवे मार्ग पर बनाए गए इस ओवरब्रिज में उद्घाटन से पहले ही दरारें दिखाई देने लगी थीं।
चूंकि मार्च 2015 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस ओवरब्रिज का उद्घाटन करना था लिहाजा ओवरब्रिज में दरारें देख सेतु निगम के अधिकारी परेशान हो गए और उन्होंने आनन-फानन में दरारें भरना शुरू कर दिया ताकि खामियों को ढककर उद्घाटन कराया जा सके।
बहरहाल, सेतु निगम के अधिकारियों का भाग्य अच्छा रहा कि अखिलेश यादव मथुरा तो आये किंतु वह दूसरे कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते इस ओवरब्रिज का लोकार्पण नहीं कर सके लिहाजा इसे अनौपचारिक तौर पर आवागमन के लिए खोल दिया गया।
नेशनल हाईवे नंबर- 2 को कृष्ण की पावन जन्मस्थली से जोड़ने वाले इस मार्ग पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में देशी-विदेशी लोग यात्री बसों से अथवा निजी वाहनों से आते हैं अत: इस ओवरब्रिज के खुलते ही इस पर वाहनों का आवागमन शुरू हो गया।
ओवरब्रिज पर बेफिक्र होकर दौड़ रहे वाहन चालकों को इस बात का इल्म तक नहीं हुआ कि भ्रष्टाचार के गारे से बने करीब 50 वर्ष की लाइफ वाले इस ओवरब्रिज ने तो लोकार्पण से पहले ही सेतु निगम की असलियत बता कर रख दी थी।
करोड़ों की लागत से बने करीब 900 मीटर लंबे इस ओवरब्रिज की खामियां तथा अपना भ्रष्टाचार छिपाने के लिए सेतु निगम के स्थानीय अधिकारियों ने जैसे-तैसे मरम्मत कराकर तब तो राहत की सांस ले ली परंतु अब वही भ्रष्टाचार एकबार फिर सामने आ खड़ा हुआ है।
तीन-चार दिन पहले ओवरब्रिज का एक बड़ा सा टुकड़ा भरभरा कर गिर पड़ा, जिसके बाद सेतु निगम ने तत्काल काम कराने की बजाय ब्रिज के ऊपर और नीचे दोनों ओर ‘सावधान…कार्य प्रगति पर है’ का बोर्ड लगाकर ब्रिज में आरपार बने ‘होल’ को चारों ओर से कवर कर दिया है।
इस दौरान यदि कोई अच्छी बात है तो वह यह कि कोरोना के कारण यूपी में लगा लॉकडाउन 21 जून से ही समाप्त हुआ है इसलिए कृष्ण जन्मस्थान पर आने वाले देशी-विदेशी श्रद्धालुओं की संख्या अभी हजारों में न होकर सैकड़ों में है, बावजूद इसके कोई हादसा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
आश्चर्य की बात यह भी है कि तीन-चार दिन पहले ही ओवरब्रिज का एक हिस्सा गिर जाने पर सेतु निगम के अधिकारियों ने अब तक उसकी मरम्मत कराना जरूरी नहीं समझा। उन्हें शायद बोर्ड लगाकर काम चलाना उचित लगा क्योंकि वो जानते हैं कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सरकार चाहे अखिलेश की हो, या योगी आदित्यनाथ की। ब्यूरोक्रेसी वही थी, और वही रहेगी।
ऐसा न होता तो जिस ओवरब्रिज की ‘मियाद’ वर्ष 2065 में खत्म होनी थी, वो न तो यूं लोकार्पण से पहले ही चटकता और न 2021 तक जर्जर अवस्था को प्राप्त होता।
मथुरा में यमुना पर बने पुल का भी यही हाल
यहां यह बताना भी जरूरी है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आ जाने के बाद सेतु निगम ने ही मथुरा में यमुना नदी पर दूसरे नए पुल का निर्माण किया है क्योंकि उससे पहले बना पुल अपनी मियाद पूरी कर चुका था।
मार्च 2018 में आम जनता के लिए खोले गए इस पुल की भी दुर्दशा यह बताने के लिए काफी है कि सेतु निगम ने यहां अपना ‘खेल’ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि इसके एप्रोच रोड का निर्माण लोक निर्माण विभाग के उस निर्माण खंड ने कराया था जो भ्रष्टाचार के मामले में सेतु निगम से भी चार कदम आगे है।
वर्तमान में सेतु निगम उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग की एक इकाई है। इन दोनों विभागों के मंत्री उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार बनने के बाद 1 अप्रैल 2017 से फरवरी 2021 तक राज्य सेतु निगम नदियों पर सैकड़ों पुल, रेलवे ओवरब्रिज तथा फ्लाईओवर बना चुका है।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि मथुरा जैसे विश्वविख्यात धार्मिक स्थल पर कृष्ण जन्मभूमि को जोड़ने वाले ओवरब्रिज का जब यह हाल है तो बाकी सैकड़ों का क्या होगा?
सवाल तो बहुत हैं लेकिन दुख का विषय यह है कि जवाब देने वाला कोई नहीं। तब भी नहीं जब योगीराज में भ्रष्टाचार को लेकर ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने का दावा सत्ता ग्रहण करने के पहले दिन से लगातार किया जा रहा है।
अब जबकि प्रदेश में चुनाव सिर पर हैं तो हो सकता है कि विभागीय मंत्री और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सेतु निगम व लोकनिर्माण विभाग के भ्रष्टाचार पर संज्ञान लेकर कोई ठोस कार्यवाही करते नजर आएं।
इस पर लोग कहते हैं कि उम्मीद ही की जा सकती है, भरोसा जताना मुश्किल है।
-सुरेन्द्र चतुर्वेदी
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