गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

भारतीय संविधान में ‘बजट’ शब्द का उल्लेख नहीं

नई दिल्‍ली। जिस आम बजट को लेकर आम लोगों और नौकरी पेशा व्यक्तियों से लेकर वित्तीय विश्लेषकों को बड़ी उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा रहती है, देश के संविधान में इसका उल्लेख ‘बजट’ नहीं बल्कि ‘वार्षिक वित्तीय वक्तव्य’ के रूप में किया गया है।
संविधान की धारा 112 में यह व्यवस्था दी गई है कि सरकार हर साल संसद के समक्ष अपने सालाना आय-व्यय का पूरा लेखाजोखा पेश करेगी जिसे ‘वार्षिक वित्तीय वक्तव्य’ कहा जाएगा। इसी वक्तव्य को हम ‘आम बजट’ के नाम से जानते हैं।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग में ‘बजट डिवीज़न’ द्वारा तैयार बजट मैनुअल के अनुसार वर्तमान में केन्द्रीय बजट 14 विभिन्न दस्तावेजों के जरिये पेश किया जाता है, इसमें कुछ तो संविधान के प्रावधान के तहत है जबकि कुछ दस्तावेज विवरण अथवा स्पष्टीकरण के तौर पर रखे जाते हैं।
यूं तो देश में बजट प्रणाली की शुरुआत 7 अप्रैल 1860 को हो गई थी। तत्कालीन प्रथम भारतीय वित्त सदस्य जेम्स विल्सन ने बजट भाषण पढ़ा था। आजादी के बाद देश के पहले वित्त मंत्री आर.के. षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पहला बजट पेश किया। देश में पंचवर्षीय व्यापक सामाजिक आर्थिक विकास कार्यक्रमों को सालाना योजना में तब्दील कर बजट के जरिये सुधार शुरु किये गये।

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