शुक्रवार, 29 मार्च 2013

दिवालिया होने को हैं मथुरा के कई एजुकेशनल ग्रुप

(लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष)
कभी केवल भांग, भजन, भोजन, द्वारिकाधीश, बिहारीजी और कृष्‍ण जन्‍मभूमि के लिए पहचाना जाने वाला विश्‍व प्रसिद्ध धार्मिक जनपद मथुरा जब देखते-देखते टेक्‍नीकल एजुकेशन के क्षेत्र में तेजी के साथ जगह बनाने लगा तब हो सकता है कि बहुत से लोगों को कोई खास आश्‍चर्य न हुआ हो लेकिन अब अगर यहां के कई नामचीन टेक्‍नीकल कॉलेज एकाएक दिवालिया हो जाएं तो शायद ही कोई आश्‍चर्यचकित हुए बिना रह पायेगा।
जी हां, चौंकिए मत। लीजेण्‍ड न्‍यूज़ के हाथ लगे दस्‍तावेज और विभिन्‍न सूत्रों से मिल रहीं अत्‍यंत भरोसेमंद जानकारियां कहती हैं कि कृष्‍ण की नगरी के कई बड़े टेक्‍नीकल इंस्‍टीट्यूट्स भारी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। ये इंस्‍टीट्यूट्स लगभग दिवालिया होने के कगार पर हैं।
बताया जाता है कि ऐसे इंस्‍टीट्यूट्स में वो ग्रुप भी शामिल हैं जिनसे मथुरा की एक अलग पहचान बन गई थी और जिन्‍हें खड़ा करने में करोड़ों नहीं, अरबों की संपत्‍ति लगी।
ऐसे ही एक एजुकेशनल ग्रुप के अंदर से मिल रही खबरों के मुताबिक ग्रुप के मालिकानों ने बड़ी तादाद में अपने कर्मचारियों को इस आशय के नोटिस जारी किए हैं कि अब वह उन्‍हें नौकरी पर रखने में असमर्थ हैं लिहाजा वह दूसरी जगह जॉब तलाश लें। इस ग्रुप ने पिछले करीब 4 महीने से अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दिया है।
दरअसल इन कॉलेज और इंस्‍टीट्यूट्स के बुरे दिन तभी शुरू हो गए जब सरकार ने एडमीशन के दौरान कैपिटेशन फीस या डोनेशन की आड़ में भारी-भरकम रिश्‍वत लेने पर शिकंजा कसा। सरकार की नजर टेढ़ी होते ही शिक्षा कारोबारियों की वो सारी अवैध कमाई बंद होने लगी जिसके कारण शिक्षा व्‍यवसाय न सिर्फ सभी को आकर्षित करने लगा था बल्‍कि मोटी कमाई का विश्‍वसनीय जरिया बन चुका था।
रही-सही कसर छात्रवृत्‍ति में शिक्षा कारोबारियों द्वारा किये जा रहे करोड़ों रुपये के घोटाले का सच सामने आने के बाद पूरी हो गई।
अब इस धंधे में दूसरी सबसे बड़ी उक्‍त एकमुश्‍त कमाई का भी पर्दाफाश हो चुका था और आम लोग जान गये थे कि छोटे से छोटा व बड़े से बड़ा शिक्षण संस्‍था संचालक किस तरह बैंकों के साथ सांठगांठ करके उस छात्रवृत्‍ति की सारी रकम डकार रहा है जिस पर पूरा हक छात्रों का है।
इसी दौरान जॉब प्‍लेसमेंट की भी कलई खुलने लगी और उसके नाम पर छात्रों एवं अभिभावकों को गुमराह करके की जा रही अवैध वसूली तथा धोखाधड़ी का कड़वा सच पता लगने लगा। हालांकि आज भी बहुत से इंस्‍टीट्यूट्स व कॉलेज जॉब प्‍लेसमेंट के नाम पर छात्रों व अभिभावकों की आखों में धूल झोंक रहे हैं लेकिन अधिकांश लोग सच्‍चाई जान चुके हैं।
यही कारण है कि मथुरा की शान बन चुके एक एजुकेशनल ग्रुप की सभी संस्‍थाओं में गत वर्ष कुल मिलाकर मात्र 1100 एडमीशन हो पाए जबकि इसकी क्षमता इससे तीन गुना तक है।
जाहिर है कि इन हालातों में खर्चे पूरे कर पाना मुश्‍किल तो होगा ही।
ये और ऐसे अनेक दूसरे कारणों ने दिग्‍गज तकनीकी शिक्षा कारोबारियों की कमर तोड़ कर रख दी है लिहाजा वह जैसे-तैसे अपना खर्च पूरा कर पा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि एक नामचीन शिक्षण ग्रुप ने करीब-करीब 400 करोड़ का कर्जा विभिन्‍न बैंकों से ले रखा है और अब उसकी किश्‍तें न चुका पाने के कारण बैंकों ने कड़ाई बरतनी शुरू कर दी है।
यह भी ज्ञात हुआ है कि यह ग्रुप अब अपनी शिक्षण संस्‍थानों की जमीन को बेचने की कोशिश में है ताकि बैंकों के फंदे से अपनी गर्दन किसी तरह निकाल सके।
गौरतलब है कि नेशनल हाईवे सहित गोवर्धन रोड, राया रोड एवं भरतपुर रोड पर शिक्षा व्‍यवसाइयों द्वारा सस्‍ते में खरीदी गईं जमीनों की कीमत आज आसमान छू रही हैं और फिलहाल वही उनको दिवालिया होने से बचाने के काम आ सकती हैं।
बताया जाता है कि एक प्रसिद्ध ग्रुप ने तो अपने शिक्षण संस्‍थानों की जमीन बेचने के लिए गुपचुप सौदेबाजी भी शुरू कर दी है। इस ग्रुप की एक कोशिश यह भी है कि कोई ऐसा व्‍यक्‍ति पार्टनर के रूप में शामिल हो जाए जिसकी शिक्षा व्‍यवसाय में रुचि हो।
एक अन्‍य ग्रुप की आर्थिक बदहाली का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उसके मालिकान देनदारों के फोन तक रिसीव नहीं करते। कई-कई बार वायदे करके भी भुगतान  करने में असमर्थ यह मालिकान ऑफिस में मौजूद होते हुए देनदारों को बाहर से यह कहकर टरकवा देते हैं कि साहब लोग हैं नहीं, बाहर गये हैं।
कुछ इसी तरह दूसरे तकनीकी शिक्षा कारोबारियों ने अपने स्‍टाफ को बाकायदा इस बात की ट्रेनिंग दी  है कि तकादा करने वालों से कैसे निपटना है। यह लोग मालिक से बात किये बिना भी पहचान लेते हैं कि किसको कैसे टरकाना है।
अब चूंकि फिर एक नया शिक्षा सत्र शुरू होने वाला है लिहाजा दिवालिया होने की कगार तक जा पहुंचे कई शिक्षा कारोबारियों की उम्‍मीद इस पर टिकी है लेकिन बड़ी समस्‍या यह है कि सरकार का रवैया इन्‍हें लेकर दिन-प्रतिदिन कड़ा होता जा रहा है।
निश्‍चित ही हवा का रुख ठीक नहीं है और हालात बद से बदतर होने की प्रबल संभावना है।
इन हालातों में मथुरा के शिक्षा कारोबारियों की स्‍थिति दयनीय होना स्‍वाभाविक है और यह भी संभव है कि कल तक जिनके नाम का डंका बजता था आगे आने वाले समय में उनके नाम की डुगडुगी बजने लगे।

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