शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

Exclusive Interview:हथिनी कुण्‍ड में बंधक है यमुना: जयकृष्‍णदास

01 मार्च को लाखों लोगों के साथ मथुरा से दिल्‍ली कूच करने जा रहे संत जयकृष्‍ण दास ने कहा कि अब कोर्ट के आदेश-निर्देशों पर अमल करने व कराने का समय बीत चुका, अब तो यमुना को मुक्‍त करने से कम की किसी बात पर भरोसा नहीं किया जायेगा।
(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
हमारा आंदोलन हथिनी कुण्‍ड में बंधक बनाकर रखी गई यमुना को मुक्‍त कराने के लिए है, न कि उससे आगे दिल्‍ली की गंदगी से पैदा हुई उस नई यमुना के लिए जो यमुना का भ्रम कराती है और जिसे प्रदूषण मुक्‍त कराने के नाम पर अब तक धोखा दिया जाता रहा है।
यह कहना है यमुना रक्षक दल के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष संत जयकृष्‍ण दास तथा राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष एडवोकेट राकेश यादव का।
'लीजेण्‍ड न्‍यूज़' से हुई विशेष भेंट वार्ता में संत जयकृष्‍ण दास ने कहा कि हथिनी कुण्‍ड से आगे जब यमुना का एक बूंद जल प्रवाहित नहीं हो रहा तो फिर यमुना को प्रदूषण मुक्‍त कराने की बात बेमानी है।
उन्‍होंने कहा कि अब तक नाले को प्रदूषण मुक्‍त कराने के नाम पर हजारों करोड़ रुपया बर्बाद किया जा चुका है इसलिए यमुना रक्षक दल अब प्रदूषण मुक्‍ति की नहीं, यमुना को मुक्‍त  कराने की लड़ाई लड़ने जा रहा है। जब यमुना मुक्‍त हो जायेगी, तब उसे प्रदूषण रहित रखने का पुख्‍ता बंदोबस्‍त किया जायेगा।
संत जयकृष्‍ण दास ने एक प्रश्‍न के उत्‍तर में साफ किया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश-निर्देश कई वर्षों से धूल फांक रहे हैं। उन पर किसी स्‍तर से अमल न किये जाने का ही परिणाम है कि अब हथिनी कुण्‍ड से आगे सिर्फ नालों की गंदगी है, यमुना जल रहा ही नहीं।
उन्‍होंने कहा कि अब कोर्ट के आदेश-निर्देशों पर अमल करने व कराने का समय बीत चुका, अब तो यमुना को मुक्‍त करने से कम की किसी बात पर भरोसा नहीं किया जायेगा।
उल्‍लेखनीय है कि संत जयकृष्‍ण दास के नेतृत्‍व में यमुना रक्षक दल यमुना की मुक्‍ति के लिए 1 मार्च को मथुरा से दिल्‍ली कूच करने जा रहा है। जयकृष्‍ण दास के मुताबिक दल ने इसमें 5 लाख लोगों को एकत्र करने का लक्ष्‍य रखा है।
1 मार्च को शुरू होने वाली यमुना रक्षक दल की यह पदयात्रा कोटवन बॉर्डर से हरियाणा में प्रवेश करके 10 मार्च को दिल्‍ली पहुंचेगी।
संत जयकृष्‍ण दास ने स्‍पष्‍ट किया कि हम किसी भी सूरत में यमुना को हथिनी कुण्‍ड से मुक्‍त कराये बिना वापस नहीं लौटेंगे, चाहे हमें कितने ही समय तक दिल्‍ली में डेरा डालना पड़े।
गौरतलब है कि जयकृष्‍ण दास ने गत दिनों यमुना को मुक्‍त कराने के लिए यूपीए की चेयर पर्सन और कांग्रेस की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गांधी से दिल्‍ली जाकर मुलाकात की थी।
इस मुलाकात का उद्देश्‍य पूछे जाने पर जयकृष्‍ण दास बोले कि हम सकारात्‍मक सोच के साथ मिलने गये थे लेकिन हमारा एक उद्देश्‍य यह भी है कि धर्म, आस्‍था, संस्‍कृति, सभ्‍यता, आध्‍यात्‍म और जीवन से जुड़ी हमारी नदियों को नष्‍ट करने वालों को अब माफ नहीं किया जायेगा।
सोनिया गांधी को हमने सूचित किया कि हम यमुना की मुक्‍ति के लिए एक बड़ा आंदोलन करने जा रहे हैं और उसके तहत दिल्‍ली में पदयात्रा लेकर पहुंचेंगे। आप चाहें तो इससे पूर्व ही समाधान संभव है।
हमने उनके सामने दो बातें कानून सम्‍मत रखीं। पहली ये कि हथिनी कुण्‍ड पर बना बांध गैरकानूनी है। 1978 में पार्लियामेंट ने जो कानून बनाया था, उसके अनुसार किसी नदी की धारा को पूरी तरह नहीं रोका जा सकता। दूसरे, यमुना सिर्फ नदी नहीं है। उससे करोड़ों लोगों की आस्‍था जुड़ी है, वह जीव-जंतुओं से लेकर प्राणीमात्र की जीवन दायिनी है।
उन्‍होंने कहा कि जब किसी धर्म विशेष, जाति विशेष तथा संप्रदाय विशेष के खिलाफ टिप्‍पणी कराना राष्‍ट्रद्रोह की परिधि में आ जाता है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाती है तो करोड़ों लोगों की आस्‍था का केन्‍द्र हमारी पवित्र नदियों में मल-मूत्र बहाने से लेकर जहरीले रसायन व कूड़ा-कचरा डालने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही क्‍यों नहीं की जाती।
जहां से सारा देश चलता है। प्रधानमंत्री से लेकर राष्‍ट्रपति तक जहां सब बैठते हैं और जहां बैठकर कानून बनाये जाते हैं, वहीं से हर रोज यमुना में 35 करोड़ लीटर गंदा पानी डाला जाता है।
संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्‍द का प्रयोग किया गया है और उसका आशय है कि सब लोग अपनी-अपनी आस्‍था के अनुरूप पूजा-पाठ करेंगे, उनकी आस्‍था से जुड़ी चीजों को कोई अपवित्र नहीं करेगा। उसमें बाधा नहीं डालेगा। अगर कोई ऐसा करता है तो वह संविधान को न मानने वाला और राष्‍ट्रविरोधी है।
यमुना हमारे लिए कृष्‍ण की पटरानी हैं, हमारी धार्मिक आस्‍था है अत: उसे नष्‍ट-भ्रष्‍ट करना संविधान विरोधी व राष्‍ट्रविरोधी कृत्‍य है।
दुनिया की कोई भी सरकार उस पानी में जहर नहीं मिला सकती जिसे उसकी जनता पी रही हो। ऐसा केवल भारत में संभव है और भारत के ही लोग उसे सहन कर सकते हैं।
जयकृष्‍ण दास ने कहा कि इस मामले में हम न तो राजनीति चाहते हैं और ना राजनीतिक आश्‍वासन। हमें यमुना की मुक्‍ति से कम कुछ भी मंजूर नहीं।
जयकृष्‍ण दास ने कहा कि यदि असम से 3 हजार किलोमीटर दूर पाइप लाइन द्वारा मुंबई तक तेल पहुंचाया जा सकता है तो दिल्‍ली में वजीराबाद से ओखला के बीच मात्र 24 किलोमीटर का नाला यमुना को गंदगी से मुक्‍त करने के लिए क्‍यों नहीं बनाया जा सकता।
मेट्रो ट्रेन जमीन के 60 फुट अंदर चलाई जा सकती हैं तो 24 किलोमीटर का नाला बनाकर उसके पानी को साफ करके किसानों के लिए उपयोगी बनाने में क्‍या समस्‍या है।
पूरी दिल्‍ली में फ्लाईओवर बनाये जा सकते हैं तो 24 किलोमीटर का नाला यमुना की शुद्धि के लिए बनाने में क्‍या हर्ज है। इससे आस्‍थावान लोगों की आस्‍था बची रहेगी और यमुना का पानी भी अशुद्ध नहीं रहेगा। हमें विश्‍वास है कि सरकार हमारी बात मानेगी क्‍योंकि इसे मानना कोई कठिन काम नहीं है।
उन्‍होंने बताया कि ये आंदोलन देश में किसी नदी के लिए अब तक हुए सभी आंदोलनों से बड़ा होगा।
अन्‍ना के आंदोलन का राजनीतिज्ञों द्वारा किया गया हश्र याद दिलाने पर जयकृष्‍ण दास ने कहा कि हमारा आंदोलन जीवन से जुड़ा है और जनता इसके लिए जाग चुकी है। हमारा आंदोलन चरणबद्ध नहीं होगा, हम यमुना को मुक्‍त कराये बिना वापस नहीं आयेंगे। हमारे आंदोलन में अगले चरण के लिए कोई स्‍थान नहीं है। अगर शासन-प्रशासन सख्‍ती बरतेगा तो उसे भी झेलेंगे। यमुना बचेगी तो ब्रज बचेगा, यमुना बचेगी तो देश बचेगा। नदी को मार दोगे तो भारत वर्ष को मार दोगे।
उन्‍होंने कहा कि जनता की ताकत के सामने बड़े से बड़े तानाशाह झुके हैं, उन्‍हें भागना तक पड़ा है। फिर ये लोग जनता की इच्‍छा को कैसे पूरा नहीं करेंगे। इन्‍हें यमुना को मुक्‍त करना ही होगा।
उन्‍होंने बताया कि हमने यमुना रक्षक दल से जुड़ने वाले हर शख्‍स, संस्‍था व संगठनों को साफ हिदायत दे दी है कि वह अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का प्रयास न करें और न मीडिया के माध्‍यम से चेहरे चमकाने की कोशिश की जाए। ऐसा करने वाले खुद को तत्‍काल यमुना रक्षक दल से अलग समझें।
जयकृष्‍ण दास ने कहा कि यमुना की मुक्‍ति के लिए प्रयासरत किसी भी व्‍यक्‍ति को मैं अपने सिर पर बैठाने से भी परहेज नहीं करूंगा लेकिन यदि कोई इसकी आड़ में निजी स्‍वार्थ पूरे करना चाहेगा तो उसकी कोई जगह नहीं है।
जयकृष्‍ण दास ने स्‍वीकार किया कि ऐसे कुछ तत्‍व पिछले दिनों यमुना रक्षक दल से जुड़ गये थे और उन्‍होंने अपने हित साधना भी शुरू कर दिया था पर अब उन्‍हें समझा दिया गया है कि यदि उन्‍होंने रवैया नहीं बदला तो वह खुद को बेदखल समझें।
यमुना रक्षक दल के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष एडवोकेट राकेश यादव ने कहा कि जो लोग अब तक यमुना को प्रदूषण मुक्‍त कराने की लड़ाई लड़ने का दावा करते रहे हैं, उन्‍हें भी समझना होगा कि जब हथिनी कुण्‍ड से आगे यमुना है ही नहीं तो आप किसे प्रदूषण मुक्‍त कराने की बात कह रहे हैं। नाले को प्रदूषणमुक्‍त करायेंगे क्‍या।
कछुए और मछलियां तक जिंदा नहीं रह पाते, यमुना किनारे के सबमर्सेबिल का पानी पीने लायक नहीं रहा, हमारे जल स्‍त्रोतों में जब वही जहरीला पानी आ रहा है तो हम किसे प्रदूषण मुक्‍त करायेंगे।
अब तक जो भी और जिस स्‍तर से भी कार्यवाही हुई, यमुना प्रदूषण के नाम पर करोड़ों रुपया हजम कर लिया गया। हम लोग फिलहाल इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते क्‍योंकि इससे हमारा आंदोलन प्रभावित होगा। हमारी लड़ाई सिर्फ और सिर्फ यमुना को मुक्‍त कराने की है।
उन्‍होंने कहा कि यमुना को मुक्‍त कराने के बाद यह मुद्दा उठाया जायेगा कि यमुना को प्रदूषण मुक्‍त कराने के लिए भेजा गया हजारों करोड़ रुपया आखिर गया कहां। उसे कौन खा गया।
राकेश यादव ने बताया कि अब तक यमुना प्रदूषण की बात करने वालों को जयकृष्‍ण दास जी ने साफ-साफ कह दिया है कि यदि वो यमुना मुक्‍ति की बात करें तो हमसे जुड़ सकते हैं, अगर उन्‍हें यमुना प्रदूषण की बात करनी है तो हमसे दूर रहें।
अब तक यमुना प्रदूषण की बात करने वालों को जनता के सामने यह सच्‍चाई लानी ही होगी कि ब्रज में यमुना नहीं है, यमुना की जगह जो दिखाई दे रहा है वह केवल नाले-नालियों का गंदा पानी, मल-मूत्र, कट्टीघरों का खून एवं रासायनिक कचरा है और यही जल स्‍त्रोतों के माध्‍यम से हमारे घरों में जा रहा है।
इस पानी से बच्‍चों की किडनियां फेल हो रही है, फैंफड़े संक्रमित हो चुके हैं, कैंसर के मरीजों की संख्‍या तेजी से बड़ी है।
प्रदेश सरकार ने वायदा किया है कि अगर दिल्‍ली सरकार वजीराबाद से ओखला तक 24 किलोमीटर का नाला बनवा देती है तो नोएडा से लेकर आगे यूपी में जहां तक जरूरत होगी, वैसे ही नाले हम बनवायेंगे।
उन्‍होंने बताया कि इन नालों का पानी साफ किये जाने के बाद भी फिर यमुना में समाहित नहीं किया जायेगा। उस पानी का ट्रीटमेंट करके नहरों के माध्‍यम से किसानों को दिया जाए।
राकेश यादव ने कहा कि इसके लिए हमें आश्‍वासन नहीं चाहिए, ठोस कार्यवाही हो। जब तक हम यमुना जल का प्रवाह हथिनी कुण्‍ड से ब्रज में नहीं देख लेंगे तब तक दिल्‍ली में ही सड़कों पर पड़े रहेंगे।
उन्‍होंने बताया कि जयकृष्‍ण दास जी ने इसीलिए मथुरा के सांसद और राष्‍ट्रीय लोकदल के मुखिया व केन्‍द्रीय मंत्री अजीत सिंह के पुत्र जयंत चौधरी द्वारा यमुना रिवर बेसिन के लिए संसद में बिल लाने की बात को दरकिनार कर दिया था। जयकृष्‍ण दास जी ने उनसे कहा कि गंगा के लिए पहले से प्राधिकरण बना हुआ है, बावजूद इसके गंगा दिन-प्रतिदिन मैली हो रही है।
उन्‍होंने सांसद जयंत चौधरी के समक्ष प्रश्‍न उठाया कि यदि यमुना के लिए बिल लाना था तो अब  तक आप कहां थे। अब आप बिल लाने की बात कहकर हमारे आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। 
सांसद को बताया गया कि अब हम किसी पचड़े में न पड़कर सरकार से सीधे काम कराना चाहते हैं। कानूनों की कमी नहीं है, अगर कानूनों पर ही अमल हो जाए तो सारा काम खुद-ब-खुद हो जायेगा।
यमुना का जल सरकार को ब्रज में देना ही होगा क्‍योंकि लोगों की आस्‍था मथुरा के विश्रामघाट से जुड़ी हैं। करोड़ों लोग प्रतिवर्ष जो यहां आता है, वह हथिनी कुण्‍ड नहीं जा सकता क्‍योंकि वह आस्‍था का केन्‍द्र नहीं है।
यमुना अपने उद्गम स्‍थल से ब्रज में श्रीकृष्‍ण के लिए और इलाहाबाद में संगम के लिए चली थीं, वह केवल हरियाणा में अवरुद्ध किये जाने के लिए नहीं निकलीं।
आज दिल्‍ली से जो यमुना ब्रज में आ रही है, वह यमुनोत्री की यमुना नहीं है। वह एक नई यमुना है जिसे दिल्‍ली की गंदगी ने ईजाद किया है।

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