मंगलवार, 10 जुलाई 2012

45 लाख करोड़ का काला धन विदेश में

समाचार ऐजेंसी पीटीआई के मुताबिक भारतीय वाणिज्‍य उद्योग परिसंघ फिक्की ने कहा है कि अगर भारत की सरकार 45 लाख करोड़ रुपए के काले धन को विदेश से देश ले आए, तो भारत की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा हो सकता है.
भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय मंदी से जूझ रही है और ऐसी आशंका है कि चालू वित्तीय वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद में 5.13 लाख करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है.
अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए फिक्की द्वारा बनाई गई एक 12-बिंदु की योजना में संगठन का कहना है कि उसके आंकलन के मुताबिक 45 लाख करोड़ रुपए का काला धन विदेशी बैंकों में जमा है, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का करीब 50 प्रतिशत का हिस्सा है और भारत के वित्तीय घाटे का लगभग नौ गुना है.
संगठन का कहना है कि अगर इस काले धन का 10 प्रतिशत हिस्सा भी भारत में आ जाए, तो उससे भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी फायदा हो सकता है.
हालांकि संगठन ने ये स्पष्ट नहीं किया कि वो 45 लाख करोड़ के इस आंकड़े पर किस आधार पर पहुंची.
सुझाव
सरकार का कहना है कि काले धन को लेकर कोई ठोस अनुमान उनके पास नहीं है. सरकार ने तीन संस्थानों को ये आंकड़ा जुटाने का जिम्मा दिया है.
फिक्की ने सरकार से ये भी अपील की है कि वो काले धन को वापस लाने के मुद्दे को जल्द ही हल करे.
संगठन ने ये भी कहा कि काले धन की समस्या पर भविष्य में रोक लगाने के लिए टैक्स को बढ़ावा देने वाली योजनाओं का इस्तेमाल होना चाहिए ताकि लोग डेबिट और क्रेडिट कार्ड का ज़्यादा इस्तेमाल करें.
फिक्की द्वारा बनाई गई इस योजना में ये भी लिखा है कि संगठन को लगता है कि सरकार संसद के कार्यक्षेत्र से बाहर जाकर खुदरा बाज़ार और विमानन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ला सकती है.
संगठन ने आरबीआई की मुद्रा नीति को सहज बनाने और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की भी कवायद की है.
इसके अलावा डीज़ल के दाम पर से सरकार का नियंत्रण हटाने का भी सुझाव दिया गया है.


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