गुरुवार, 7 मई 2015

शैलेन्‍द्र अग्रवाल केस: पकड़ा जाए वह चोर, बाकी सब साहूकार!

आगरा पुलिस की गिरफ्त में आये शैलेन्‍द्र अग्रवाल पर यह कहावत पूरी तरह सटीक बैठती है कि ”पकड़ा जाए वह चोर, बाकी सब साहूकार!” शैलेन्‍द्र “आलू वाला” के नाम से मशहूर समाजवादी पार्टी के जिस तथाकथित युवा नेता को न्‍यायालय ने आज से 75 घंटों की पुलिस कस्‍टडी में दिया है, उससे अब भले ही उसके नामचीन रिश्‍तेदार पल्‍ला झाड़कर खड़े हों, भले ही मीडिया आज उसे लेकर पूरे-पूरे पेज की कहानी गढ़ रहा हो, किंतु कड़वा सच यह है कि उसे इस मुकाम तक पहुंचाने में उसके सफेदपोश रिश्‍तेदारों की भूमिका भी कम महत्‍वपूर्ण नहीं है।
शैलेन्‍द्र अग्रवाल की जिस लाइफ स्‍टाइल को लेकर आज तमाम सवाल खड़े किये जा रहे हैं, और उसे बड़ा नटवरलाल बताया जा रहा है, उसकी यह लाइफ स्‍टाइल तब भी थी जब उसके साथ शहर के नामचीन मिठाई विक्रेता ने अपनी बेटी की शादी की थी। संभवत: तब शैलेन्‍द्र की इसी लाइफ स्‍टाइल ने मिठाई विक्रेता को प्रभावित किया होगा अन्‍यथा उसकी गतिविधियां असंदिग्‍ध तो कभी नहीं रहीं।
मथुरा के डैम्‍पियर नगर के ही एक अन्‍य उद्योगपति परिवार के घर से जब एक ही नंबर की एक कार और दूसरी बुलेट मोटरसाइिकल बरामद हुई तो कोतवाली पुलिस को पता लगा था कि वह शैलेन्‍द्र अग्रवाल की हैं। निकट संबंधों के चलते वही उनके यहां उन दोनों वाहनों को खड़ा कर गया था। शैलेन्‍द्र अग्रवाल ने ऐसा क्‍यों किया, इसका खुलासा तो कभी नहीं हुआ अलबत्‍ता ले-देकर पुलिस को सेट कर लिया गया और शैलेन्‍द्र अग्रवाल सकुशल अपनी गतिविधियों को परवान चढ़ाता रहा।
शादी के बाद भी शैलेन्‍द्र की गतिविधियों में कोई सुधार नहीं हुआ। एक बार तो उसने पारि‍वारिक कारणों से खुद के ही पैर में गोली मार ली थी किंतु तब भी बदनामी से बचने के लिए उसके खास रिश्‍तेदारों ने मामला दबवा दिया।
एक दौर ऐसा भी आया जब शैलेन्‍द्र अग्रवाल समाजवादी पार्टी के सबसे युवा व चमकदार नेता के रूप में पहचान बना चुका था। मथुरा शहर में चारों ओर समाजवादी पार्टी के होर्डिंग उसके सौजन्‍य से लगे नजर आते थे। इन होर्डिंग्‍स पर उसकी आदमकद तस्‍वीर होती थी और कोई दिन ऐसा नहीं होता था जब शैलेन्‍द्र की खबरें अखबारों का हिस्‍सा न बनें।
इस दौर में शैलेन्‍द्र अखबार वालों को भी विभिन्‍न तरीकों से भरपूर ऑब्‍लाइज करता था। तथाकथित बड़े अखबार के मालिकों तथा स्‍टाफ ने तो उससे लाखों रुपए अर्जित किये लिहाजा क्‍या मजाल कि उसे कभी उसकी संदिग्‍ध गतिविधियों का भी अहसास कराया हो अथवा उस ओर इशारा किया हो।
शैलेन्‍द्र जब आगरा में आयकर विभाग के एक कर्मचारी की हत्‍या में नामजद हुआ, तब भी उसे सही रास्‍ते पर लाने का प्रयास उसके निकटस्‍थ रिश्‍तेदारों या यार-दोस्‍तों ने नहीं किया।
वैसे शैलेन्‍द्र अग्रवाल जिस तरह की संदिग्‍ध गतिविधियों में संलिप्‍त था और उसकी जो लाइफ स्‍टाइल थी, वही लाइफ स्‍टाइल तथा वैसी ही गतिविधियां उसके निकटस्‍थ रिश्‍तेदारों तथा यार-दोस्‍तों की भी हमेशा रही हैं और आज भी हैं। फर्क केवल इतना है कि शैलेन्‍द्र आज पुलिस कस्‍टडी में है और निकटस्‍थ रिश्‍तेदारों तथा यार-दोस्‍तों ने उसी प्रकार पुलिस-प्रशासन को अपनी कस्‍टडी में ले रखा है जिस प्रकार कभी शैलेन्‍द्र रखा करता था।
शैलेन्‍द्र के जो कारनामे आज पुलिस तथा अखबारों के माध्‍यम से आम जनता के सामने आ रहे हैं, वह न सिर्फ उसके खास रिश्‍तेदारों के सामने बहुत पहले से थे बल्‍कि वह खुद भी अब तक उन कारनामों को अंजाम दे रहे हैं। हां, यह जरूर माना जायेगा कि शैलेन्‍द्र पकड़ा गया और वह पकड़ से दूर हैं। यह बात अलग है कि किसी न किसी रोज उनके कारनामे भी अखबारों की सुर्खियों का हिस्‍सा बनेंगे।
इस मामले में सूत्र बताते हैं कि आये दिन किसी न किसी ‘अवार्ड’ से नवाजे जाने वाले शिक्षा माफियाओं से लेकर सर्राफा व्‍यवसाई और रीयल एस्‍टेट के बड़े कारोबारियों से लेकर कई होटल कारोबारी तक शैलेन्‍द्र अग्रवाल के नक्‍शे कदम पर चल रहे हैं। सुरा और सुंदरियों का यह लोग भरपूर उपभोग व उपयोग करते हैं, साथ ही क्रिकेट की सट्टेबाजी से लेकर एमसीएक्‍स के अवैध कारोबार तक में इनका खासा इनवॉल्‍वमेंट है, बावजूद इसके अब तक यह इज्‍ज़तदार कहलाते हैं। हालांकि पूर्व में कॉलगर्ल्‍स के साथ पकड़े जाने, क्रिकेट की सट्टेबाजी तथा दूसरे कालेधंधों में इन सफेदपोशों का नाम सामने आता रहा है किंतु अब तक यह खुद को बचाने में सफल रहे हैं।
हाल ही में एक रेप केस की पीड़ित लड़की ने जब पुलिस को इस आशय का बयान दिया था कि उसे कुछ तथाकथित ”बड़े लोगों” के साथ भी हमबिस्‍तर होने को मजबूर किया जाता था तो शहर के कई बड़े लोगों की नींद उड़ गई थी। उन्‍होंने अचानक नामजद आरोपी की पैरवी बंद करके मीडिया से इस आशय की अपनी पैरवी शुरू कर दी कि वह लड़की द्वारा लिये गये ”बड़े लोगों” के नाम सार्वजनिक न कर दे।
बताया जाता है कि अनेक खास अवसरों पर यह तथाकथित सफेदपोश बड़े लोग शैलेन्‍द्र अग्रवाल की सेवाएं भी अपने लिए लेते रहे हैं।
जिन आईएएस और आईपीएस के आज शैलेन्‍द्र अग्रवाल से रिश्‍तों को खंगाला जा रहा है, वह जग जाहिर थे और क्‍यों थे, यह भी सबको पता है। ये रिश्‍ते न तो केवल पैसों के लेनदेन तक सीमित थे और न शैलेन्‍द्र इनका एकतरफा लाभ उठाता था। ये रिश्‍ते एक-दूसरे के पूरक बन चुके थे और हर क्षेत्र में परस्‍पर सहभागिता के थे।
अब पुलिस को अदालत से मिली 75 घंटों की कस्‍टडी में शैलेन्‍द्र कितने राज खोलता है या पुलिस उसमें से कितने राज सार्वजनिक करती है, यह तो आने वाला वक्‍त ही बतायेगा परंतु एक बात पूरी तरह तय है कि शैलेन्‍द्र जिस हमाम का हिस्‍सा बनकर इस गति को प्राप्‍त हुआ है, उसमें उसके जैसे अनेक सफेदपोश भी खड़े हैं। वो रिश्‍तेदार भी हैं और राजदार भी। बस देखना यह है कि शैलेन्‍द्र की तरह उनका राजफाश कब होता है।
इतना निश्‍चित है कि जिस दिन उनके कारनामे सार्वजनिक होंगे, उस दिन शैलेन्‍द्र बहुत पीछे छूट जायेगा।
-लीजेण्‍ड न्‍यूज़ विशेष

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