केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान और बीजेपी के विरोध और
इस्तीफे की मांग के साथ ही एक बार फिर से आतंकवाद पर बहस शुरू हो गई है।
गृहमंत्री ने कहा कि कि भाजपा और आरएसएस के कैंप में हिंदू आतंकवाद को
बढ़ावा मिल रहा है। इसके बाद भाजपा की तरफ से रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि
जब सिमी और इंडियन मुजाहिदीन पर प्रतिबंध लगाया गया, तब हमने कभी कहा कि
यह मुस्लिम आतंकवाद है। आतंकी हमेशा आतंकी है, चाहे उसकी आस्था कोई भी हो।
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) फिलहाल बैन है और
इसके पूर्व अध्यक्ष डा. शाहिद बद्र फलाह अदालत में खुद पर से बैन हटाने
का मुकदमा लड़ रहे हैं। आतंकवाद को लेकर कांग्रेस और भाजपा का नजरिया
सामने आ चुका है। इस मौके पर सिमी का नजरिया खासा मौजूं है।
डा.शाहिद बद्र फलाही ने साफ-साफ कहा कि कांग्रेस मेरी निगाह में सबसे खतरनाक है। इंतहाई दरिया इंसानी दुश्मन पार्टी है। मैं इसको आरएसएस से कई गुना ज्यादा खतरनाक मानता हूं। कांग्रेस का पूरा इतिहास गवाह है। इसने जो कुछ भी हाल मुसलमानों का किया है, जिसे हम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बरक्स देख सकते हैं। बीजेपी और कांग्रेस के बैन में इतना फर्क है कि वो लोग अगर झूठ बोलते हैं तो फंस जाते हैं। उनके झूठ का अंदाज फूहड़पन भरा होता है, पर कांग्रेस झूठ को पर (पंख) लगा देती है। कांग्रेस झूठ को इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत करती है कि किसी को शक तक नहीं होता।
अपने देश में आज तक जो हुकूमतें बनी हैं, ज्यादातर हुकूमत कांग्रेस की रही है। थोड़े वक्त के लिए जनता पार्टी की सरकार बनी तो बीच में कुछ वक्त अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही। पर ज्यादातर कांग्रेस की ही सरकार रही है। कांग्रेस के जरिए मुसलमान कहां पहुंच गया है, यह सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से साफ जाहिर है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट बिलकुल क्लियर आईना है कि हम देखें कि मुसलमान कहां खड़ा है। ऐसा जो लोग करते हैं, वो लोग देश की तरक्की के खिलाफ हैं। वो लोगों को काम से महरूम कर देते हैं। अभी जमायते इस्लामी की रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक 70 हजार मुसलमान जेलों में बंद हैं। जेल में मैनें देखा, एक मामूली से केस में आदमी जेल में रहता है, जेल की रोटी खाता है। उसकी सारी ऊर्जा बेकार हो रही है। हमारे यहां वर्षों बाद लोग जेल से बरी होते हैं। मसलन मकबूल भट 12 साल, आमिर खान 14 साल बाद बरी होते हैं। इससे दिन-ब-दिन हालात खराब ही हो रहे हैं। कितने टैलेंट, कितने हाथ बेकार हैं। जिस मुल्क में जेलें भरी हों, ओवर क्राउडेड हों तो उसका क्या मतलब निकलता है। ये सब हुकूमत ही कर रही है।
सपा शुरू से कह रही है कि हम सिमी पर बैन के खिलाफ हैं। बल्कि उन्होंने कोर्ट में वकील भी पेश करके कहा है कि वह सिमी पर बैन के खिलाफ हैं। सवाल पैदा होता है कि मुलायम सिंह उसी सरकार के एलाइंस के हिस्से हैं, जहां सिमी पर बैन के फैसले होते हैं। आप स्टेट में ऐलान करते हो कि हम सिमी पर पाबंदी लगाने के खिलाफ हैं और जहां ये फैसले होते हैं, वहां पर ये खामोश रहते हैं। अगर मुलायम सिंह अपने वादे के पक्के हैं तो यह ऐलान कर दें कि 2014 में हमें प्रधानमंत्री बनाएं तो हम बाटला हाउस कांड की जांच कराएंगे और सिमी से पाबंदी हटा देंगे। इससे जो इंसाफपसंद अवाम है, वो भी आपको देख लेगी और आपके वादों की कलई खुल जाएगी।
शुरू से लेकर अब तक एसआईएम के ऊपर दूसरे संगठनों से रिलेशन होने के काफी इल्जामात लगे हैं। जैसे कि शुरू से लेकर अब तक एसआईएम का वामी और इफसो से सिमी का ताल्लुक रहा है। लश्करे तैयबा और दूसरे संगठनों से इसका ताल्लुक रहा है। अगर हम कहें कि हमारा किसी से कोई ताल्लुक नहीं है तो कौन मानेगा। जब मामला कोर्ट में पहुंच गया तो जिस पर इल्जाम लगा है, वह साबित करे, जिसने इल्जाम लगाया है वह साबित करे।
वामी (वर्ल्ड असेंबली मस्लिम यूथ) बैन ऑर्गेनाइजेशन नहीं है। इसके बावजूद हमारा इससे कोई रिश्ता नहीं था। सिमी का ताल्लुक इफसो (इंटरनेशनल स्टूडेंटस फेडरेशन) से है। उस वक्त उनके फेडरेशन का हिस्सा सिमी थी। इनका मुख्यालय सूडान में था। पर यह संगठन अभी भी बैन नहीं है। इन दोनों से हमारा ताल्लुक बताया जाता है, दोनों बैन नहीं है। बाकी के जो दूसरे संगठन हैं, इनमें से किसी से भी हमारा ताल्लुक नहीं है। पर जब पाबंदी लग जाती है तो लाख आदमी चिल्लाए, पर हम पर इल्जाम लगाया जाता है। हमने कोर्ट में भी यही कहा कि अगर सरकार इस बाबत कोई सबूत पाती है तो पेश करे।
हमारा अपना संविधान है जो एक बाउंड्री लाइन खींचता है। हम अल्लाह के उसूलों के मुताबिक अल्लाह को खुश करने के लिए भलाई के काम करते हैं। हमारा जो भी काम होगा, स्टूडेंट लेवल पर होगा। अलीगढ़ यूनीवर्सिटी में गाइडेंस कैंप लगाना, उनकी मदद के लिए पानी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना ही हमारा काम होता था। वहां पर हमने फ्री कोचिंग क्लासेस चलाई, लाइब्रेरी चलाई। इसके लिए हम सोसायटी में ऐसे लोगों से मदद लेते थे जिनकी आमदनी हलाल की होती थी। हम ऐसे लोगों से धन लेते थे, जो अपने दिए हुए धन के बदले में हम पर कोई दबाव न डालें। बकरीद के दिनों में हम बकरे का चमड़ा इकट्ठा करते थे। रमजान के दिनों में लोगों के पास जकात के लिए जाते थे। इसके अलावा हमारा हर मेंबर अपनी जेब से थोड़ा सहयोग करता था, लेकिन यह काफी कम होता था।
हमारे कई लड़कों ने अधिया पर खेत ले रखा था, जिसमें वे खेती करते थे। उससे जो धन मिलता था, उसे वह लोग सिमी को देते थे। इसके अलावा कुछ दुकानें भी किराए पर चढ़ा रखीं थीं। इससे हमें फंडिंग होती थी।
डा.शाहिद बद्र फलाही ने साफ-साफ कहा कि कांग्रेस मेरी निगाह में सबसे खतरनाक है। इंतहाई दरिया इंसानी दुश्मन पार्टी है। मैं इसको आरएसएस से कई गुना ज्यादा खतरनाक मानता हूं। कांग्रेस का पूरा इतिहास गवाह है। इसने जो कुछ भी हाल मुसलमानों का किया है, जिसे हम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बरक्स देख सकते हैं। बीजेपी और कांग्रेस के बैन में इतना फर्क है कि वो लोग अगर झूठ बोलते हैं तो फंस जाते हैं। उनके झूठ का अंदाज फूहड़पन भरा होता है, पर कांग्रेस झूठ को पर (पंख) लगा देती है। कांग्रेस झूठ को इतनी खूबसूरती से प्रस्तुत करती है कि किसी को शक तक नहीं होता।
अपने देश में आज तक जो हुकूमतें बनी हैं, ज्यादातर हुकूमत कांग्रेस की रही है। थोड़े वक्त के लिए जनता पार्टी की सरकार बनी तो बीच में कुछ वक्त अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार रही। पर ज्यादातर कांग्रेस की ही सरकार रही है। कांग्रेस के जरिए मुसलमान कहां पहुंच गया है, यह सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से साफ जाहिर है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट बिलकुल क्लियर आईना है कि हम देखें कि मुसलमान कहां खड़ा है। ऐसा जो लोग करते हैं, वो लोग देश की तरक्की के खिलाफ हैं। वो लोगों को काम से महरूम कर देते हैं। अभी जमायते इस्लामी की रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक 70 हजार मुसलमान जेलों में बंद हैं। जेल में मैनें देखा, एक मामूली से केस में आदमी जेल में रहता है, जेल की रोटी खाता है। उसकी सारी ऊर्जा बेकार हो रही है। हमारे यहां वर्षों बाद लोग जेल से बरी होते हैं। मसलन मकबूल भट 12 साल, आमिर खान 14 साल बाद बरी होते हैं। इससे दिन-ब-दिन हालात खराब ही हो रहे हैं। कितने टैलेंट, कितने हाथ बेकार हैं। जिस मुल्क में जेलें भरी हों, ओवर क्राउडेड हों तो उसका क्या मतलब निकलता है। ये सब हुकूमत ही कर रही है।
सपा शुरू से कह रही है कि हम सिमी पर बैन के खिलाफ हैं। बल्कि उन्होंने कोर्ट में वकील भी पेश करके कहा है कि वह सिमी पर बैन के खिलाफ हैं। सवाल पैदा होता है कि मुलायम सिंह उसी सरकार के एलाइंस के हिस्से हैं, जहां सिमी पर बैन के फैसले होते हैं। आप स्टेट में ऐलान करते हो कि हम सिमी पर पाबंदी लगाने के खिलाफ हैं और जहां ये फैसले होते हैं, वहां पर ये खामोश रहते हैं। अगर मुलायम सिंह अपने वादे के पक्के हैं तो यह ऐलान कर दें कि 2014 में हमें प्रधानमंत्री बनाएं तो हम बाटला हाउस कांड की जांच कराएंगे और सिमी से पाबंदी हटा देंगे। इससे जो इंसाफपसंद अवाम है, वो भी आपको देख लेगी और आपके वादों की कलई खुल जाएगी।
शुरू से लेकर अब तक एसआईएम के ऊपर दूसरे संगठनों से रिलेशन होने के काफी इल्जामात लगे हैं। जैसे कि शुरू से लेकर अब तक एसआईएम का वामी और इफसो से सिमी का ताल्लुक रहा है। लश्करे तैयबा और दूसरे संगठनों से इसका ताल्लुक रहा है। अगर हम कहें कि हमारा किसी से कोई ताल्लुक नहीं है तो कौन मानेगा। जब मामला कोर्ट में पहुंच गया तो जिस पर इल्जाम लगा है, वह साबित करे, जिसने इल्जाम लगाया है वह साबित करे।
वामी (वर्ल्ड असेंबली मस्लिम यूथ) बैन ऑर्गेनाइजेशन नहीं है। इसके बावजूद हमारा इससे कोई रिश्ता नहीं था। सिमी का ताल्लुक इफसो (इंटरनेशनल स्टूडेंटस फेडरेशन) से है। उस वक्त उनके फेडरेशन का हिस्सा सिमी थी। इनका मुख्यालय सूडान में था। पर यह संगठन अभी भी बैन नहीं है। इन दोनों से हमारा ताल्लुक बताया जाता है, दोनों बैन नहीं है। बाकी के जो दूसरे संगठन हैं, इनमें से किसी से भी हमारा ताल्लुक नहीं है। पर जब पाबंदी लग जाती है तो लाख आदमी चिल्लाए, पर हम पर इल्जाम लगाया जाता है। हमने कोर्ट में भी यही कहा कि अगर सरकार इस बाबत कोई सबूत पाती है तो पेश करे।
हमारा अपना संविधान है जो एक बाउंड्री लाइन खींचता है। हम अल्लाह के उसूलों के मुताबिक अल्लाह को खुश करने के लिए भलाई के काम करते हैं। हमारा जो भी काम होगा, स्टूडेंट लेवल पर होगा। अलीगढ़ यूनीवर्सिटी में गाइडेंस कैंप लगाना, उनकी मदद के लिए पानी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना ही हमारा काम होता था। वहां पर हमने फ्री कोचिंग क्लासेस चलाई, लाइब्रेरी चलाई। इसके लिए हम सोसायटी में ऐसे लोगों से मदद लेते थे जिनकी आमदनी हलाल की होती थी। हम ऐसे लोगों से धन लेते थे, जो अपने दिए हुए धन के बदले में हम पर कोई दबाव न डालें। बकरीद के दिनों में हम बकरे का चमड़ा इकट्ठा करते थे। रमजान के दिनों में लोगों के पास जकात के लिए जाते थे। इसके अलावा हमारा हर मेंबर अपनी जेब से थोड़ा सहयोग करता था, लेकिन यह काफी कम होता था।
हमारे कई लड़कों ने अधिया पर खेत ले रखा था, जिसमें वे खेती करते थे। उससे जो धन मिलता था, उसे वह लोग सिमी को देते थे। इसके अलावा कुछ दुकानें भी किराए पर चढ़ा रखीं थीं। इससे हमें फंडिंग होती थी।
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