(लीजेण्ड न्यूज़ विशेष)
उत्तर प्रदेश में भूमाफिया कितने शक्तिशाली हैं, इसका अंदाज 'लीजेण्ड न्यूज़' के पास उपलब्ध उन कागजातों से लगाया जा सकता है जिनसे साफ पता लगता है कि किस तरह उन्होंने आगरा में न केवल उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् की बेशकीमती जमीन कब्जा ली बल्कि लखनऊ (शासन) तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश-निर्देशों तक को ताक पर रखकर निजी आवासीय सुपर लग्जरी प्रोजेक्ट शुरू कर दिया।
यही नहीं, इस पूरे खेल में 'आगरा विकास प्राधिकरण' ने भी भूमाफियाओं का पूरा साथ दिया। प्राधिकरण ने आवास विकास की जमीन पर बेनारा इन्फास्ट्रक्चर्स डेवलपमेंट प्रा. लि. की ओर से पी.एल. जैन द्वारा प्रस्तुत सुपर लग्जरी आवासीय प्रोजेक्ट बनाने नक्शा नियम विरुद्ध तरीके से दि. 02.07. 2010 को पास कर दिया जिससे भूमाफियाओं का काम काफी आसान हो गया। प्राधिकरण ने यह कारनामा तब किया जब आवास विकास परिषद् ने भूमाफियाओं द्वारा नक्शा पास कराने का प्रयास पूरी तरह निरस्त कर दिया था। यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि आवास-विकास क्षेत्र अंतर्गत विकास प्राधिकरण को पूर्व में कुछ समय के लिए मिला नक्शा पास करने का अधिकार दि. 23.04.2010 को ही समाप्त हो गया था।
इस बावत उच्च न्यायालय में दाखिल की गई रिट संख्या-65249/2006 बेनारा इन्फास्ट्रक्चर्स डेवलपमेंट प्रा. लि. बनाम यूपी आवास एवं विकास परिषद् आदि पर न्यायालय से कोई रिलीफ न मिलने के बाद आगरा विकास प्राधिकरण ने नियम विरुद्ध पास किये गये इस नक्शे को निलंबित भी किया लेकिन पी. एल. जैन ने आगरा विकास प्राधिकरण से तथ्यों एवं इस मुतल्लिक प्राप्त न्यायालय के आदेश को छुपाकर या विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से सांठ-गांठ करके एक बार फिर नक्शा बहाल कराने की कोशिश की।
यह बात संज्ञान में आने पर विकास परिषद् ने दि. 07.07.2010 को एक ओर जहां निर्माण कार्य रुकवाया वहीं दूसरी ओर उसे तुड़वाया भी लेकिन चंद दिनों बाद भूमाफिया काम को गति देने में सफल रहे।
इससे साफ जाहिर है कि भूमफियाओं के साथ बना आगरा विकास प्राधिकरण एवं तमाम उच्च प्रशासनिक अधिकारियों का कॉकस कितना मजबूत है और ये कॉकस मिलकर किस तरह शासन-प्रशासन एवं न्यायपालिका तक की आंखों में धूल झोंक रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि इस अत्यंत कीमती जमीन के संदर्भ में अपर आवास आयुक्त एवं सचिव (म.) उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् लखनऊ द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने हेतु लिखे गये पत्र को भी तत्कालीन जिलाधिकारी आगरा ने कोई तवज्जो नहीं दी। लिहाजा भूमाफिया उस पर तेजी के साथ 'पंचशील' नामक सुपर लग्जूरियस अपार्टमेंट खड़ा कर रहे हैं।
अपर आवास आयुक्त एवं सचिव (म.) लखनऊ ने भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के संदर्भ में यह पत्र संख्या 3115/सी-6 दि. 06.10.2012 को जिलाधिकारी आगरा के लिए संबोधित करते हुए अधीक्षण अभियंता (षष्ठम वृत्त) उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् आगरा को लिखा था।
उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् आगरा में निर्माण खण्ड 29 के अधिशासी अभियंता सत्येन्द्र कुमार ने उक्त पत्र दि. 10 दिसंबर 2012 को पत्रांक संख्या 1859 यूपीएचडीबी/पीएम/ओडी-29/आगरा/084 के माध्यम से जिलाधिकारी आगरा को रैफर कर दिया।
इस पत्र में स्पष्ट लिखा गया था कि उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् की सिकंदरा (आगरा) योजना अंतर्गत खसरा संख्या 771, 774 एवं 776 की भूमि पर पी. एल. जैन पुत्र मिश्रीलाल जैन निवासी प्रोफेसर कॉलोनी कमला नगर आगरा द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण को रुकवाने हेतु एफआईआर दर्ज करवा कर विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाए।
भ्रष्टाचार की इंतिहा जानने के लिए यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि आवास विकास परिषद् की जिस जमीन पर 'पंचशील' नामक प्रोजेक्ट खड़ा किया जा रहा है, वहां आज तक कागजों में आवास विकास परिषद् आगरा ही काबिज है।
आगरा विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा देखिए कि इतना सब-कुछ हो जाने के बावजूद उसने पंचशील अपार्टमेंट का अपने ही यहां से निलंबित नक्शा बहाल कर दिया जिस पर आवास विकास आगरा ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई।
आवास विकास परिषद् आगरा ने आगरा विकास प्राधिकरण को साफ-साफ लिखा कि आपके द्वारा की गई पंचशील अपार्टमेंट के नक्शे की बहाली पूर्णत: अवैध है।
आगरा विकास प्राधिकरण ने आवास विकास के इस पत्र का न तो कोई जवाब देना मुनासिब समझा और ना ही पत्रावली वापस की।
इस सब के उपरांत बेनारा ग्रुप ने अपने कागजी घोड़े दौड़ना बंद नहीं किया और आवास विकास परिषद् ने भी हार नहीं मानी।
इस लड़ाई में फिलहाल जो नतीजा निकल कर सामने आया है, उसके मुताबिक पंचशील सुपर लग्जूरियस अपार्टमेंट का आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा पास किया गया नक्शा अवैध घोषित किया जा चुका है। बावजूद इसके मौके पर तेजी से निर्माण कार्य जारी है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर बेनारा ग्रुप का पक्ष जानने के लिए 'लीजेण्ड न्यूज़' ने जब उनकी प्रोजेक्ट साइट तथा आगरा से प्रकाशित एक अखबार के विज्ञापन में दर्ज मोबाइल नंबरों पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो वह सभी नंबर गलत निकले।
ग्रुप से जुड़े किन्हीं राकेश मंगला का मोबाइल नंबर बमुश्किल मिल पाया तो 'लीजेण्ड न्यूज़' ने उनसे अपना पक्ष रखने की बात कही।
राकेश मंगला ने अपना पक्ष रखने के लिए एक दिन का समय मांगा लेकिन इस दौरान वह ग्रुप की सफाई में कुछ नहीं बता पाए।
जाहिर है कि या तो ग्रुप के पास अपने पक्ष में बताने के लिए कुछ है ही नहीं या फिर वह शासन-प्रशासन में बैठे अपने आकाओं की शै पर सरकारी जमीन कब्जाकर सुपर लग्जूरियस अपार्टमेंट खड़ा करने तथा लगातार सभी आदेश-निर्देशों को ताक पर रखने का दुस्साहस कर रहे हैं।
जो भी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भूमफियाओं, आगरा विकास प्राधिकरण और शासन-प्रशासन में बैठे कुछ तत्वों के बीच का गठजोड़ निरंकुश होने के साथ-साथ दुस्साहसी भी है।
यही कारण है कि उसे ना तो उन लोगों की चिंता है जिनका पैसा वह इस अवैध प्रोजेक्ट की आड़ में हड़प रहे हैं और न इसकी फिक्र कि आवास विकास परिषद् जैसी एक सरकारी संस्था को करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि हो रही है।
देखना यह है कि अब भी आगरा का प्रशासन इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे रहता है अथवा इस कॉकस को तोड़कर सरकारी जमीन उनके कब्जे से मुक्त कराता है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करके ऐसे लोगों की मदद करता है जो बेनारा ग्रुप के चंगुल में फंस चुके हैं या फंसने जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भूमाफिया कितने शक्तिशाली हैं, इसका अंदाज 'लीजेण्ड न्यूज़' के पास उपलब्ध उन कागजातों से लगाया जा सकता है जिनसे साफ पता लगता है कि किस तरह उन्होंने आगरा में न केवल उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् की बेशकीमती जमीन कब्जा ली बल्कि लखनऊ (शासन) तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश-निर्देशों तक को ताक पर रखकर निजी आवासीय सुपर लग्जरी प्रोजेक्ट शुरू कर दिया।
यही नहीं, इस पूरे खेल में 'आगरा विकास प्राधिकरण' ने भी भूमाफियाओं का पूरा साथ दिया। प्राधिकरण ने आवास विकास की जमीन पर बेनारा इन्फास्ट्रक्चर्स डेवलपमेंट प्रा. लि. की ओर से पी.एल. जैन द्वारा प्रस्तुत सुपर लग्जरी आवासीय प्रोजेक्ट बनाने नक्शा नियम विरुद्ध तरीके से दि. 02.07. 2010 को पास कर दिया जिससे भूमाफियाओं का काम काफी आसान हो गया। प्राधिकरण ने यह कारनामा तब किया जब आवास विकास परिषद् ने भूमाफियाओं द्वारा नक्शा पास कराने का प्रयास पूरी तरह निरस्त कर दिया था। यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि आवास-विकास क्षेत्र अंतर्गत विकास प्राधिकरण को पूर्व में कुछ समय के लिए मिला नक्शा पास करने का अधिकार दि. 23.04.2010 को ही समाप्त हो गया था।
इस बावत उच्च न्यायालय में दाखिल की गई रिट संख्या-65249/2006 बेनारा इन्फास्ट्रक्चर्स डेवलपमेंट प्रा. लि. बनाम यूपी आवास एवं विकास परिषद् आदि पर न्यायालय से कोई रिलीफ न मिलने के बाद आगरा विकास प्राधिकरण ने नियम विरुद्ध पास किये गये इस नक्शे को निलंबित भी किया लेकिन पी. एल. जैन ने आगरा विकास प्राधिकरण से तथ्यों एवं इस मुतल्लिक प्राप्त न्यायालय के आदेश को छुपाकर या विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से सांठ-गांठ करके एक बार फिर नक्शा बहाल कराने की कोशिश की।
यह बात संज्ञान में आने पर विकास परिषद् ने दि. 07.07.2010 को एक ओर जहां निर्माण कार्य रुकवाया वहीं दूसरी ओर उसे तुड़वाया भी लेकिन चंद दिनों बाद भूमाफिया काम को गति देने में सफल रहे।
इससे साफ जाहिर है कि भूमफियाओं के साथ बना आगरा विकास प्राधिकरण एवं तमाम उच्च प्रशासनिक अधिकारियों का कॉकस कितना मजबूत है और ये कॉकस मिलकर किस तरह शासन-प्रशासन एवं न्यायपालिका तक की आंखों में धूल झोंक रहा है।
आश्चर्य की बात यह है कि इस अत्यंत कीमती जमीन के संदर्भ में अपर आवास आयुक्त एवं सचिव (म.) उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् लखनऊ द्वारा भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने हेतु लिखे गये पत्र को भी तत्कालीन जिलाधिकारी आगरा ने कोई तवज्जो नहीं दी। लिहाजा भूमाफिया उस पर तेजी के साथ 'पंचशील' नामक सुपर लग्जूरियस अपार्टमेंट खड़ा कर रहे हैं।
अपर आवास आयुक्त एवं सचिव (म.) लखनऊ ने भूमाफियाओं के खिलाफ एफआईआर कराने के संदर्भ में यह पत्र संख्या 3115/सी-6 दि. 06.10.2012 को जिलाधिकारी आगरा के लिए संबोधित करते हुए अधीक्षण अभियंता (षष्ठम वृत्त) उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् आगरा को लिखा था।
उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् आगरा में निर्माण खण्ड 29 के अधिशासी अभियंता सत्येन्द्र कुमार ने उक्त पत्र दि. 10 दिसंबर 2012 को पत्रांक संख्या 1859 यूपीएचडीबी/पीएम/ओडी-29/आगरा/084 के माध्यम से जिलाधिकारी आगरा को रैफर कर दिया।
इस पत्र में स्पष्ट लिखा गया था कि उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् की सिकंदरा (आगरा) योजना अंतर्गत खसरा संख्या 771, 774 एवं 776 की भूमि पर पी. एल. जैन पुत्र मिश्रीलाल जैन निवासी प्रोफेसर कॉलोनी कमला नगर आगरा द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण को रुकवाने हेतु एफआईआर दर्ज करवा कर विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाए।
भ्रष्टाचार की इंतिहा जानने के लिए यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि आवास विकास परिषद् की जिस जमीन पर 'पंचशील' नामक प्रोजेक्ट खड़ा किया जा रहा है, वहां आज तक कागजों में आवास विकास परिषद् आगरा ही काबिज है।
आगरा विकास प्राधिकरण में व्याप्त भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा देखिए कि इतना सब-कुछ हो जाने के बावजूद उसने पंचशील अपार्टमेंट का अपने ही यहां से निलंबित नक्शा बहाल कर दिया जिस पर आवास विकास आगरा ने लिखित आपत्ति दर्ज कराई।
आवास विकास परिषद् आगरा ने आगरा विकास प्राधिकरण को साफ-साफ लिखा कि आपके द्वारा की गई पंचशील अपार्टमेंट के नक्शे की बहाली पूर्णत: अवैध है।
आगरा विकास प्राधिकरण ने आवास विकास के इस पत्र का न तो कोई जवाब देना मुनासिब समझा और ना ही पत्रावली वापस की।
इस सब के उपरांत बेनारा ग्रुप ने अपने कागजी घोड़े दौड़ना बंद नहीं किया और आवास विकास परिषद् ने भी हार नहीं मानी।
इस लड़ाई में फिलहाल जो नतीजा निकल कर सामने आया है, उसके मुताबिक पंचशील सुपर लग्जूरियस अपार्टमेंट का आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा पास किया गया नक्शा अवैध घोषित किया जा चुका है। बावजूद इसके मौके पर तेजी से निर्माण कार्य जारी है।
इस पूरे प्रकरण को लेकर बेनारा ग्रुप का पक्ष जानने के लिए 'लीजेण्ड न्यूज़' ने जब उनकी प्रोजेक्ट साइट तथा आगरा से प्रकाशित एक अखबार के विज्ञापन में दर्ज मोबाइल नंबरों पर संपर्क साधने का प्रयास किया तो वह सभी नंबर गलत निकले।
ग्रुप से जुड़े किन्हीं राकेश मंगला का मोबाइल नंबर बमुश्किल मिल पाया तो 'लीजेण्ड न्यूज़' ने उनसे अपना पक्ष रखने की बात कही।
राकेश मंगला ने अपना पक्ष रखने के लिए एक दिन का समय मांगा लेकिन इस दौरान वह ग्रुप की सफाई में कुछ नहीं बता पाए।
जाहिर है कि या तो ग्रुप के पास अपने पक्ष में बताने के लिए कुछ है ही नहीं या फिर वह शासन-प्रशासन में बैठे अपने आकाओं की शै पर सरकारी जमीन कब्जाकर सुपर लग्जूरियस अपार्टमेंट खड़ा करने तथा लगातार सभी आदेश-निर्देशों को ताक पर रखने का दुस्साहस कर रहे हैं।
जो भी हो, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि भूमफियाओं, आगरा विकास प्राधिकरण और शासन-प्रशासन में बैठे कुछ तत्वों के बीच का गठजोड़ निरंकुश होने के साथ-साथ दुस्साहसी भी है।
यही कारण है कि उसे ना तो उन लोगों की चिंता है जिनका पैसा वह इस अवैध प्रोजेक्ट की आड़ में हड़प रहे हैं और न इसकी फिक्र कि आवास विकास परिषद् जैसी एक सरकारी संस्था को करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि हो रही है।
देखना यह है कि अब भी आगरा का प्रशासन इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे रहता है अथवा इस कॉकस को तोड़कर सरकारी जमीन उनके कब्जे से मुक्त कराता है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करके ऐसे लोगों की मदद करता है जो बेनारा ग्रुप के चंगुल में फंस चुके हैं या फंसने जा रहे हैं।
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