रविवार, 26 अगस्त 2012

देश को तबाह कर सकता है साइबर वार

keep an eye on pakistans' hacker
असम और म्यांमार में मुसलमानों के साथ कथित अत्याचार के खिलाफ पाकिस्तानी वेबसाइटों द्वारा आपत्तिजनक सामग्री अपलोड किए जाने के बाद भारत में भड़के दंगों के बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर भारत सरकार ने देश में साइबर सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए तो भविष्य में स्थिति बहुत गंभीर हो सकती है।
प्रख्यात साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और टोरेड नेटवर्क कंपनी के निदेशक ध्रुव सोयी ने कहा, ‘पहले कम्‍प्‍यूटर वायरस का इस्तेमाल केवल जासूसी के लिए किया जाता था लेकिन अब रणनीति बदल गई है।
भारत के पड़ोसी देश सरकार के महत्वपूर्ण कदम की निगरानी करने के लिए ऐसे वायरसों का इस्तेमाल कर रहे हैं जो उन्हें महत्वपूर्ण सूचना मुहैया करा देता है।’
सरकार के साथ कई परियोजनाओं पर मिलकर काम कर रहे सोयी ने कहा कि आज हर देश का कार्य कम्‍प्‍यूटर से होने लगा है और एक प्रणाली दूसरे से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति का हैकर या दुश्मन देश फायदा उठा सकते हैं और किसी देश के खिलाफ साइबर युद्ध छेड़कर उसकी प्रणाली को तहस नहस कर सकते हैं।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और इंडियन डिफेंस रिव्यू पत्रिका के संपादक भरत वर्मा ने कहा, ‘साइबर युद्ध अगली पीढ़ी का युद्ध है जिसमें दुश्मन देश में बिना कोई गोली चलाए आपके डेटालिंक, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस और नेटवर्क को युद्ध के पहले ही या दौरान तबाह कर सकता है। यह अफवाह फैला सकता है, झूठी सूचनाएं (जैसा कि असम हिंसा के बाद हुआ) अपलोड कर सकता है।
कैप्टन (सेवानिवृत्त) वर्मा ने कहा, ‘इसके लिए बहुत बड़ी सेना की जरूरत नहीं होती और एक व्यक्ति मात्र एक कम्‍प्‍यूटर से भीषण नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि साइबर युद्ध में संलिप्त देश खतरनाक वायरस की मदद से आपके बिजली के ग्रिड को फेल कर सकता है जिससे प्रभावित देश के विमान उड़ान नहीं भर सकेंगे, एक दूसरे का संपर्क खत्म हो जाएगा।
इसके अलावा ये वायरस युद्ध के दौरान आपके मिसाइलों का रास्ता बदल सकते हैं जिससे आपकी मिसाइल स्वयं आपको ही तबाह कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले अमेरिका और इसराइल ने कथित रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को तबाह करने के लिए अब तक के सबसे शक्तिशाली साइबर हथियार (कम्‍प्‍यूटर वायरस) ‘स्टक्सनेट’ का इस्तेमाल किया था।
इसी तरह से ‘घोस्टनेट’ वायरस ने भारत सरकार के विभिन्न प्रणालियों में घुसपैठ कर सुरक्षा एजेंसियों, दूतावासों और दलाई लामा के कार्यालय में सेंध लगाई थी और कई गोपनीय दस्तावेजों को चुरा लिया था। दुनिया की एक प्रमुख साइबर सुरक्षा कंपनी साइमंटेक ने भी वर्ष 2010 में अकेले तीन अरब मालवेयर हमले को रिकॉर्ड किया थे।
सोयी ने कहा, ‘परंपरागत युद्ध में हमें दुश्मन और उसकी क्षमता पता होता था लेकिन साइबर युद्ध में ऐसा नहीं है। हम शत्रु की पहचान नहीं कर सकते हैं। दो देशों के बीच विवाद का तीसरा देश फायदा उठा सकता है और साइबर हथियार का इस्तेमाल कर संघर्षरत देशों के बीच युद्ध भड़का सकता है।
वर्मा ने कहा कि सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में ‘महाशक्ति’ का दर्जा रखने वाले भारत की साइबर युद्ध से लड़ने की प्रणाली बहुत लचर है। भारत को अमेरिकी सेना के ‘साइबरकॉम’ तरह एक एकीकृत साइबर युद्ध कमांड बनाना चाहिए। इसके अलावा भारत को चीन की तरह अपने युवाओं को साइबर युद्ध लड़ने का मौका देना चाहिए।
सोयी ने कहा कि हमारे देश की साइबर सुरक्षा प्रणाली बहुत कमजोर है। इसको मजबूत करने के बारे में अब सरकार सोच रही है। हमारे पास परंपरागत युद्ध में चीन या अमेरिका जैसी महाशक्तियों से मुकाबला करने की क्षमता है, लेकिन साइबर स्पेस में हम इन दोनों देशों के मुकाबले कहीं नहीं ठहरते हैं। भारत सरकार को खुलकर इसे बढ़ावा देने की जरूरत जबकि वह ऐसा करने से बच रही है।

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