गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

मेघालय चुनाव में हिटलर, कैनेडी व बॉम्बर..!

शिलांग। मेघालय में इस बार चुनाव मैदान में हिटलर, सिकंदर, कैनेडी, माफिया और बॉम्बर मैदान में हैं? चौंकिए मत, इस बार मेघालय के चुनावी मैदान में उतरे 346 उम्मीदवारों में ऐसे नाम वाले उम्मीदवारों की सूची काफी लंबी है।
राज्य में 23 फरवरी को होने वाले चुनाव में हिलेरियस, प्रेडीसीजर, बोल्डनेस, हैमलेट और नेस्टिंग नाम के उम्मीदवार भी शामिल हैं।
उम्मीदवारों के अलावा राज्य में कुछ मतदाताओं के नाम भी हैरान करने वाले हैं जैसे थाइलैंड, न्यूयॉर्क और सबमरीन। राज्य के इतिहासकारों का कहना है कि इस तरह के नाम औपनिवेशिक खुमारी का नतीजा हैं।
पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय के इतिहासकार डॉ. अमांडा पसाह ने बताया कि उन पर (नामों पर) हंसना गलत होगा क्योंकि ऐसे नामों के लिए किसी पर दोष नहीं मढ़ा जा सकता।
उन्होंने कहा कि यह इन लोगों के माता-पिता के पश्चिम या यूरोप के प्रति लगाव का परिणाम है। उन्होंने कहा कि किसी पश्चिमी नाम का मतलब जाने बिना उसे रख देना एक ‘औपनिवेशिक खुमारी’ थी और पूर्व औपनिवेशिक काल में मेघालय में लोगों के पास अपने बच्चों के नाम रखने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं थे।
मेघालय मुख्य रूप से एक ईसाई राज्य है। यह 19वीं सदी की शुरुआत से ब्रितानी उपनिवेश रहा है। यहां के मूल आदिवासियों ने जब ईसाई धर्म ग्रहण किया तो उन्होंने अपने बच्चों के नाम मिशनरियों के नाम पर रखे। आने वाली पीढ़ियां भी इन शब्दों को अपनातीं गईं लेकिन उन्हें इन शब्दों की कोई खास समझ नहीं थी।
डॉक्टर पसाह ने कहा कि यहां के आदिवासी (खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले) हर पश्चिमी चीज के प्रति एक दीवानगी रखते हैं, जो कि उनके द्वारा बच्चों के नाम रखने में भी झलकती है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ ऐसे नाम और शख्सियतों के बारे में सुना होता है जो उन्हें सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे हिटलर या फ्रैंकेन्सटाईन से संबंधित हैं।
मुख्य चुनाव अधिकारी पी. नाईक ने बताया कि सिर्फ राजनेता ही नहीं बल्कि मतदाताओं के नाम भी विचित्र हैं।
भारत-बांग्लादेश सीमा के पास के गांव उम्नीउह के मुखिया ने कहा कि यहां एक न्यूयॉर्क है और एक थाईलैंड भी है। इसके अलावा यहां लैट्रीन और सबमरीन जैसे नाम भी हैं। एडोल्फ हिटलर और फ्रैंकेन्सटाईन मामले की बात करें तो लोगों ने उन्हें वोट देकर विधानसभा भी पहुंचाया था और वे पूर्व सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी बने थे।
फ्रैंकेन्सटाईन ने कहा कि मेरे माता-पिता को यह नाम पसंद था, इसलिए मुझे यह नाम दे दिया गया। वहीं हिटलर ने कहा कि वह अपने नाम से बेहद खुश हैं।

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