देश के वर्तमान हालातों पर कटाक्ष करते हुए पूर्व
सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि वर्तमान व्यवस्था काले अजगर की तरह
है और हम इसे दूध पिला रहे हैं।
श्री सद्गुरु धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जनरल सिंह ने कहा कि हमारा देश युवा है। युवाओं की आबादी 71 फीसदी के लगभग है। जिस तरह पतझड़ के बाद वसंत आता है और पेड़ों पर नई कोंपले फूटती हैं, उसी तरह जब तक युवा आगे नहीं आयेंगे, पुराने लोग नहीं जायेंगे। अत: युवा आगे बढ़कर देश के लिए काम करें।
उन्होंने सवाल किया कि कहीं हम डॉ. अंबेडकर और अन्य शीर्ष नेताओं द्वारा बताए गए मार्ग से भटक तो नहीं गए? उन्होंने कहा कि अब प्रजातंत्र संविधान से हटकर दिखाई दे रहा है। संविधान 'बी द पीपल' के लिए बना था, लेकिन अब संविधान का 'बी द पीपल' खो गया है। उसे वापस लाना होगा।
झंडों और नारों से देश नहीं चलता
सिंह ने कहा कि देश नारेबाजी और झंडे हिलाने से नहीं कार्यशैली और रास्ता चुनने से चलता है। उन्होंने कहा कि अच्छे लोग चिंतन तो करते हैं लेकिन व्यवस्था परितवर्तन में भागीदार नहीं बनते। उन्हें आगे आना चाहिए ताकि व्यवस्था को सुधार सकें।
ऐसा न हो कि देश की बोली लगते लगे
उन्होंने कहा कि हम चिंतन करते रहेंगे और देश पीछे खिसकता रहेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसा न हो कि देश की बोली लगने लगे। सिंह ने कहा कि सबके भीतर 'देश सर्वोपरि' की भावना होनी चाहिए। जब सबके भीतर यह भावना होगी, तभी हम देश को आगे बढ़ा पाएंगे।
देश की आंतरिक स्थिति पर जनरल सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब भी हमारा पतन हुआ या विदेशी आक्रांताओं को सफलता मिली, वह सिर्फ हमारी वजह से और हमारे लोगों की मदद के कारण ही मिली। हमें सोचना होगा कि आज हमारी स्थिति क्या है? यह सोच-विचार का समय है।
सबको बनना होगा डॉक्टर
उन्होंने किसी कवि की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा- 'व्यवस्था काले अजगर की तरह है, हम उसे दूध पिला रहे हैं, समूचे राष्ट्र को कैंसर हो गया है, हम टाइफाइड की दवाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबको डॉक्टर बनना होगा और देश को बीमारी से उबारना होगा।
जनरल सिंह ने कहा देश में भ्रष्टाचार और सामाजिक असामनता सबसे बड़ी समस्या है। इसे दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री ने कहा था कि नक्सली इलाकों में सेना तैनात करनी चाहिए तब मैंने कहा कि यह आपका मामला है। इसे आपको सुलझाना चाहिए।
संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते
उन्होंने कहा कि 1990 में 50 जिलों में नक्सलवाद की समस्या थी लेकिन अब 272 से ज्यादा जिले नक्सलवाद की गिरफ्त में हैं। उन्होंने कहा कि इन जिलों की स्थिति वैसी ही है, जैसी 200 साल पहले थी। ऐसी स्थिति में क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि वहां के लोग देश के साथ चलेंगे?
जनरल सिंह ने कहा कि हम संकल्प लेंगे तभी देश की विकृतियां और कुरीतियां दूर होंगी। जिस दिन हम संकल्प के साथ काम करेंगे, सभी चीजें ठीक हो जायेंगी। उन्होंने कहा कि 'सपने शायद सच नहीं होते लेकिन संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते'।
-एजेंसी
श्री सद्गुरु धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जनरल सिंह ने कहा कि हमारा देश युवा है। युवाओं की आबादी 71 फीसदी के लगभग है। जिस तरह पतझड़ के बाद वसंत आता है और पेड़ों पर नई कोंपले फूटती हैं, उसी तरह जब तक युवा आगे नहीं आयेंगे, पुराने लोग नहीं जायेंगे। अत: युवा आगे बढ़कर देश के लिए काम करें।
उन्होंने सवाल किया कि कहीं हम डॉ. अंबेडकर और अन्य शीर्ष नेताओं द्वारा बताए गए मार्ग से भटक तो नहीं गए? उन्होंने कहा कि अब प्रजातंत्र संविधान से हटकर दिखाई दे रहा है। संविधान 'बी द पीपल' के लिए बना था, लेकिन अब संविधान का 'बी द पीपल' खो गया है। उसे वापस लाना होगा।
झंडों और नारों से देश नहीं चलता
सिंह ने कहा कि देश नारेबाजी और झंडे हिलाने से नहीं कार्यशैली और रास्ता चुनने से चलता है। उन्होंने कहा कि अच्छे लोग चिंतन तो करते हैं लेकिन व्यवस्था परितवर्तन में भागीदार नहीं बनते। उन्हें आगे आना चाहिए ताकि व्यवस्था को सुधार सकें।
ऐसा न हो कि देश की बोली लगते लगे
उन्होंने कहा कि हम चिंतन करते रहेंगे और देश पीछे खिसकता रहेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसा न हो कि देश की बोली लगने लगे। सिंह ने कहा कि सबके भीतर 'देश सर्वोपरि' की भावना होनी चाहिए। जब सबके भीतर यह भावना होगी, तभी हम देश को आगे बढ़ा पाएंगे।
देश की आंतरिक स्थिति पर जनरल सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जब भी हमारा पतन हुआ या विदेशी आक्रांताओं को सफलता मिली, वह सिर्फ हमारी वजह से और हमारे लोगों की मदद के कारण ही मिली। हमें सोचना होगा कि आज हमारी स्थिति क्या है? यह सोच-विचार का समय है।
सबको बनना होगा डॉक्टर
उन्होंने किसी कवि की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा- 'व्यवस्था काले अजगर की तरह है, हम उसे दूध पिला रहे हैं, समूचे राष्ट्र को कैंसर हो गया है, हम टाइफाइड की दवाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सबको डॉक्टर बनना होगा और देश को बीमारी से उबारना होगा।
जनरल सिंह ने कहा देश में भ्रष्टाचार और सामाजिक असामनता सबसे बड़ी समस्या है। इसे दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री ने कहा था कि नक्सली इलाकों में सेना तैनात करनी चाहिए तब मैंने कहा कि यह आपका मामला है। इसे आपको सुलझाना चाहिए।
संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते
उन्होंने कहा कि 1990 में 50 जिलों में नक्सलवाद की समस्या थी लेकिन अब 272 से ज्यादा जिले नक्सलवाद की गिरफ्त में हैं। उन्होंने कहा कि इन जिलों की स्थिति वैसी ही है, जैसी 200 साल पहले थी। ऐसी स्थिति में क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि वहां के लोग देश के साथ चलेंगे?
जनरल सिंह ने कहा कि हम संकल्प लेंगे तभी देश की विकृतियां और कुरीतियां दूर होंगी। जिस दिन हम संकल्प के साथ काम करेंगे, सभी चीजें ठीक हो जायेंगी। उन्होंने कहा कि 'सपने शायद सच नहीं होते लेकिन संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते'।
-एजेंसी
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