सोमवार, 6 मई 2013

महेश से पुराना हिसाब बराबर किया है सिन्‍हा ने

नई दिल्ली । बीजेपी ने रंजीत सिन्हा को सीबीआई का डायरेक्टर बनाए जाने का पुरजोर विरोध किया था और सरकार ने इसे दरकिनार करते हुए उन्हें इस पद पर बैठाया था। तब सरकार को इस बात का तनिक भी अंदाजा नहीं था कि यही रंजीत सिन्हा उसके गले की फांस बन जाएंगे। जहां कोयला घोटाले की जांच के मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद सरकार की सारी पोल खोल डाली, वहीं महेश कुमार से पुरानी अदावत का हिसाब चुकान के लिए रेल मंत्री पवल बंसल तक को मुश्किल में डाल दिया।
'मलायम मनोरमा' के मुताबिक, प्रमोशन के लिए 90 लाख रुपये की रिश्वत देने के आरोप में रेलवे बोर्ड में मेंबर स्टाफ और पश्चिम रेलवे के जीएम पद से सस्पेंड हुए महेश कुमार सीबीआई की गिरफ्त में यूं ही नहीं आए। सीबीआई डायरेक्टर से उनकी अदावत तब की थी, जब सिन्हा आरपीएफ के डीजी के तौर पर रेल मंत्रालय में तैनात थे। महेश कुमार उस समय बेंगलुरु में डीआरएम थे और तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी के करीबी थे। बताया जाता है कि उस समय किसी बात को लेकर महेश कुमार और रंजीत सिन्हा में कहासुनी हो गई थी। उस समय महेश कुमार ने रंजीत सिन्हा को आरपीएफ के डीजी पद से हटवा दिया था। सिन्हा उसके बाद डीजी आईटीबीपी बनाए गए थे।
इसे भाग्य का खेल ही कहा जाएगा कि सिन्हा को सीबीआई डायरेक्टर बनने के बाद हिसाब चुकता करने का मौका मिल गया। पश्चिम रेलवे के जीएम बनने के बाद महेश कुमार ने रेलवे बोर्ड में मलाईदार पोस्ट मेंबर इलेक्ट्रिकल बनने की कोशिशें तेज कर दी थीं। बताते हैं यह बात रेलवे के कुछ दूसरे आला ऑफिसरों को खटक रही थी। इन ऑफिसरों के रंजीत सिन्हा से भी संपर्क हैं, लिहाजा इनमें से एक ने महेश कुमार के 'आपरेशन' की सूचना उन्हें दे दी।
सिन्हा के निर्देश पर महेश कुमार व उनके करीबियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी। तीन महीने के बाद आखिरकार सीबीआई ने पुख्ता प्रमाणों के साथ रिश्वत कांड का खुलासा कर दिया। कांग्रेस की मुश्किल यह है कि इस मामले में वह पवन बंसल का बचाव करने के सिवाय कुछ कह भी नहीं सकती है।-(एजेंसी)

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