गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

संजय का अब तक पता नहीं, पुलिस ने गठित की टीम, JSR के सबसे बड़े हिस्‍सेदार थे संजय-कन्‍हैया

मथुरा। 
2 दिसंबर की रात को होडल से लौटते वक्‍त लापता हुए जेआरएस ग्रुप के निदेशक संजय देशवानी का फिलहाल कोई पता न तो पुलिस को लग पाया है और ना ही संजय के परिजनों को कहीं से कोई सूचना मिली है।
इस बीच संजय के पुत्र केशव देशवानी द्वारा ग्रुप के ही छ: अन्‍य हिस्‍सोदारों को हत्‍या के उद्देश्‍य से अपहरण की आशंका में नामजद कराये जाने के बाद कल एसएसपी मंजिल सैनी तथा एसपी सिटी सिटी ने सभी आरोपियों को तलब कर देर रात तक पूछताछ की।
बताया जाता है कि पूछताछ के दौरान ग्रुप के हिस्‍सेदार सभी आरोपियों ने संजय के बारे में कोई भी जानकारी होने से इंकार किया।
ग्रुप के एक हिस्‍सेदार और आरोपी नवीन कात्‍याल ने एसपी सिटी को बताया कि 2 दिसंबर की शाम संजय उनके पास होडल आए थे और उसके बाद बस से लौटने की कहकर चले गये।
नवीन कात्‍याल के मुताबिक संजय देशवानी अपने कपड़े के कारोबार से होडल आने-जाने में बस का इस्‍तेमाल किया करते थे, अपनी कार का प्रयोग वह बहुत जरूरी होने पर ही करते थे।
पुलिस के सूत्रों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार फिलहाल सभी नामजदों को पुलिस ने इस हिदायत के साथ छोड़ दिया है कि वह पुलिस को सहयोग करें तथा अपने स्‍तर से संजय का पता लगाने की कोशिश करें ताकि जल्‍द से जल्‍द इस मामले का पटाक्षेप हो सके।
इसके अलावा पुलिस ने संजय देशवानी का पता लगाने के लिए अपनी एक टीम गठित की है जो उनकी कॉल डीटेल तथा उनके अन्‍य व्‍यापारिक संबंधों के आधार पर उनका पता लगाने में जुटी है।
जहां तक सवाल संजय देशवानी और कन्‍हैया खत्री का जेएसआर ग्रुप में हिस्‍सेदारी को लेकर है तो ग्रुप के ही लोगों ने उनकी 50 प्रतिशत हिस्‍सेदारी होने की पुष्‍टि की है।
यही हिस्‍सेदारी संजय व कन्‍हैया ने ग्रुप के अन्‍य हिस्‍सेदारों को सरेंडर की थी और जिसे पैसों के अभाव में उन्‍होंने जयंती लाला के नाम से मशहूर जयंती अग्रवाल को बेच दी।
दरअसल, पूरे जेएसआर ग्रुप में जयंती लाला से पहले कुल सात हिस्‍सेदार हुआ करते थे।
इनमें सबसे बड़ी 25-25 प्रतिशत की हिस्‍सेदारी संजय देशवानी तथा कन्‍हैया खत्री के नाम थी जबकि नवीन कात्‍याल, सतपाल नागपाल, विजय गोयल तथा विकेश गोयल 10-10 प्रतिशत के भागीदार थे। इन सब के अलावा 10 प्रतिशत की हिस्‍सेदारी होडल के ही डीड रायटर (लिखिया) नरेश बंसल की थी जिनका अब तक इस पूरे घटनाक्रम में कहीं नाम नहीं आया है।
ग्रुप के सूत्र बताते हैं संजय व कन्‍हैया की हिस्‍सेदारी खरीदने के बाद जयंती लाला इस ग्रुप के सबसे बड़े शेयर होल्‍डर हो गये और अधिकांश फैसलों में उनका दखल हो गया।
सूत्रों के अनुसार जयंती लाला ने संजय व कन्‍हैया की कुल 50 प्रतिशत हिस्‍सेदारी में से साढ़े सैंतीस प्रतिशत का भुगतान कर दिया है और अब केवल साढ़े बारह प्रतिशत भुगतान शेष है।
ग्रुप के लोगों ने इस तरह की अफवाहों का खण्‍डन किया कि संजय ने अशोका सिटी के कुछ फ्लैटस का सौदा किया था और उनकी एडवांस रकम संजय ने ले रखी थी।
ग्रुप के ही लोगों का कहना था कि संजय या कन्‍हैया के पास ग्रुप की कोई रकम शेष नहीं है अलबत्‍ता जयंती लाला को उनका साढ़े बारह प्रतिशत शेष भुगतान करना है जो किसी कारणवश तय समय पर नहीं हो पाया और जिसे लेकर गलतफहमी पैदा हुई।
ग्रुप के लोगों की मानें तो उन्‍हें संजय के परिजनों से पूरी सहानुभूति है और वह चाहते हैं कि शीघ्र से शीघ्र संजय की सकुशल वापसी हो जाए।
उधर संजय के साथी और ग्रुप के दूसरे बड़े हिस्‍सेदार रहे कन्‍हैया खत्री ने बताया कि उन्‍हें अथवा संजय के परिजनों को अब तक संजय का कोई पता कहीं से नहीं लग पाया है और न इस संबंध में कोई सूचना मिली है। उनका कहना था कि पुलिस को कहीं से कोई सूचना मिली हो तो उसकी जानकारी फिलहाल हमारे पास नहीं है।
उनका कहना था कि सुबह सीओ सिटी अनिल यादव ने मुझे और संजय के पुत्र केशव को फोन पर कोतवाली आने के लिए सूचित किया था लिहाजा हम वहीं जा रहे हैं।
जेएसआर ग्रुप में हुए इस अप्रत्‍याशित घटनाक्रम को लेकर पुलिस, संजय के परिजन, कन्‍हैया खत्री तथा ग्रुप के बाकी हिस्‍सेदार तो परेशान हैं हीं, वो लोग भी काफी परेशान हैं जिन्‍होंने ग्रुप के किसी प्रोजेक्‍ट में निवेश कर रखा है या फ्लैट्स बुक करा रखे हैं।
उनकी परेशानी का कारण यह है कि उन्‍हें कोई पूरी सच्‍चाई बताने वाला नहीं है और वह छन-छन के आ रहीं तरह-तरह की खबरों पर ही निर्भर हैं।
उन्‍हें डर है कि ग्रुप के बीच कोई बड़ा विवाद होने की स्‍थिति में उनका पैसा न फंस जाए अथवा जिस एक अदद आशियाने का सपना देखा था, वह सपना बन कर ही न रह जाए।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष     

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