कांग्रेस दा भी जवाब नहीं सोणियो। वाकई वह इस देश की अकेली राष्ट्रीय पार्टी है, यह बात यूपी के विधानसभा चुनाव परिणामों ने साबित कर दी।
नतीजे आने के बाद इतने कांग्रेसी महारथी हार का श्रेय लेने को आतुर हैं जितनी कि यूपी से पार्टी को सीटें नहीं मिलीं। हार का श्रेय लेने को देश के
कोने-कोने से निकल कर आ रहे हैं कांग्रेसी। घड़े में से सिर निकाल निकाल कर कह रहे हैं कि हार का ठीकरा हमारे सिर फोड़ो, राष्ट्र मॉम के या नेशनल प्रिंस के नहीं। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक के कांग्रेसी यूपी की हार अपने सिर पर लिये घूम रहे हैं। कह रहे हैं कि बस एक बार इसे जनता स्वीकार कर ले, फिर हम निश्चिंत होकर अगली हार की तैयारी करें।
आश्चर्य की बात यह है कि सोनिया बी और राहुल बा भी इन कांग्रेसियों का प्रस्ताव स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
राहुल बा तो कह रहे हैं कि जिस तरह देश चलाने का हक सिर्फ और सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार का है इसी तरह हार का श्रेय लेने का अधिकार भी हमारा ही है। इसे कोई दूसरा कैसे ले सकता है। हमें इस प्रस्ताव में
विरोधियों के षड्यंत्र की बू आ रही है। आज जो कांग्रेसी हार का ठीकरा
अपने सिर पर फुड़वाने को बेताब दिखाई दे रहे हैं, कल को वो जीत का
श्रेय लेने की कोशिश करेंगे इसलिए हार का श्रेय केवल हम लेंगे। इसे किसी और को देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
यूं भी मॉम कह चुकी हैं कि इस हार से यूपीए को न कोई नुकसान हुआ है
और ना 2014 के लोकसभा चुनावों में हो सकता है। लोकसभा का वोटर
हमारी तरह ऊंची सोच वाला होगा और उसकी पसंद भी ऊंची यानि कांग्रेस होगी। ऊंचें लोग ऊंची पसंद, राहुल चंद-राहुल चंद।
वैसे सोनिया बी ने यह भी कहा है कि यूपी में हार की वजह टिकटों के
बंटवारे में हुई गलती हो सकती है, वैसे वह इसे लेकर भी कनफर्म नहीं हैं।
ठीक उसी तरह जैसे इस बात को लेकर कनफर्म नहीं हैं कि राहुल अभी
तक मेच्योर हो पाये हैं या नहीं। जिस दिन वह इस मुद्दे पर आश्वस्त हो
जायेंगी, उस दिन न सिर्फ उनकी शादी करा देंगी बल्िक पीएम भी बनवा
देंगी। राहुल से ज्यादा मेच्योर तो मनमोहन सिंह हैं और इसीलिए अब तक पीएम हैं।
बहरहाल, हम बात कर रहे थे यूपी के चुनावों में देश की एकमेव राष्ट्रीय
पार्टी कांग्रेस की हार का श्रेय लेने को आतुर उसके नेताओं की क्योंकि
बर्निंग राष्ट्रीय टॉपिक यही है।
इस टॉपिक का सर्वाधिक रोचक पहलू हैं दिग्गी राजा। वो दिग्गी राजा जिन्हें शायद खुद नहीं पता कि वो क्या बोलते हैं। जो बोलते हैं, उसके लिए उन्हें प्रयास करना पड़ता है या खुद-ब-खुद उनके श्रीहीन मुख से निकल जाता है।
ऐसा भी हो सकता है कि चमचत्व की विशेष योग्यता उनके काम आती
हो। हो सकता है कि ऐसा वह सोनिया बी के कर कमलों से चमचत्व का
गोल्ड मेडल पाने की खातिर बोलते हों क्योंकि इस फील्ड में भी कांग्रेस के अंदर बड़ा टफ कॉम्पटीशन है।
रीता बहुगुणा जोशी, मनीश तिवारी, जनार्दन द्विवेदी, कपिल सिब्बल, प्रदीप जायसवाल, राशिद अल्वी, बेनी बाबू, सलमान खुर्शीद, अंबिका सोनी, पी चिदम्बरम् से लेकर मन को मोहने वाले परम् आदर्णीय पीएम बाबू मनमोहन सिंह तक एक लम्बी लाइन है।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद से ही 10 जनपथ
के मेन गेट पर कांग्रेसियों की लाइन लम्बी होने लगी थी जो होली आते-आते भीड़ में तब्दील हो गई। पहले तो लोगों ने सोचा कि शायद
सोनिया बी को उत्तराखण्ड में मिली ''अपार सफलता'' के लिए उनके
पार्टीजन बधाई देने पहुंचे हैं पर बाद में पता लगा कि वह तो यूपी की हार
का श्रेय लेने को एकत्र हुए हैं। देखते-देखते यह भीड़ इतनी बढ़ गई कि
सोनिया बी व राहुल बा इलाका पुलिस को सूचित करने पर मजबूर हो गये।
एक आला अधिकारी ने हालातों को देखते हुए पहले तो फोन पर शीला
दीक्षित जी से गुफ़्तगू की और फिर लाठीचार्ज का आदेश दे दिया।
हार का श्रेय लेने को एकत्र हुए कांग्रेसी लाठीचार्ज के बावजूद 10 जनपथ से हटने को तैयार नहीं थे। कह रहे थे कि एकबार बस सोनिया बी बस इतना मान लें कि हार की जिम्मेदारी उनकी नहीं, किसी न किसी छुटभैये नेता की है तो हम संतुष्ट होकर चले जायेंगे। फिर हम आपस में हार का ठीकरा बांट लेंगे और तब तक उसे अपने-अपने सिरों पर फोड़ते रहेंगे जब तक कि कांग्रेस यूपी में जीत नहीं जाती। आखिर राहुल बा ने एक ही जिद तो पकड़ी हुई है कि यूपी में जीत दर्ज न कराने तक वह न शादी करेंगे और ना पीएम बनेंगे। चाहे उन्हें रात 12 बजे मनमोहन के तख्ता पलट का ऑफर प्रदीप जायसवाल द्वारा तमाम दूसरे मंत्री व संत्रियों की सहमति से दिया जा चुका है।
जो भी हो लेकिन एक बात तो इन विधानसभा चुनावों से पूरी तरह साबित हो गई कि देश में राष्ट्रीय पार्टी अगर कोई है तो वह कांग्रेस ही है और अंतर्राष्ट्रीय नेता हैं तो कांग्रेस के पास हैं। कांग्रेसियों का चमचत्व देश की सीमाओं को लांघकर विदेशों तक चर्चित हो गया है। सुना है अनेक दूसरे देशों के नेता सोनिया बी से जानना चाहते हैं कि उन्होंने चमचों की इतनी बड़ी फौज कैसे खड़ी की। वह चाहते हैं कि सोनिया बी उनसे चाहें तो डॉलर्स में फीस वसूल लें लेकिन इसकी कोचिंग दे दें ताकि वह भी अपने-अपने देश में चमचों की एक बड़ी फौज खड़ी कर सकें।
सोनिया बी फिलहाल उनके प्रस्ताव पर सहानुभूति से किंतु गंभीर पूर्वक
विचार कर रही हैं।
जय हिंद ! जय भारत !
नतीजे आने के बाद इतने कांग्रेसी महारथी हार का श्रेय लेने को आतुर हैं जितनी कि यूपी से पार्टी को सीटें नहीं मिलीं। हार का श्रेय लेने को देश के
कोने-कोने से निकल कर आ रहे हैं कांग्रेसी। घड़े में से सिर निकाल निकाल कर कह रहे हैं कि हार का ठीकरा हमारे सिर फोड़ो, राष्ट्र मॉम के या नेशनल प्रिंस के नहीं। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक के कांग्रेसी यूपी की हार अपने सिर पर लिये घूम रहे हैं। कह रहे हैं कि बस एक बार इसे जनता स्वीकार कर ले, फिर हम निश्चिंत होकर अगली हार की तैयारी करें।
आश्चर्य की बात यह है कि सोनिया बी और राहुल बा भी इन कांग्रेसियों का प्रस्ताव स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
राहुल बा तो कह रहे हैं कि जिस तरह देश चलाने का हक सिर्फ और सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार का है इसी तरह हार का श्रेय लेने का अधिकार भी हमारा ही है। इसे कोई दूसरा कैसे ले सकता है। हमें इस प्रस्ताव में
विरोधियों के षड्यंत्र की बू आ रही है। आज जो कांग्रेसी हार का ठीकरा
अपने सिर पर फुड़वाने को बेताब दिखाई दे रहे हैं, कल को वो जीत का
श्रेय लेने की कोशिश करेंगे इसलिए हार का श्रेय केवल हम लेंगे। इसे किसी और को देने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
यूं भी मॉम कह चुकी हैं कि इस हार से यूपीए को न कोई नुकसान हुआ है
और ना 2014 के लोकसभा चुनावों में हो सकता है। लोकसभा का वोटर
हमारी तरह ऊंची सोच वाला होगा और उसकी पसंद भी ऊंची यानि कांग्रेस होगी। ऊंचें लोग ऊंची पसंद, राहुल चंद-राहुल चंद।
वैसे सोनिया बी ने यह भी कहा है कि यूपी में हार की वजह टिकटों के
बंटवारे में हुई गलती हो सकती है, वैसे वह इसे लेकर भी कनफर्म नहीं हैं।
ठीक उसी तरह जैसे इस बात को लेकर कनफर्म नहीं हैं कि राहुल अभी
तक मेच्योर हो पाये हैं या नहीं। जिस दिन वह इस मुद्दे पर आश्वस्त हो
जायेंगी, उस दिन न सिर्फ उनकी शादी करा देंगी बल्िक पीएम भी बनवा
देंगी। राहुल से ज्यादा मेच्योर तो मनमोहन सिंह हैं और इसीलिए अब तक पीएम हैं।
बहरहाल, हम बात कर रहे थे यूपी के चुनावों में देश की एकमेव राष्ट्रीय
पार्टी कांग्रेस की हार का श्रेय लेने को आतुर उसके नेताओं की क्योंकि
बर्निंग राष्ट्रीय टॉपिक यही है।
इस टॉपिक का सर्वाधिक रोचक पहलू हैं दिग्गी राजा। वो दिग्गी राजा जिन्हें शायद खुद नहीं पता कि वो क्या बोलते हैं। जो बोलते हैं, उसके लिए उन्हें प्रयास करना पड़ता है या खुद-ब-खुद उनके श्रीहीन मुख से निकल जाता है।
ऐसा भी हो सकता है कि चमचत्व की विशेष योग्यता उनके काम आती
हो। हो सकता है कि ऐसा वह सोनिया बी के कर कमलों से चमचत्व का
गोल्ड मेडल पाने की खातिर बोलते हों क्योंकि इस फील्ड में भी कांग्रेस के अंदर बड़ा टफ कॉम्पटीशन है।
रीता बहुगुणा जोशी, मनीश तिवारी, जनार्दन द्विवेदी, कपिल सिब्बल, प्रदीप जायसवाल, राशिद अल्वी, बेनी बाबू, सलमान खुर्शीद, अंबिका सोनी, पी चिदम्बरम् से लेकर मन को मोहने वाले परम् आदर्णीय पीएम बाबू मनमोहन सिंह तक एक लम्बी लाइन है।
कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद से ही 10 जनपथ
के मेन गेट पर कांग्रेसियों की लाइन लम्बी होने लगी थी जो होली आते-आते भीड़ में तब्दील हो गई। पहले तो लोगों ने सोचा कि शायद
सोनिया बी को उत्तराखण्ड में मिली ''अपार सफलता'' के लिए उनके
पार्टीजन बधाई देने पहुंचे हैं पर बाद में पता लगा कि वह तो यूपी की हार
का श्रेय लेने को एकत्र हुए हैं। देखते-देखते यह भीड़ इतनी बढ़ गई कि
सोनिया बी व राहुल बा इलाका पुलिस को सूचित करने पर मजबूर हो गये।
एक आला अधिकारी ने हालातों को देखते हुए पहले तो फोन पर शीला
दीक्षित जी से गुफ़्तगू की और फिर लाठीचार्ज का आदेश दे दिया।
हार का श्रेय लेने को एकत्र हुए कांग्रेसी लाठीचार्ज के बावजूद 10 जनपथ से हटने को तैयार नहीं थे। कह रहे थे कि एकबार बस सोनिया बी बस इतना मान लें कि हार की जिम्मेदारी उनकी नहीं, किसी न किसी छुटभैये नेता की है तो हम संतुष्ट होकर चले जायेंगे। फिर हम आपस में हार का ठीकरा बांट लेंगे और तब तक उसे अपने-अपने सिरों पर फोड़ते रहेंगे जब तक कि कांग्रेस यूपी में जीत नहीं जाती। आखिर राहुल बा ने एक ही जिद तो पकड़ी हुई है कि यूपी में जीत दर्ज न कराने तक वह न शादी करेंगे और ना पीएम बनेंगे। चाहे उन्हें रात 12 बजे मनमोहन के तख्ता पलट का ऑफर प्रदीप जायसवाल द्वारा तमाम दूसरे मंत्री व संत्रियों की सहमति से दिया जा चुका है।
जो भी हो लेकिन एक बात तो इन विधानसभा चुनावों से पूरी तरह साबित हो गई कि देश में राष्ट्रीय पार्टी अगर कोई है तो वह कांग्रेस ही है और अंतर्राष्ट्रीय नेता हैं तो कांग्रेस के पास हैं। कांग्रेसियों का चमचत्व देश की सीमाओं को लांघकर विदेशों तक चर्चित हो गया है। सुना है अनेक दूसरे देशों के नेता सोनिया बी से जानना चाहते हैं कि उन्होंने चमचों की इतनी बड़ी फौज कैसे खड़ी की। वह चाहते हैं कि सोनिया बी उनसे चाहें तो डॉलर्स में फीस वसूल लें लेकिन इसकी कोचिंग दे दें ताकि वह भी अपने-अपने देश में चमचों की एक बड़ी फौज खड़ी कर सकें।
सोनिया बी फिलहाल उनके प्रस्ताव पर सहानुभूति से किंतु गंभीर पूर्वक
विचार कर रही हैं।
जय हिंद ! जय भारत !
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