शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

बड़ा खुलासा: प्रदेश स्‍तरीय पुलिस अधिकारी द्वारा क्रिकेट के सट्टेबाजों से की जा रही है सीधी वसूली

आगरा और मथुरा के 66 बुकीज से की जाती है नियमित बातचीत
 

एक करोड़ रुपये से अधिक प्रतिमाह इस अधिकारी को देते हैं सटोरिये  

भ्रष्‍टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्‍ना हजारे के अनशन को अपना समर्थन देकर चौंकाने वाली यूपी की मुख्‍यमंत्री मायावती शायद ही यह जानती हों कि उनके एक प्रदेश स्‍तरीय पुलिस अफसर द्वारा न सिर्फ आगरा मण्‍डल बल्‍िक समूचे पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश में क्रिकेट के सट्टेबाजों से कई करोड़ रुपये की सीधी महीनेदारी ली जा रही है।
''लीजेण्‍ड न्‍यूज़'' के हाथ लगे कुछ ठोस दस्‍तावेज इस बात की पुष्‍टि करते हैं कि केवल आगरा और मथुरा जिले के ही 66 सटोरियों से इस पुलिस अधिकारी का गहरा नाता है। दस्‍तावेज के मुताबिक ऐसे 26 सट्टेबाज मथुरा के हैं जबकि 40 का सम्‍बन्‍ध आगरा से हैं।
यहां यह जान लेना जरूरी है कि पश्‍िचमी उत्‍तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर क्रिकेट का सट्टा होता है। सट्टे के इस अवैध कारोबार को संचालित करने वाले अपराधी ''बुकी'' कहलाते हैं और लगाने वालों को सटोरिया कहते हैं। आगरा मण्‍डल में अधिकांश बुकी सफेदपोश हैं।
चूंकि विश्‍व के किसी न किसी हिस्‍से में अब क्रिकेट मैच हमेशा चलते रहते हैं इसलिए क्रिकेट के सट्टेबाजों का धंधा भी अनवरत जारी रहता है। यही कारण है कि पहले जहां क्रिकेट के सटोरियों की संख्‍या काफी कम हुआ करती थी, वहीं अब इनकी तादाद अच्‍छी-खासी हो चुकी है।
एक अनुमान के अनुसार आगरा मण्‍डल में क्रिकेट का सट्टा 500 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का आंकड़ा पार कर चुका है।
बताया जाता है कि पुलिस के इस आला अधिकारी ने क्रिकेट के सट्टेबाजों से महीनेदारी वसूलने के लिए प्रत्‍येक जिले में अपना ''मीडिएटर'' एक भरोसेमंद ''बुकी'' बना रखा है। यह बुकी अपने अन्‍य साथियों से भी प्रतिमाह पैसा एकत्र कर साहब के पास लखनऊ पहुंचाता है।
यह बात अलग है कि इस पुलिस अधिकारी को पूरा भरोसा अपने मीडिएटर पर भी नहीं है इसलिए वह बाकी बुकीज के भी संपर्क में खुद रहता है ताकि पैसे की आमद का सही-सही आंकलन हो सके। इसके लिए वह बाकायदा अपने सीयूजी मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल करता है। लीजेण्‍ड न्‍यूज़ को मिले दस्‍तावेज बताते हैं कि पुलिस के उक्‍त आला अधिकारी द्वारा अपने सभी मीडिएटर्स बुकी से एवरेज प्रतिदिन बात की जाती है जिससे इस अधिकारी तथा सट्टेबाजों की प्रगाढ़ता का पता लगता है।
शासन चाहे तो अपने स्‍तर से भी इस बात की पुष्‍टि उच्‍च पुलिस अधिकारियों के सीयूजी नम्‍बर्स की कॉल डिटेल निकलवाकर कर सकती है।
मथुरा के एक ऐसे ही ''बुकी'' युवा मीडिएटर का नाम पिछले दिनों कोतवाली क्षेत्र में हुए मर्डर में भी सामने आया था लेकिन इसी पुलिस अधिकारी से घनिष्‍ठ सम्‍बन्‍धों के चलते पुलिस इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकी और उसने केवल एक बसपा नेता का चालान कर अपने कर्तव्‍य की इतिश्री कर ली। प्रिंटिग प्रेस के कारोबार से जुड़े इस नव धनाढ्य युवक द्वारा नकली नोटों का बड़ा पैमाने पर कारोबार करने की भी चर्चा है लेकिन आज तक वह पकड़ा नहीं जा सका।
कहा जाता है कि बसपा नेता को रंजिशन बलि का बकरा बनाने तथा क्रिकेट के प्रभावशाली सफेदपोश सट्टेबाजों को पाक साफ दर्शाने के एवज में स्‍थानीय पुलिस को भी अच्‍छा पैसा मिला लेकिन सारी सेटिंग ऊपर से मिले इशारे पर ही हुई।
पुलिस के ही सूत्र बताते हैं कि प्रदेश स्‍तरीय इस पुलिस अधिकारी से क्रिकेट के बुकीज की सीधे सम्‍बन्‍ध बनवाने में एक पुलिस उपाधीक्षक ने महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की।
दरअसल आगरा और मथुरा में लम्‍बे समय तक तैनात रहे इस सर्किल ऑफीसर को खुद भी क्रिकेट के सट्टे और एमसीएक्‍स से पैसा बनाने का शौक लग गया था इसलिए वह एक ओर जहां उनको संरक्षण प्रदान करता था वहीं दूसरी ओर उनका साइलेंट भागीदार भी था।
अपराध व अपराधियों को नियंत्रित करने के लिए सरकारी खजाने से वेतन तथा भत्‍ते और तमाम सुख-सुविधाएं हासिल करने वाला यह पीपीएस अफसर सही मायनों में एक बड़ा अपराधी है लेकिन सेटिंग-गेटिंग के अचूक फार्मूले ने उसे अपने आला अधिकारियों की नाक का बाल बनाये रखा।
इस सीओ के प्रभाव का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि मथुरा में करीब आधा दर्जन वरिष्‍ठ पुलिस अधीक्षकों का तबादला हो जाने के बावजूद वह अपने पसंद वाले एक ही सर्किल में बना रहा। इसी प्रकार यह सीओ आगरा में भी लम्‍बे समय तक रहा और जो सर्किल चाहा, वह प्राप्‍त किया।
पुलिस के सूत्र बताते हैं कि क्रिकेट के सट्टे का अवैध कारोबार संचालित करने वाले अधिकांश लोग सफेदपोश होने के साथ-साथ समाज में प्रतिष्‍ठित भी हैं लिहाजा आला पुलिस अधिकारियों को इनसे संपर्क बनाये रखने में कोई परेशानी नहीं होती।
मथुरा और आगरा में क्रिकेट की सट्टेबाजी करने वालों की सूची पर नजर डाली जाए तो पता लगता है कि इनमें से कोई रीयल एस्‍टेट का बड़ा कारोबारी है तो कोई शिक्षा व्‍यवसाई। कोई प्रिंटिग प्रेस के व्‍यवसाय में प्रदेश की नामचीन हस्‍ती है तो कोई एक खास किस्‍म के बैग बनाने के लिए पहचाना जाता है। कोई कॉलोनाइजर है तो कोई सर्राफा व्‍यवसाई। किसी का चांदी के जेवरात बनाने का कारोबार है तो कोई सोने के आभूषणों का निर्माता है।
कहने का मतलब यह है कि किसी न किसी धंधे में सबकी अपनी एक अलग पहचान है क्‍योंकि क्रिकेट की सट्टेबाजी का संचालन वह बड़ी चालाकी से अपने AC ठिकानों पर करते हैं।
मथुरा के जिन 26 तथा आगरा के 40 बुकीज से लखनऊ में बैठे जिस बड़े साहब का नजदीकी सम्‍बन्‍ध है और जो इन साहब को प्रतिमाह मोटी रकम देते हैं, उनके नामों की सूची पर नजर डालने से पता लगता है कि उन्‍होंने समाज के अंदर एक विश्‍ोष हैसियत बना रखी है।
कई स्‍थानीय पुलिस अधिकारी उनका इस्‍तेमाल अपनी ट्रांसफर-पोस्‍टिंग तक के लिए करते हैं और उसके लिए उनकी चौखट चूमने से भी परहेज नहीं करते।
अब सवाल यह पैदा होता है कि जब लखनऊ के अंदर सरकार की गोद में बैठा कोई पुलिस अफसर क्रिकेट के बुकीज को संरक्षण देगा और अपने सीयूजी नम्‍बर से बात करने में भी नहीं झिझकेगा तो क्‍या जिले में तैनात पुलिस अधिकारी उनका कुछ बिगाड़ पायेंगे ?
क्‍या इन सफेदपोश अपराधियों से पुलिस कभी समाज को मुक्‍त करा पायेगी और क्‍या इनकी दूसरे संगीन अपराधों में संलिप्‍तता के बावजूद इनके नामों का खुलासा करेगी ?
क्‍या ऐसे पुलिस अधिकारी लोगों को कभी भयमुक्‍त शासन देने का सपना पूरा करा पायेंगे और क्‍या कर्तव्‍य के लिए खाक में मिल जाने की प्रेरणा देने वाली खाकी वर्दी को दागों से भर देने में इनकी अपने मातहतों से बड़ी भूमिका नहीं है ?
सच तो यह है कि जब तक ऐसे अधिकारी किसी विभाग में उच्‍च पदों पर आसीन हैं, तब तक प्रदेश की कोई सरकार न तो कानून का राज स्‍थापित कर सकती है और न भ्रष्‍टाचार मुक्‍त व भयमुक्‍त समाज का सपना पूरा करा सकती है। फिर चाहे वह माया का राज हो या मुलायम का। भाजपा का हो या कांग्रेस का।
अन्‍ना हजारे के आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान करके राजनीति भले ही कर ली जाए पर सुशासन तभी संभव है जब सरकार ऊपर से नीचे बह रही भ्रष्‍टाचार की गंदगी को धर्म व जाति के भेदभाव से ऊपर उठकर साफ करने का संकल्‍प ले और उच्‍च पदों पर उन्‍हीं अफसरों को तैनात करे जो उदाहरण प्रस्‍तुत कर सकें।
उन्‍हें नहीं जो जिले में बैठे अधिकारियों को दरकिनार कर अपराधियों से सीधा संपर्क रखते हों और शासन की आंखों में धूल झोंककर अपनी तिजोरियां भरने में माहिर हों।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया बताते चलें कि ये पोस्‍ट कैसी लगी ?

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...