मथुरा। रीयल एस्टेट के क्षेत्र में कार्यरत कंपनी कोषदा बिल्डकॉन के प्रोजेक्ट ”मंदाकिनी” में 120 फ्लैट्स के निर्माण पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। मंदाकिनी में 120 फ्लैट्स के निर्माण को अवैध बताते हुए कोषदा बिल्डकॉन के एक पार्टनर ने ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली है और अनुरोध किया है कि इन फ्लैट्स का निर्माण रुकवाया जाए और इनमें से जितने फ्लैट्स का निर्माण कराया जा चुका है, उन्हें ध्वस्त कराया जाए।
कोर्ट ने पार्टनर की याचिका पर उत्तर प्रदेश के अर्बन डेवलेपमेंट एंड हाउसिंग विभाग, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व सचिव तथा कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. के डॉयरेक्टर श्याम सुंदर बंसल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। 07 अप्रैल 2015 को कोर्ट द्वारा जारी किये गये नोटिस के जवाब तथा उस पर सुनवाई के लिए अगली तारीख 12 मई 2015 तय की है।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश विनोद कुमार मिश्रा तथा दिलीप गुप्ता ने इस मामले में काउंटर एफीडेविट फाइल करने के लिए तीन सप्ताह तथा रीजॉइंडर एफीडेविट फाइल करने के लिए मात्र एक सप्ताह का समय दिया है।
कोषदा बिल्डकॉन के पार्टनर जैन रियलटर्स प्रा. लि. सेक्टर-7 द्वारिका नई दिल्ली की ओर से डायरेक्टर अजय कुमार जैन पुत्र सुरेश चंद्र जैन द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय को दी गई जानकारी के मुताबिक कोषदा बिल्डकॉन के प्रोजेक्ट मंदाकिनी में एफएसआई ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत 4026 वर्ग मीटर जमीन 72 लाख रुपए में खरीदी थी।
कोषदा बिल्डकॉन के प्रोजेक्ट मंदाकिनी की कुल जमीन के इस 16 प्रतिशत हिस्से की रजिस्ट्री 31 मार्च 2011 को कराई गई थी।
जैन रियलटर्स के मुताबिक कोषदा बिल्डकॉन में 16 प्रतिशत जमीन की हिस्सेदारी हो जाने के बाद कोषदा बिल्डकॉन के निदेशकों ने उनके सामने इस आशय का एक प्रस्ताव रखा कि चूंकि उनके द्वारा प्रोजेक्ट निर्माण के लिए डेवलेपमेंट अथॉरिटी तथा राज्य सरकार से जरूरी सभी अनुमतियां ली जा चुकीं हैं इसलिए वह अपने हिस्से के निर्माण कार्य का ठेका भी उन्हें ही दे दें।
जैन रियलटर्स के अनुसार उन्होंने कोषदा के निदेशकों द्वारा दी गई इस मौखिक जानकारी पर भरोसा करके उन्हें अपने हिस्से के भी निर्माण कार्य का ठेका दे दिया और इसके लिए बाकायदा लिखा-पढ़ी की गई।
कोषदा मंदाकिनी वृंदावन में जब ”टावर बी” के नाम से किये जाने वाले निर्माण के बावत जैन रियलटर्स ने कोषदा के निदेशक श्याम सुंदर बंसल आदि से डेवलेवमेंट अथॉरिटी सहित सभी विभागों से प्राप्त अनुमति के कागजातों की प्रतिलिपि दिखाने व देने को कहा तो वह किसी प्रकार के ऐसे कोई कागजात नहीं दिखा पाये।
बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद अनुमति संबंधी दस्तावेज न दिखाये जाने पर जैन रियलटर्स ने मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण से जानकारी की तो पता लगा कि कोषदा बिल्डकॉन ने उनके हिस्से की जमीन पर टावर बनाने संबंधी कोई अनुमति ली ही नहीं है और जो अनुमति ली गई है, वह सिर्फ 42 फ्लैट्स की है।
इसी प्रकार उनके टॉवर पर हैलीपैड बनाने की भी स्वीकृति नहीं ली गई है जबकि उन्हें ऐसा बताया गया था और प्रचार माध्यमों में भी टावर पर हैलीपैड बनाने का उल्लेख किया गया था।
जैन रियलटर्स ने बताया है कि इस तरह की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने कोषदा बिल्डकॉन के निदेशकों से अवैध निर्माण कार्य तुरंत बंद करने का अनुरोध किया और कहा कि वह उनके हिस्से की जमीन का भौतिक कब्जा उन्हें दे दें ताकि वह उस पर निर्माण के लिए जरूरी सभी औपचारिकताएं पूरी करा सकें किंतु इस मांग को सुनकर कोषदा के निदेशक उत्तेजित हो गये तथा उन्होंने जैन रीयलटर्स के निदेशक अजय जैन को धमकी देते हुए जमीन पर भौतिक कब्जा देने से स्पष्ट इंकार कर दिया।
इस मामले में अजय जैन की ओर से 25 जुलाई 2013 को ‘कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि.’ के मालिकानों श्याम सुन्दर बंसल पुत्र श्री गोपाल दास बंसल निवासी-मकान नंबर 2255, भक्तिधाम भरतपुर गेट मथुरा, गौरव अग्रवाल पुत्र श्री माधव प्रसाद अग्रवाल निवासी मण्डी रामदास मथुरा, नरेन्द्र किशन गर्ग पुत्र श्रीराम गर्ग निवासी मकान नंबर जी 6 किशना अपार्टमेंट, मसानी तिराहा, मथुरा तथा कोषदा बिल्डकॉन प्रा. लि. कोषदा हाउस तिलक द्वार, मथुरा (उप्र) के खिलाफ थाना कोतवाली वृंदावन में मुकद्दमा अपराध संख्या 503/13 पर धारा 380, 384, 387, 392, 406, 409, 417, 420, 423, 424, 427, 448, 451, 452, 456, 467, 506, 120 B आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज कराई।
इसके बाद जैन रियलटर्स को ज्ञात हुआ कि कोषदा बिल्डकॉन के मालिकानों ने उनकी जमीन पर किये गये अवैध निर्माण को कंपाउंड के जरिए नियमित कराने के लिए मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण में प्रार्थनापत्र दिया है।
जैन रियलटर्स ने मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को बाकायदा पत्र लिखकर अनुरोध किया कि कोषदा के निदेशकों का आवेदन गैर कानूनी है लिहाजा उन्हें ऐसी कोई अनुमति न दी जाए। साथ ही जैन रीयलटर्स की जमीन पर कोषदा बिल्डकॉन द्वारा कराये गये अवैध निर्माण को ध्वस्त कराकर उसका खर्चा कोषदा बिल्डकॉन से वसूल किया जाए किंतु प्राधिकरण ने उनके अनुरोध को नजरंदाज कर दिया।
जैन रियलटर्स के मुताबिक उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री से लेकर आपराधिक मुकद्दमे आदि से संबंधित सभी कागजातों की प्रतियां भी मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को उपलब्ध कराईं किंतु कोई नतीजा नहीं निकला इसलिए अब उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी ताकि उनकी तरह वो लोग कोषदा बिल्डकॉन की धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकें जो उनके झूठे प्रचार पर भरोसा करके वहां फ्लैट बुक करा चुके हैं या फिर कराने का विचार कर रहे हैं।
इस संबंध में मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से लेकर कोषदा बिल्डकॉन के निदेशकों तक से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई किंतु कोई भी अपना पक्ष रखने के लिए सामने आने को तैयार नहीं हुआ।
-लीजेण्ड न्यूज़ विशेष
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