शनिवार, 27 मई 2017

मथुरा की जघन्‍य वारदात के सही-सही खुल पाने पर संदेह के बादल, कल भी बाजार बंद

मथुरा। शहर की घनी आबादी के बीच होली गेट क्षेत्र की कोयला वाली गली में ज्‍वैलर्स मयंक चेन नामक फर्म पर दो युवा सर्राफा व्‍यवसाइयों की हत्‍या करके करोड़ों रुपए मूल्‍य का सोना लूटकर ले जाने जैसी जघन्‍य वारदात के पूरी तरह सही खोले जाने को लेकर अभी से संदेह के बादल मंडराने लगे हैं।
संदेह का सबसे बड़ा कारण है अब तक यह भी पता न लग पाना कि बदमाश आखिर कितने रुपए मूल्‍य का सामान ले जाने में सफल रहे।
वारदात का अति शीघ्र अनावरण किए जाने के भारी दबाव में यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा तथा प्रदेश पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह को मथुरा भेजा जरूर है किंतु उनका आगमन पीड़ित परिवार को सांत्‍वना देने के अधिक काम आएगा, वारदात खोलने में तो मथुरा पुलिस की ही अहम भूमिका होगी।
श्रीकांत शर्मा ने आज मथुरा आकर पत्रकारों के समक्ष जो कुछ कहा, उसका आशय भी कुल मिलाकर यही है कि भविष्‍य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्‍ति न हो, इसके लिए कदम उठाएंगे। ब्रज को अपराध से मुक्‍त करना है। मैं सीएम के प्रतिनिधि की हैसियत से आया हूं। हमें प्रदेश में जो बदहाल व्‍यवस्‍था मिली है, उसे दुरुस्‍त कर रहे हैं। फिलहाल पीड़ित परिवार को सांत्‍वना देने का समय है क्‍योंकि वह बेहद आहत हैं। अपराध के जाल को पूरे प्रदेश से खत्‍म करके रहेंगे और इसमें हमें कामयाबी भी मिल रही है। 50 दिनों में बहुत काम हुआ है परंतु सुधार की दरकार है।
प्रदेश पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह ने भी यही कहा कि सीएम ने मुझे विशेष रूप से भेजा है। दोषियों पर सख्‍त कार्यवाही की जाएगी। कानून-व्‍यवस्‍था को और मजबूत करेंगे। इस वारदात से संबंधित सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।
श्रीकांत शर्मा और सुलखान सिंह दोनों के बयान यह बताने को काफी हैं कि वह एक रटी हुई स्‍क्रिप्‍ट पढ़ने आए थे।
इस बात का अहसास इससे भी होता है कि मथुरा-वृंदावन क्षेत्र से जीतकर विधायक और फिर ऊर्जा मंत्री बने श्रीकांत शर्मा तथा डीजीपी सुलखान सिंह मथुरा आए जरूर लेकिन न तो उन्‍होंने घटना स्‍थल पर जाना जरूरी समझा और न सर्राफा कमेटी के किसी स्‍थानीय पदाधिकारी से मुलाकात करना। मंत्री महोदय और डीजीपी वहां भी नहीं गए जहां घटना स्‍थल के पास व्‍यापारी धरने पर बैठे थे।
इस संबंध में पूछे जाने पर सर्राफा कमेटी के महामंत्री योगेश ”जॉली” ने कहा कि हमें मंत्री और डीजीपी के आगमन की कोई सूचना या उनसे मुलाकात का कोई प्रोग्राम नहीं मिला। इससे सर्राफा कमेटी में रोष व्‍याप्‍त है।
योगेश जॉली का कहना था कि श्रीकांत शर्मा मंत्री बाद में बने हैं, वह स्‍थानीय विधायक पहले हैं इसलिए उन्‍हें कम से कम अपने लोगों के बीच में आकर बात तो करनी चाहिए थी।
बताया जाता है मंत्री और डीजीपी दोनों सीधे पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने पहुंचे और बिना कुछ बताए चले गए।
गौरतलब है कि कल मथुरा भाजपा के जिलाध्‍यक्ष चौधरी तेजवीर सिंह तथा ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के भाई व उनके कथित प्रतिनिधि सूर्यकांत शर्मा मृतक युवाओं की अंत्‍येष्‍टि में फोटोग्राफर लेकर पहुंच गए थे जिसके बाद वहां मौजूद लोगों ने न सिर्फ उन्‍हें खरी-खोटी सुनाईं बल्‍कि लगभग खदेड़ दिया। जिलाध्‍यक्ष और मंत्री के कथित प्रतिनिधि की इस हरकत से भी व्‍यापारी समुदाय बहुत आहत है।
योगेश जॉली ने बताया कि आज लखनऊ में प्रदेशभर के व्‍यापारियों की एक बैठक बुलाई हुई है और मथुरा में भी एक बैठक शाम को रखी गई है। अब तक के निर्णय के अनुसार कल भी मथुरा बंद रखा जाएगा, उसके बाद अगला निर्णय प्रदेश संगठन के निर्देश से लिया जाना तय हुआ है। प्रदेश संगठन ने वारदात खोलने के लिए शासन-प्रशासन को तीन दिन का समय दिया था जो कल शाम पूरा हो जाएगा।
इस बीच एक स्‍थानीय केबिल न्‍यूज़ चैनल का दावा है कि दोनों पीड़ित परिवार, बदमाशों का एनकाउंटर चाहते हैं। चैनल के मुताबिक पीड़ित परिवार का कहना है कि बदमाश यदि पुलिस की गिरफ्त में आ भी जाते हैं तो वह उन्‍हें धमकाएंगे और केस कमजोर करने के लिए दबाव बनाएंगे।
पीड़ित परिवार की अपनी भावनाएं हैं लिहाजा वो जो भी चाहते हों परंतु प्रदेश की करीब दो महीने पुरानी योगी सरकार के इकबाल पर सवालिया निशान लगाने तथा विधानसभा तक पहुंच जाने वाली इस वारदात का खुलना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है वारदात से पहले यह पता लगना कि बदमाश कितना माल लूटकर ले जा पाए।
पुलिस को दी गई तहरीर में इस बात का कोई उल्‍लेख नहीं किया गया था कि सर्राफा व्‍यवसाइयों का कितना नुकसान हुआ है।
स्‍वतंत्र भारत में जब से पुलिस का गठन हुआ है तभी से पुलिस हर आपराधिक वारदात के अनावरण में ऐसी ही खामियों का लाभ उठाकर बड़ा खेल करती रही है।
इस मामले में भी यदि पीड़ितों के परिजन यह नहीं बता पाते कि उनका कितना आर्थिक नुकसान हुआ है तो पुलिस के लिए वारदात को खोलना बहुत आसान हो जाएगा।
ऐसे में पुलिस आंशिक माल दर्शाकर तय समय-सीमा के अंदर खोल सकती है और वह भी असली अपराधियों को गिरफ्त में लिए बिना जबकि असली अपराधियों की शिनाख्‍त तभी संभव है जबकि लूटा गया पूरा माल बरामद हो।
इसे यूं भी कह सकते हैं कि यदि पुलिस इस जघन्‍य वारदात में शामिल सही-सही बदमाशों को पकड़ पाती है तो उनसे लूट का पूरा माल भी बरामद अवश्‍य होगा।
सर्राफा कमेटी के लोगों की मानें तो अब तक लूट के पूरे माल का आंकलन न हो पाने की वजह दो प्रमुख व्‍यापारियों विकास व मेघ की हत्‍या हो जाना तथा विकास के भाई मयंक का गंभीर घायल अवस्‍था में होना है।
उनका कहना है कि मयंक की स्‍थिति ठीक होने पर ही लूटे गए माल का सही आंकलन हो पाएगा।
सर्राफा कमेटी के लोग जो भी कहें किंतु अब तक हुई लूट की अन्‍य वारदातों का इतिहास कुछ और बताता है और यह इतिहास ही इस वारदात के भी सही अनावरण पर संदेह उत्‍पन्‍न कराता है।
यदि यह मान भी लिया जाए कि पुलिस असली अपराधियों तक पहुंच गई तो भी लूटे गए माल की पूरी बरामदगी हुए बिना भविष्‍य में ऐसी वारदातों का रुक पाना असंभव होगा।
वो इसलिए कि तब पकड़े जाने के बावजूद बदमाश काफी माल पचा पाने में सफल होंगे और यही माल उन्‍हें बार-बार वारदातें करने को उत्‍साहित करेगा।
मथुरा में हुई वारदातें ऐसे घटनाक्रम से भरी पड़ी हैं इसलिए इस वारदात के खुलने से पहले लूट के कुल माल का पता लगना अत्‍यंत आवश्‍यक है अन्‍यथा यह वारदात भी सिर्फ एक संख्‍या बनकर रह जाएगी और अगली वारदात होते ही लोग इसे भूल जाएंगे।
वर्षों पहले शहर के लाला दरवाजा क्षेत्र में ऐसे ही एक युवा व्‍यवसाई की हत्‍या करके बदमाश कई किलो सोना लूट ले गए थे। कहने के लिए उस वारदात का भी पुलिस ने अनावरण किया लेकिन उसका नतीजा क्‍या रहा, यह सर्वविदित है। बदमाश तो पकड़े गए पर माल ना के बराबर बरामद हुआ। उस वारदात के बाद भी काफी हंगामा हुआ था, यहां तक कि तत्‍कालीन एसएसपी राजेश कुमार राय की सरकारी गाड़ी पर आक्रोशित व्‍यापारियों ने पथराव भी किया था और एसएसपी बमुश्‍किल अपनी जान बचाकर निकल पाए थे। उस मामले में एक व्‍यापारी नेता के खिलाफ पुलिस ने गोविंद नगर थाने में मुकद्दमा भी दर्ज कराया था।
व्‍यापारी नेताओं को भी चाहिए कि यदि वह असली अपराधियों को पकड़वाना चाहते हैं तो पहले लूटे गए माल का पूरा ब्‍यौरा लिखा-पढ़ी में पुलिस को सौंपें ताकि पुलिस कोई खेल न कर सके और भविष्‍य में ऐसी जघन्‍य वारदात को करने से पहले बदमाशों को भी कई बार सोचने पर मजबूर होना पड़े।
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

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