शनिवार, 27 जुलाई 2013

...लो अब PMO के फर्जी आदेशों पर तबादले और निलंबन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्तमंत्री पी. चिदंबरम और श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के फर्जी आदेशों पर देश में कई जगह बड़े पदों पर तैनात अफसरों के तबादलों और सस्पेंशन का मामला सामने आया है। ये आदेश फर्जी हैं, इसका खुलासा तब हुआ जब लेबर ब्यूरो चंडीगढ़ के डॉयरेक्टर नॉर्थ दलजीत सिंह ने अपने सस्पेंशन ऑर्डर की जांच कराई। दलजीत सिंह आईईएस अफसर हैं। उन्होंने जब सस्पेंशन का कारण जानना चाहा तो पता चला कि उन्हें सस्पेंड किया ही नहीं गया है। किसी ने पीएमओ ऑफिस के लेटरहेड पर आदेश लिखकर श्रम मंत्रालय के चंडीगढ़ ऑफिस भेजा था।

चिट्ठी ज्वाइंट डॉयरेक्टर कैलाश शर्मा के पास 7 जून को चंडीगढ़ सेक्टर-17 स्थित श्रम मंत्रालय के ऑफिस में पहुंची। यह पीएमओ ऑफिस से भेजी बताई गई थी। इसे कैलाश शर्मा ने रिसीव किया। इसमें लिखा था कि डॉयरेक्टर जरनल दलजीत का सस्पेंड कर दिया गया है और मिनिस्ट्री ऑफ फाइनेंस में तैनात डीएस कोलामकर का जो तबादला पहले किया गया था, उसे रद्द कर दिया गया है।
चंडीगढ़ लेबर ब्यूरो के ज्वाइंट डॉयरेक्टर कैलाश शर्मा को पीएमओ ने कहा, एफआईआर में यह भी दर्ज कराया जाए कि ऐसी ही चिट्ठियां वित्तमंत्री पी चिदंबरम और श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के फर्जी लेटरहेड्स से भी भेजी गई हैं। इन पर कार्यवाही करते हुए जम्मू में एक आईईएस व आईआरएस अफसर का तबादला कर दिया गया था।
जो चिट्ठी दलजीत सिंह को सस्पेंड करने के लिए आई, उस पर डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स अफेयर के डॉयरेक्टर सुधीर श्याम और ज्वाइंट डॉयरेक्टर विधू पीटर के फर्जी हस्तक्षर थे। इन दोनों ने भी श्रम मंत्रालय के जरिए मांग की है कि इस फर्जी चिट्ठी की जांच स्पेशल एजेंसी से करवाई जाए।
दरअसल, आईईएस व आईआरएस अफसरों के तबादलों के पीछे बड़ा खेल चल रहा है। इन अधिकारियों को करोड़ों रुपयों के केस डील करने होते हैं। जब कभी किसी बड़े व्यापारी पर अधिकारी की नजर होती है तो ध्यान बंटाने के लिए ऐसा किया जाता है। इसी दौरान फाइल किसी दूसरे अफसर के पास पहुंच जाती है। एक अफसर ने बताया कि इस तरह के कई केस सामने आ चुके हैं।
-एजेंसी

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