सोमवार, 28 जनवरी 2013

छोटे भाई की बड़ी 'माया' पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के छोटे भाई के कंट्रोल वाली कुछ कंपनियों ने करीब 760 करोड़ रुपए के कैश ट्रांजैक्शन किए हैं। इतनी ज्यादा रकम के स्रोत को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इकनॉमिक टाइम्स ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को फाइल किए गए डॉक्युमेंट्स की जांच की है। इससे पता चला है कि आनंद कुमार की कंट्रोलिंग वाली 7 में से सिर्फ एक कंपनी का ठोस बिजनेस है। बाकी कंपनियां 2007 में बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) की चीफ मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद बनाई गई थीं।
कंपनियों से जुड़े ट्रांजैक्शन में एक खास पैटर्न उभर कर आया है, जिसमें राजनीति हस्तियां या उनसे करीबी रूप से जुड़े लोग कंपनियां बनाते हैं। कई बार करोड़ों में होने वाली इन कंपनियों की आमदनी के स्त्रोत के बावत साफ तौर पर जानकारी नहीं होती। इससे फंड जुटाने में राजनीतिक असर के इस्तेमाल को लेकर संदेह पैदा होता है। एक ही शख्स अक्सर डायवर्स बिजनेस वाली कंपनियों से जुड़ा होता है। इससे इन कंपनियों की सच्चाई को लेकर सवाल खड़े होते हैं। ऐंटी-करप्शन ऐक्टिविस्ट्स ने कई बार ऐसी कंपनियों को लेकर सवाल उठाए हैं।
उनका कहना है कि गलत पैसे का इस्तेमाल कर सामाजिक रुतबा हासिल करने के मकसद से ऐसी कंपनियां बनाई जाती हैं। हाल में जिन बड़ी हस्तियों पर ऐसे आरोप लगे हैं, उनमें कांग्रेस प्रेसीडेंट सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और बीजेपी के पूर्व अध्‍यक्ष नितिन गडकरी शामिल हैं। दोनों ने इन आरोपों को खारिज किया है। आनंद कुमार की कंपनियों के मामले में ज्यादातर पैसा भारी प्रीमियम पर शेयर इशू करने, थर्ड पार्टीज द्वारा कंपनियों को दिए गए अडवांस को जब्त करने, अनडिस्क्लोज्ड इनवेस्टमेंट्स की बिक्री और डिविडेंड के रूप में आया है।
आनंद ने इनमें से कुछ ट्रांजैक्शन पर टैक्स चुकाए हैं पर फंड के स्त्रोत और इन कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने वाली फर्मों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। आनंद ने इकनॉमिक टाइम्स द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी नहीं दिए। दिल्ली में उनके रेजिडेंस पर किए गए फोन का जवाब नहीं मिला। इकनॉमिक टाइम्स को अंबेठ राजन से बात करने को कहा गया। राजन बीएसपी से राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं।
वह पार्टी का मीडिया से जुड़ा कामकाज देखते हैं। राजन ने कहा कि आनंद इस बारे में कमेंट नहीं करना चाहेंगे। 37 साल के आनंद कुमार के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। बीएसपी के सदस्यों से भी वह ज्यादा बातचीत नहीं करते। वह नोएडा अथॉरिटी में क्लर्क थे। वह अपनी बहन के साथ रहते हैं। 2011 में इलेक्शन रैली में अपने एक विरले कॉमेंट में मायावती ने कहा था कि उन्होंने (कुमार) हमेशा उनका साथ दिया है।

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